प्रधानमंत्री सोमवार को अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे
- प्रधानमंत्री कुबेर टीला जाएंगे, जहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है
- प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक एवं धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे
नई दिल्ली, 21 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे। इससे पहले अक्टूबर, 2023 में प्रधानमंत्री को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट से निमंत्रण मिला था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समारोह में विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित सभी क्षेत्रों के लोग भी शामिल होंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री इस विशिष्ट सभा को संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण से जुड़े श्रमजीवियों से संवाद करेंगे। प्रधानमंत्री कुबेर टीला भी जाएंगे, जहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। वह इस पुनर्निर्मित मंदिर में पूजा और दर्शन भी करेंगे।
भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है; चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है और यह कुल 392 स्तंभों और 44 दरवाजों द्वारा समर्थित है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के चित्र प्रदर्शित हैं। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को रखा गया है।
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहां सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है। मंदिर में कुल पांच मंडप (हॉल) हैं - नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआ (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है। मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।
मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है। मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है। मंदिर का निर्माण देश की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक से किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील
/प्रभात
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