जल सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी जरूरी : गजेंद्र सिंह शेखावत
नई दिल्ली, 24 जनवरी (हि.स.)। देश की जल सुरक्षा को मजबूत करने के मुख्य उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय सचिव सम्मेलन बुधवार को महाबलीपुरम, चेन्नई (तमिलनाडु) में संपन्न हो गया। इस दौरान एक मंत्रिस्तरीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पानी के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए नए उपायों के साथ एक दूसरे के सहयोग की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में जल सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी जरूरी है।
जल विजन @ 2047 - आगे का रास्ता विषय के साथ आयोजित अखिल भारतीय सचिव सम्मेलन में 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 30 सचिवों और 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक के दौरान 5- 6 जनवरी को भोपाल, मध्य प्रदेश में आयोजित जल पर प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक राज्य मंत्रियों के सम्मेलन की 22 सिफारिशों पर की गई कार्रवाई को साझा किया गया।।
इन सिफारिशों में पीने के पानी और उसके स्रोत की स्थिरता को प्राथमिकता देना, जलवायु लचीलेपन का निर्माण करना, मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों का प्रबंधन, बड़े और छोटे दोनों स्तरों पर जल भंडारण को बढ़ाना, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग, जल उपयोग की दक्षता बढ़ाना शामिल है। हर स्तर पर जल संरक्षण कार्यक्रमों को तेज करना, नदियों को आपस में जोड़ने को प्रोत्साहित करना, नदी के स्वास्थ्य की निगरानी करना और पर्यावरणीय प्रवाह को बनाए रखना और लोगों की भागीदारी के साथ उचित बाढ़ प्रबंधन उपाय करना भी शामिल रहा।
प्रधान मंत्री ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया है। इसके मद्देनजर सचिवों के दस क्षेत्रीय समूह (एसजीओएस) यथार्थवादी समय सीमा और मील के पत्थर निर्धारित करते हुए योजना का खाका तैयार कर रहे हैं। सचिवों के सम्मेलन ने कार्रवाई में तेजी लाने के लिए इन सिफारिशों पर अमल किया।
इस सम्मेलन में इन विषय-गत क्षेत्रों पर कुल मिलाकर 30 अनुकूलित प्रस्तुतियां दी गईं। इनमें राज्यों द्वारा की गई विभिन्न पहलों का वर्णन किया गया। क्यूरेटेड प्रकाशन का एक डिजिटल संग्रह इस सम्मेलन का विशेष आकर्षण था, जिसमें सम्मेलन के पांच विषयों पर पानी से संबंधित मुद्दों से संबंधित 150 से अधिक प्रासंगिक प्रकाशनों, शोध निष्कर्षों और साहित्य का सावधानीपूर्वक चयन, संगठन और प्रस्तुति शामिल थी।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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