2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो देश को कंगाली की राह पर ले जा रही थीं: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 09 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को श्वेत पत्र के बारे में बोलते हुए कहा कि 2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो वाकई देश को कंगाली की राह पर ले जा रही थीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट में विपक्ष पर हमला बोला। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो वाकई देश को कंगाली की राह पर ले जा रही थीं। इस बारे में संसद के इसी सेशन में एक श्वेत पत्र भी रखा गया है।
उन्होंने कहा कि पहले एसी कमरों में बैठकर गरीबी हटाने की फॉर्मूले पर डिबेट होती रही और गरीब, गरीब ही बना रहा। लेकिन 2014 के बाद जब गरीब का बेटा प्रधानमंत्री हुआ तो गरीबी के नाम पर चल रही ये इंडस्ट्री ठप हो गई। क्योंकि गरीबी से निकलकर मैं यहां तक पहुंचा हूं, इसलिए गरीबी क्या होती है मुझे पता है। पिछले 10 साल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा शासन मॉडल दो धाराओं पर एक साथ आगे बढ़ रहा है। एक तरफ, हम 20वीं सदी की जो चुनौतियां विरासत में मिली हैं, उनको भी हल कर रहे हैं। दूसरी तरफ, 21वीं सदी की आकांक्षा को पूरा करने में भी जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के हर विकास विशेषज्ञ समूह में चर्चा है कि कैसे 10 साल में भारत ट्रांसफॉर्म हो चुका है। भारत के सामर्थ्य को लेकर दुनिया में ऐसा सकारात्मक भाव पहले कभी नहीं था। भारत की सफलता को लेकर दुनिया में ऐसा सकारात्मक भाव पहले कभी नहीं था। इसलिए ही लाल किले से मैंने कहा है-यही समय है, सही समय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है, जब सारी परिस्थितियां उसके फेवर में होती हैं। ये वो समय होता है जब वो देश अपने आपको, आने वाली कई-कई सदियों के लिए मजबूत बना लेता है। मैं भारत के लिए आज वही समय देख रहा हूं।
प्रधानमंत्री ने समिट की थीम -व्यवधान, विकास और विविधीकरण को आज के इस दौर में बहुत ही अहम बताते हुए कहा कि इस चर्चा में हर कोई इस बात से सहमत है कि यह भारत का समय है। उन्होंने कहा कि ये वो समय है- जब हमारी ग्रोथ रेट लगातार बढ़ रही है और राजकोषीय घाटा घट रहा है। ये वो समय है- जब हमारा निर्यात बढ़ रहा है और चालू खाता घाटा कम होती जा रही है। ये वो समय है जब हमारा उत्पादक निवेश रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और महंगाई नियंत्रण में है। अवसर और आय दोनों बढ़ रही हैं और गरीबी कम हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे बजट या फिर समग्र नीति निर्माण की चर्चा करेंगे, तो आपको इसमें कुछ प्रथम सिद्धांत दिखेंगे। और वो हैं - स्थिरता, अविरोध और निरंतरता। हमारे हर बजट में आपको चार कारक प्रमुख रूप से अवश्य दिखेंगे। पहला- पूंजीगत व्यय के रूप में रिकार्ड उत्पादक खर्च, दूसरा- कल्याणकारी योजनाओं पर अभूतपूर्व निवेश, तीसरा- फिजूलखर्च पर नियंत्रण और चौथा- वित्तीय अनुशासन। उन्होंने कहा कि हमने प्रोजेक्ट तेजी से पूरा करना और उन्हें समय पर खत्म करके भी देश के काफी पैसे बचाए। समयबद्ध तरीके से प्रोजेक्ट पूरे करना हमारी सरकार की पहचान बनी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए संसद भवन का निर्माण कितनी तेजी से हुआ। कर्तव्य पथ हो, मुंबई का अटल सेतु हो इनके निर्माण की गति देश ने देखी है। इसलिए ही आज देश कहता है जिस योजना का शिलान्यास मोदी करता है, उसका लोकार्पण भी मोदी करता है।
मैं वर्तमान पीढ़ी के साथ ही, आने वाली अनेकों पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हूं। मैं सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी पूरी करने जाना नहीं चाहता हूं, मैं आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करके जाना चाहता हूं।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील
/आकाश
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