जन केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा से ही संभव है विकसित भारत का निर्माण: राष्ट्रपति

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जन केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा से ही संभव है विकसित भारत का निर्माण: राष्ट्रपति


नई दिल्ली, 23 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा आर्थिक निवेश और विकास के प्रमुख चालकों में से एक है और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के बिना 21वीं सदी की जटिल सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा जा सकता। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नागरिक कल्याण और जन सहभागिता को केंद्र में रखकर ही सुरक्षित, समृद्ध और विकसित भारत का निर्माण संभव है।

राष्ट्रपति मंगलवार को यहां आयोजित इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) शताब्दी एंडोमेंट व्याख्यान को ‘जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी’ विषय पर संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से इंटेलिजेंस ब्यूरो ने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, जनता की रक्षा करने और भारत की एकता व अखंडता को मजबूत बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने इसे देश के लिए गर्व का विषय बताया।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह विषय वर्तमान समय के साथ-साथ भविष्य के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सरकार या सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। सतर्क और जागरूक नागरिक सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों को मजबूत समर्थन प्रदान कर सकते हैं। जब नागरिक समुदाय के रूप में संगठित होकर कार्य करते हैं, तो उनमें असाधारण समन्वय और प्रभाव उत्पन्न होता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों में से कई राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधे जुड़े हैं। छात्रों, शिक्षकों, मीडिया, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों, नागरिक समाज संगठनों और अन्य सामाजिक समूहों की भूमिका इन कर्तव्यों के प्रचार-प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन सहभागिता राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाती है। देश में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां सतर्क नागरिकों द्वारा दी गई सूचनाओं से गंभीर सुरक्षा संकटों को टालने में मदद मिली। राष्ट्रीय सुरक्षा की आधुनिक अवधारणा में जनता को केंद्र में रखा जाना चाहिए। नागरिकों को केवल घटनाओं का दर्शक नहीं, बल्कि अपने आसपास और उससे आगे के क्षेत्रों की सुरक्षा में सक्रिय भागीदार बनना चाहिए। ‘जन भागीदारी’ जन-केंद्रित सुरक्षा की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को सेवा-भाव के साथ कार्य करना होगा। जनता का विश्वास अर्जित करना जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की पूर्व शर्त है। विश्वास के बिना समुदाय की भागीदारी संभव नहीं है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। सीमा क्षेत्रों में तनाव, आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद और सांप्रदायिक कट्टरता पारंपरिक सुरक्षा चिंताएं रही हैं। इसके साथ ही हाल के वर्षों में साइबर अपराध एक गंभीर और तेजी से बढ़ती चुनौती बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में असुरक्षा का प्रभाव पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सुरक्षित भारत के बिना समृद्ध भारत संभव नहीं है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद लगभग समाप्ति के कगार पर है। सुरक्षा बलों और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों की सघन कार्रवाई के साथ-साथ समुदायों का विश्वास जीतने के लिए अपनाई गई समग्र रणनीति इसकी प्रमुख वजह रही है। आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक समावेशन से वामपंथी-चरमपंथी और विद्रोही समूह द्वारा किए जा रहे शोषण को प्रभावी ढंग से रोका गया है।

सोशल मीडिया पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह सूचना और संचार की दुनिया को बदलने वाला माध्यम है, जिसमें सृजन और विनाश—दोनों की क्षमता है। गलत सूचना और दुष्प्रचार से लोगों की रक्षा करना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए राष्ट्रीय हित में तथ्य-आधारित कथाएं प्रस्तुत करने वाले जागरूक सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के समुदाय का निर्माण आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज की सबसे जटिल सुरक्षा चुनौतियां गैर-पारंपरिक और डिजिटल प्रकृति की हैं, जिनकी जड़ें अत्याधुनिक तकनीकों में हैं। डिजिटल धोखाधड़ी की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए घर, संस्थान और समुदाय—तीनों स्तरों पर सतर्कता आवश्यक है। डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों को फिशिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर उत्पीड़न की रिपोर्ट करने में सक्षम बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे रियल-टाइम डेटा के विश्लेषण से प्रिडिक्टिव पुलिसिंग मॉडल विकसित किए जा सकते हैं। सतर्क और तकनीकी रूप से सक्षम नागरिक न केवल स्वयं साइबर अपराधों से सुरक्षित रहेंगे, बल्कि ऐसे अपराधों के विरुद्ध एक मजबूत डिजिटल सुरक्षा कवच भी बनेंगे।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि जन सहभागिता से प्रेरित यह परिवर्तन भारत को सतर्क, शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में तेजी से आगे ले जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गृह राज्यमंत्री बंदी संजय कुमार और केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन सहित अनेक गण्यमान्य उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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