भारत की प्रगति और पहचान की भाषा है संस्कृत : प्रधानमंत्री

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भारत की प्रगति और पहचान की भाषा है संस्कृत : प्रधानमंत्री


नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में भाषा को मजबूत करने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए शुक्रवार को कहा कि संस्कृत न केवल परंपराओं की भाषा है बल्कि यह हमारी प्रगति और पहचान की भी भाषा है।

प्रधानमंत्री ने आज चित्रकूट में तुलसी पीठ के दर्शन किये। उन्होंने कांच मंदिर में पूजा और दर्शन किये। उन्होंने तुलसी पीठ के जगद्गुरु रामानंदाचार्य का आशीर्वाद प्राप्त किया और एक सार्वजनिक समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने 'अष्टाध्यायी भाष्य', 'रामानंदाचार्य चरितम' और 'भगवान श्री कृष्ण की राष्ट्रलीला' नामक तीन पुस्तकों का विमोचन किया।

इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने हजारों साल पुराने गुलामी के दौर में भारत की संस्कृति और विरासत को उखाड़ने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत भाषा के अलगाव का जिक्र किया। उन्होंने उस गुलामी की मानसिकता की ओर इशारा किया, जिसे कुछ व्यक्तियों द्वारा आगे बढ़ाया गया, जिसके परिणामस्वरूप संस्कृत के प्रति शत्रुता की भावना पैदा हुई। मोदी ने कहा, “गुलामी के एक हजार साल के कालखंड में भारत को तरह-तरह से जड़ों से उखाड़ने के कई प्रयास किए गए। संस्कृत भाषा को पूरी तरह से नष्ट करने का प्रयास किया गया। हम आजाद हुए लेकिन गुलामी की मानसिकता वाले लोग संस्कृत के प्रति बैर भाव पालते रहे। संस्कृत भाषा जानने को ये पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं।”

उन्होंने कहा कि दुनिया में इन हजारों वर्षों में कितनी ही भाषाएं आईं और चली गईं। नई भाषाओं ने पुरानी भाषाओं की जगह ले ली लेकिन हमारी संस्कृति आज भी उतनी ही अक्षुण्ण और अटल है। संस्कृत समय के साथ परिष्कृत तो हुई लेकिन प्रदूषित नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस स्थायित्व के आधार में संस्कृत का परिपक्व व्याकरण निहित है। मात्र 14 महेश्वर सूत्रों पर आधारित यह भाषा शास्त्र और सहस्त्र (उपकरण और विद्वता) की जननी रही है। उन्होंने कहा, “आप भारत में जिस भी राष्ट्रीय आयाम को देखें, आप संस्कृत के योगदान को देखेंगे।”

मोदी ने कहा कि दूसरे देश के लोग मातृभाषा जानें तो ये लोग प्रशंसा करेंगे लेकिन संस्कृत भाषा जानने को ये पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं। इस मानसिकता के लोग पिछले एक हजार साल से हारते आ रहे हैं और आगे भी कामयाब नहीं होंगे।

अमृत काल में प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि देश विकास और विरासत को साथ लेकर चल रहा है। मोदी ने तीर्थ स्थलों के विकास पर जोर देने का उल्लेख करते हुए कहा, “चित्रकूट में आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता भी है।” उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर का जिक्र किया और कहा कि इससे क्षेत्र में नये अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि चित्रकूट विकास की नई ऊंचाइयों को छुयेगा। उन्होंने जगद्गुरु रामानंदाचार्य को भी नमन किया।

इस अवसर पर तुलसी पीठ के जगद्गुरु रामानंदाचार्य, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल

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