न्याय व्यवस्था से नागरिकों के मौलिक कर्तव्य बरकरार : उपराष्ट्रपति

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न्याय व्यवस्था से नागरिकों के मौलिक कर्तव्य बरकरार : उपराष्ट्रपति


- उपराष्ट्रपति ने न्याय प्रणाली को देश का मजबूत स्तम्भ बताया

जोधपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि न्याय व्यवस्था ने ही देश के नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को बरकरार रखा हुआ है। वे शनिवार काे यहां बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान रोल ऑफ ज्यूडिशरी इन इमर्जिंग इंडिया विषय पर सेमिनार का भी आयोजन किया गया।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सभी को प्लेटिनियम जुबली की बधाई दी। उन्होंने अपने उद्बोधन में कई ऐसे केस व कोर्ट के फैसलों को जिक्र किया जिनके फैसलों से नागरिकों को मौलिक आजादी का फायदा मिल रहा है। उन्होंने न्याय प्रणाली को देश का मजबूत स्तम्भ बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानव जीवन का सबसे अनमोल पहलू स्वतंत्रता है। लोग लोकतंत्र से प्यार करते हैं क्योंकि वे स्वतंत्रता को अपनी जीवनरेखा मानते हैं। कानून प्रजा के लिए या बाहर से काम करने वाली संप्रभु शक्ति के लिए नहीं हैं, बल्कि वे हमारे से हैं, हमारे लिए हैं और हमें उन्हें वास्तविकता में अनुवादित करना है।

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति के साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एजी मसीह, न्यायाधीश संदीप मेहता, राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव, विधि मंत्री जोगाराम पटेल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन भुवनेश शर्मा सहित कई पूर्व न्यायाधीश व अधिवक्ताओं ने भी शिरकत की। समारोह में राजस्थान हाई कोर्ट के वर्तमान एवं पूर्व न्यायाधीश, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के वर्तमान एवं पूर्व सदस्य, प्रदेश में स्थित बार संघों के पदाधिकारी एवं अधिवक्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के पूर्व सदस्यों का सम्मान किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश / संदीप / पवन कुमार श्रीवास्तव

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