सदन में प्रधानमंत्री के भाषण को सहयोगी दलों ने ठहराया सही तो विपक्ष हुआ हमलावर

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नई दिल्ली, 14 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सदन में ‘संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आपातकाल को लेकर कहा कि कांग्रेस के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा। प्रधानमंत्री के इस भाषण को जहां भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल तथ्यपरक और सच्चा विश्लेषण बता रहे हैं। वहीं विपक्षी पार्टियां मुख्यतः कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोई नई बात नहीं की। हर बार की तरह सिर्फ मुख्य विपक्षी दलों पर आरोप मढ़े।

कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण में कुछ नया नहीं था। सिर्फ विपक्ष के खिलाफ आरोप लगाए गए। कांग्रेस ने कल और आज खुलासा कर दिया कि पूरी सरकार अदानी के लिए चल रही है।

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ भी नया या रचनात्मक नहीं कहा। उन्होंने मुझे बिल्कुल बोर कर दिया... मुझे लगा कि वे कुछ नया कहेंगे। उन्होंने 11 खोखले वादों के बारे में बात की। अगर उनमें भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस है, तो उन्हें कम से कम अदानी पर बहस करनी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, बहुत लंबा भाषण था...आज 11 जुमलों का संकल्प सुनने को मिला...जो लोग वंशवाद की बात करते हैं, उनकी पार्टी वंशवाद से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि एससी/एसटी, ओबीसी और दलितों का आरक्षण छीन लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही वह दिन आएगा जब जाति जनगणना होगी और लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से अधिकार और सम्मान मिलेगा।

समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने कहा, हम निराश हैं कि उन्होंने (पीएम मोदी) संविधान के बारे में बात की लेकिन उन्होंने संभल, यूपी में कानून और व्यवस्था की स्थिति, अल्पसंख्यकों के अधिकार और मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने लोगों के मुद्दों को संबोधित नहीं किया।

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने भी पीएम मोदी के लोकसभा में दिए भाषण पर निशाना साधा। तृणमूल की तरफ से सोशल मीडिया एक्स पर लिखा गया- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अघोषित संकल्प - मणिपुर पर चुप रहना।

सीपीआई सांसद पी संदोश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण, खासकर संसद में, हमेशा एक फिक्स्ड मैच की तरह होता है। हम शुरू से ही परिणाम जानते हैं। फिर चाहे वो आधे घंटे का हो या फिर एक घंटे का हो। भाषण का 90 फीसदी समय जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी पर केंद्रित है। यह सच्चाई है कि भारतीय संविधान को वास्तविक रूप देने में नेहरू का बड़ा योगदान था।

वहीं, एनडीए के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण की तारीफ करते हुए कांग्रेस का सही चेहरा सबके सामने लाने वाला बताया।

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, आपातकाल देश की संवैधानिक यात्रा का सबसे काला अध्याय है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए लोगों के अधिकार छीने गए, विपक्षी नेताओं को जेल में बंद किया गया, सेंसर लगाया गया... ये(विपक्ष) हमसे बात करते हैं?... जब 75 साल की बात कर रहे हैं तो (आपातकाल के)काले अध्याय को बताना जरूरी है।

जेडीयू नेता केसी त्यागी कहते हैं, ''...कांग्रेस शासन के दौरान कई बार संविधान और संवैधानिक मूल्यों की न केवल अनदेखी की गई बल्कि उनका अपमान भी किया गया...यह (आपातकाल) भारत की संवैधानिक राजनीति का सबसे काला अध्याय था।'' कांग्रेस पार्टी उसके लिए कभी माफ़ नहीं किया जा सकता।”

बतादें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को लेकर शनिवार को लोकसभा में कहा कि विपक्षी दल के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा। पीएम मोदी ने सदन में 'संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा' पर चर्चा का जवाब देते हुए नेहरू-गांधी परिवार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय

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