स्वच्छता सिर्फ बाहरी नहीं, हमारे विचारों में भी होनी चाहिए : राष्ट्रपति

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स्वच्छता सिर्फ बाहरी नहीं, हमारे विचारों में भी होनी चाहिए : राष्ट्रपति


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन

सिराेही, 4 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्राेपदी मुर्मु ने कहा कि स्वच्छता सिर्फ बाहरी नहीं हमारे विचारों में भी होनी चाहिए। परमात्मा विचित्र है, हम भी विचित्र हैं। परमात्मा स्वच्छ स्वरूप है, हम भी स्वच्छ स्वरूप हैं। धरती पर आकर आत्मा में दाग लग जाते हैं। सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक सभी आपस में जुड़े हुए हैं, इन सभी रूप में हमारा स्वस्थ होना जरूरी है। जब तक हमारा मन स्वच्छ, साफ नहीं होगा, जीवन में परिवर्तन नहीं होगा।

ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन स्थित डायमंड हाॅल में शुक्रवार सुबह 9.30 बजे राष्ट्रपति मुर्मु ने चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े, कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और ब्रह्माकुमारीज प्रमुख दादी रतनमोहिनी सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। राष्ट्रपति ने ओम शांति के साथ संबोधन के साथ अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि आज इस ग्लोबल समिट में शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है। आत्मा स्वच्छ, स्वस्थ हो तो सबकुछ हो जाता है। मानसरोवर में शिव बाबा के रूम में मुझे कुछ समय बिताने का समय मिला। साथ ही राजयोगी ब्रह्मा कुमार भाई बहनों के साथ समय बिताने का समय मिला। आज राजयोगी निर्वर भाई की कमी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब अपने कर्म को शुद्ध और सात्विक बनाकर मन को संवारने का मार्ग है। दूसरों पर सवाल खड़े करने से पहले खुद के अंदर झांकने की प्रवृत्ति बढ़ानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि संस्था द्वारा यौगिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए कहा जाता है जैसा अन्न वैसा मन। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हुए हैं। स्वच्छ जल को लेकर भारत सरकार द्वारा सराहनीय प्रयास किए गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्मा कुमारी जेसे संस्थान समाज में स्वच्छ, स्वस्थ समाज के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। जब हम शांत होते हैं तभी हम दूसरों के प्रति प्रेम, शांति का भाव रख सकते हैं। ग्लोबल समिट से विश्व शांति के रास्ते निकलकर आएंगे। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि देश के 140 करोड़ लोग एक एक पेड़ लगाएं। इससे पर्यावरण सुधर जाएगा। एक-एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाएं। ब्रह्मा कुमार भाई बहिन विश्व शांति का प्रयास कर रहे हैं। 1937 से ये प्रयास जारी है। मुझे लगता है एक दिन जरूर विश्व का परिवर्तन होगा। आप चट्टान की तरह हो। विश्व को शांति लाने, परिवर्तन लाने में आपका प्रयास जरूर सफल होगा।

राज्यपाल बागडे ने कहा कि यहां आकर आज बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि हम अपने आप को जानते हुए कार्य करें तो सब सफल हो। ब्रह्मा कुमारीज बहुत ही अच्छे विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रही है। समाज में नैतिकता का पतन हुआ है ऐसे में आध्यात्मिकता व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति में व्यक्तिव विकास, जीवन की स्वच्छता, विचारों की स्वच्छता पर जोर दिया गया है। भारतीय संस्कृति वशुधेव कुटुम्बकम पर आधारित है। सभी सुखी रहे, सभी निरोग रहें। राज्यपाल ने कहा कि यह सम्मेलन समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने, अध्यात्म का संदेश देने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। आध्यात्म का मार्ग संतुलन से जुड़ा है। भारतीय संस्कृति का सबसे मजबूत पक्ष है सुरक्षा, संरक्षा और सहयोग। सम्मलेन में होने वाले सार्थक सत्र के लिए बधाई शुभकामनाएं।

संस्थान के महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ हो रहा है, यह गर्व की बात है। आज विश्व के हालत अच्छे नहीं हैं, एसे में यह सम्मलेन विश्व को शांति, अध्यात्म और एकता का संदेश देगा। ऐसे में हम सभी का ध्यान परमात्मा की ओर जाता है। भागवत गीता में लिखा है कि कल्प के आदि में ब्रह्मा ने यज्ञ रचा था जिससे नए युग की उत्पति हुई। उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि खुद को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करेंगे तो आत्मा पावन बन जाएगी और इसी से यह दुनिया स्वर्णिम दुनिया बनेगी।

इससे पूर्व प्रातः राष्ट्रपति मुर्मु ने 3.30 बजे से ध्यान साधना से दिन की शुरुआत की। राष्ट्र्पति ने पाैधराेपण कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया। संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी ने कहा कि अभी हम नवरात्र में देवियों की पूजा कर रहे हैं। शिव शक्ति ही दुनिया में स्वस्थता, स्वच्छता और शांति स्थापन कर सकती है। मेडिटेशन कराते हुए उन्होंने सभी को संकल्प दिया कि मैं एक ज्योति पुंज आत्मा हूं। मैं आत्मा इस पांच तत्वों की दुनिया से दूर परमधाम की निवासी हूं। परमात्मा सर्व शक्तिवान शांति का सागर, प्रेम के सागर हमें याद दिलाते हैं। हे आत्मा तुम्हारा असली घर परमधाम है। संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रसाशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मोहिनी दीदी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति यह संकल्प लें कि हम अपने जीवन में दिव्य गुणों की धारणा करेंगे। परमात्मा इस धरा पर विश्व शांति की स्थापना का कार्य कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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