मरीजों के परिजनों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार निंदनीय : राष्ट्रपति मुर्मु

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मरीजों के परिजनों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार निंदनीय : राष्ट्रपति मुर्मु


नई दिल्ली, 30 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को कहा कि मरीजों के तीमारदारों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करना निंदनीय है। अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुर्मु ने कहा कि डॉक्टर मरीजों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं और कोरोना महामारी के दौरान हमने देखा कि कैसे अपनी जान की परवाह किए बिना, समर्पण और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से कहा कि वे हमेशा याद रखें कि उनके द्वारा दी जाने वाली दवा या सलाह के साथ-साथ उनके व्यवहार में भी उपचारात्मक स्पर्श होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार मरीजों के परिजन सदमे की स्थिति में चले जाते हैं। डॉक्टरों को उन्हें आश्वस्त करना चाहिए, उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए। उन्होंने डॉक्टरों को कठिन परिस्थितियों में भी संवेदनशील बने रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता और करुणा जैसे मूल्य हमारी कार्यशैली को बेहतर बनाते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई बार मरीज के परिजन गुस्से में स्वास्थ्यकर्मियों से बदसलूकी करते हैं। यह गलत और निंदनीय है। सभी को यह समझना चाहिए कि डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए हरसंभव उपाय करते हैं। लेकिन, फिर भी अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो उसके लिए डॉक्टर या अस्पताल के कर्मचारियों से बदसलूकी नहीं करनी चाहिए। कोई भी डॉक्टर मरीज को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोचता। लेकिन, कई बार विज्ञान में भी सभी समाधान उपलब्ध नहीं होते। जीवन और मृत्यु से जुड़े मामलों से जुड़े डॉक्टर आमतौर पर इन सीमाओं को समझते हैं। मरीजों, उनके परिजनों और लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जीवन और मृत्यु से जुड़े कारणों को हमेशा डॉक्टर भी नहीं समझ पाते। चिकित्सा विज्ञान मानव शरीर से जुड़ी कई गुत्थियों को सुलझा नहीं पाया है। मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों को कई बार बहुत कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। वे बहुत तनावपूर्ण माहौल में काम करते हैं। ऐसे में वे कई बार अधीर भी दिखाई दे सकते हैं। लेकिन, इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे अपने मरीजों को लेकर गंभीर नहीं हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश महिला सशक्तिकरण के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में महिला रोगियों की समस्याओं पर कम शोध होने के मुद्दे को उठाया। उन्होंने चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोगों, विशेषकर शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे महिला स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शोध करें। उन्होंने कहा कि इससे बीमारियों के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी और जन स्वास्थ्य में सुधार होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। टेलीमेडिसिन के इस्तेमाल से दूरदराज के इलाकों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी है। रोगों के निदान और उपचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का अधिक प्रभावी ढंग से आकलन किया जा रहा है। उन्होंने डॉक्टरों को सीखने का जज्बा बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उन्हें नए शोध पत्र पढ़ते रहना चाहिए और नई तकनीक अपनानी चाहिए। इससे वे मरीजों का बेहतर इलाज कर पाएंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

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