विरासत पर प्रधानमंत्री बोले, विदेशी दृष्टि और तुष्टिकरण से फैली अतिक्रमण और अव्यवस्था
नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। देश की विरासत को सहेजने के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को साबरमती में कहा, “ जो देश अपनी विरासत नहीं संजो पाता, वो देश अपना भविष्य भी खो देता है।”
उन्होंने पिछली सरकारों पर विरासत की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विदेशी दृष्टि से भारत को देखने और तुष्टिकरण की मजबूरी के चलते अतिक्रमण, अस्वच्छता, अव्यवस्था आदि ने हमारी विरासतों को घेर लिया था। इसके चलते भारत की विरासत, हमारी महान धरोहर ऐसे ही तबाह होती रही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज साबरमती आश्रम का दौरा कर कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया तथा गांधी आश्रम स्मारक के मास्टर प्लान का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और हृदय कुंज का दौरा किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और एक पौधा भी लगाया।
विरासत के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने साबरमती आश्रम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस आश्रम को न्याय नहीं मिला। बापू का यह आश्रम कभी 120 एकड़ में फैला हुआ था लेकिन समय के साथ विभिन्न दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से यह महज 5 एकड़ में सिमट कर रह गया। यहां पर्यटकों के लिए 63 छोटे-छोटे घर हुआ करते थे लेकिन अब सिर्फ 36 घर ही बचे हैं।
बापू के ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भर भारत के सपने को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियों की गुलामी के कारण देश हताशा का शिकार हो रहा था। ऐसे में बापू ने आशा और विश्वास भरा। आज उनका विजन हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा दिखाता है। उन्होंने कहा कि बापू का साबरमती आश्रम देश ही नहीं बल्कि मानवजाति की ऐतिहासिक धरोहर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार गांधीजी के आदर्शों पर चल रही है। गांव-गरीब के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है। आत्मनिर्भर भारत अभियान चला रही है। आज गांव मजबूत हो रहे हैं। ग्राम स्वराज का विजन साकार हो रहा है। हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बार फिर से महिलाएं अहम भूमिका निभा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनूप/संजीव
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