नौसेना ने मुंबई पुलिस को सौंपे समर्पण करने वाले 35 सोमालियाई समुद्री डाकू
- अपहृत जहाज एमवी रुएन को तीन माह बाद नौसेना ने सोमालियाई डाकुओं से छुड़ाया था
- नौसेना के युद्धपोत पर अरब सागर में गोलीबारी करके समुद्री डाकू भाग रहे थे सोमालिया
नई दिल्ली, 23 मार्च (हि.स.)। अरब सागर में 16 मार्च को भारतीय नौसेना के सामने समर्पण करने वाले 35 सोमालियाई समुद्री डाकुओं को लाकर मुंबई पुलिस को सौंप दिया गया है। इनके कब्जे से छुड़ाए गए चालक दल के 16 सदस्य भी शनिवार को मुंबई लाये गए हैं। इन समुद्री डाकुओं ने पिछले साल दिसंबर में माल्टा के व्यापारिक जहाज एमवी रुएन को चालक दल समेत अपहृत करके रखा था। पिछले हफ्ते नौसेना ने जब इन लुटेरों को घेरा तो इन समुद्री डाकुओं ने ड्रोन को मार गिराया और नौसेना के युद्धपोत पर गोलीबारी भी की लेकिन 40 घंटे से अधिक समय तक चले ऑपरेशन के दौरान भारतीय कमांडो के सामने सरेंडर करना पड़ा।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार के अनुसार समुद्री सुरक्षा अभियानों के तहत भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में व्यापक निगरानी कर रही है, जिसमें यातायात की निगरानी भी शामिल है। इसके बावजूद अरब सागर से गुजर रहे माल्टा के व्यापारिक जहाज एमवी रुएन का सोमालियाई समुद्री डाकुओं ने पिछले साल 14 दिसंबर को 35 सदस्यीय चालक दल समेत अपहरण कर लिया था। तभी से यह जहाज समुद्री लुटेरों के कब्जे में था लेकिन 15 मार्च को गुरुग्राम स्थित सूचना केंद्र से इस जहाज के बारे में मिले इनपुट के आधार पर भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन शुरू करने के लिए युद्धपोत आईएनएस कोलकाता को भेजा। भारतीय जहाज ने समुद्री डाकू जहाज की निगरानी शुरू कर दी लेकिन आईएनएस कोलकाता को देखते ही जहाज ने रास्ता बदल दिया और सोमाली तट की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। जहाज के ऊपरी डेक पर कई सशस्त्र समुद्री डाकू देखे गए।
इसके बाद भारतीय नौसेना ने समुद्री डाकुओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए। आईएनएस कोलकाता ने सोमालिया से लगभग 260 नॉटिकल मील पूर्व में जहाज को रोकने का निर्देश दिया। युद्धपोत कोलकाता ने 15 मार्च की सुबह एमवी रुएन को रोका और ड्रोन लॉन्च किया लेकिन समुद्री डाकुओं ने ड्रोन को मार गिराया और युद्धपोत पर गोलीबारी भी की। इसके बाद 16 मार्च को इस ऑपरेशन में गश्ती पोत आईएनएस सुभद्रा भी शामिल हुआ। उसी दिन दोपहर में वायु सेना के सी-17 परिवहन विमान से एमवी रुएन के आसपास समुद्री कमांडो को एयरड्रॉप कराया गया। इसके अतिरिक्त हेल आरपीए और पी-8आई समुद्री टोही विमान की मदद से जहाज की निगरानी की जा रही थी।
इस तरह मजबूत घेराबंदी करने के बाद आईएनएस कोलकाता ने समुद्री डाकू जहाज के करीब अपनी स्थिति बनाए रखते हुए सटीक कार्रवाई की। लगभग 40 घंटे चले ऑपरेशन के बाद सभी 35 समुद्री लुटेरों ने 16 मार्च को दोपहर में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद नौसेना ने समुद्री डाकुओं के कब्जे से जहाज एमवी रुएन को छुड़ाकर जहाज पर मौजूद चालक दल के 17 सदस्यों को बिना किसी चोट के सुरक्षित निकाल लिया। नौसेना की टीम ने जहाज को अवैध हथियारों, गोला-बारूद और प्रतिबंधित पदार्थों से मुक्त कर दिया। इसके बाद लुटेरों और चालक दल के सदस्यों को भारत की ओर रवाना किया गया। सीमा शुल्क और आव्रजन की औपचारिकता पूरी करने के बाद इन 35 सोमाली समुद्री लुटेरों को आज मुंबई पुलिस को सौंप दिया गया। नौसेना डॉकयार्ड, मुंबई के दृश्यों में समुद्री लुटेरों को एक कतार में खड़े दिखाया गया, क्योंकि मुंबई पुलिस ने उन्हें चेस्ट नंबर दिए थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम
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