आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी आयामों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ने की जरूरत: राष्ट्रपति
- राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया आईआईएम लखनऊ में राष्ट्रीय लीडरशिप के पुरस्कार प्रदान किए
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एआई के कारण बहुत से लोगों को नौकरी छूटने की भी चिंता है। जो एआई को जानकर इसका सही इस्तेमाल करेगा, उसे अपनी नौकरी खोने का कोई डर नहीं होना चाहिए। उन्होंने एआई के सभी आयामों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ने की भी जोर दिया।
राष्ट्रपति मुर्मू गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में लक्ष्मीपत सिंघानिया आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशिप पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आईआईएम लखनऊ और इस तरह के अन्य संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की अंधी दौड़ ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। अधिकतम लाभ की अवधारणा भले ही पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा हो लेकिन भारतीय संस्कृति में इस अवधारणा को प्राथमिकता नहीं दी गई है। परन्तु भारतीय संस्कृति में उद्यमिता को प्रमुखता दी गई है।
राष्ट्रपति ने भारत के युवा स्व-रोजगार की संस्कृति को अपनाने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत का नाम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में लिया जाता है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अलावा उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का भी उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा दुनिया की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश के अधिक प्रभावी और समावेशी विकास के लिए हमें अपने प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव लाने होंगे। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठन प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशों में स्थित व्यवसायों पर केस स्टडीज और लेखों के बजाय, भारत में स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडीज लिखी और पढ़ाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को भी अपना शोध भारत स्थित शोध पत्रिकाओं पर केंद्रित करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जो मुक्त पहुंच क्षेत्र (ओपन एक्सेस डोमेन) में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले हर वर्ग के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में, जिस तरह से उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग से 41 मजदूरों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात हो रही है। विशेषकर किसी संकट में नेतृत्व और टीम वर्क के लिए यह बहुत अच्छा और जीवंत विषय है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/सुनील
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