विभाजन के चार जिम्मेदार- अंग्रेज, मुस्लिम लीग, वामपंथ और कांग्रेसः शिवप्रकाश
रायपुर, 14 अगस्त (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने धर्म के आधार पर हुए देश विभाजन को लेकर कहा कि विभिन्न लोगों ने लिखा है कि इसके लिए चार पात्र जिम्मेदार थे। पहला अंग्रेज थे। हमारे देश के ऊपर शासन करने वाले अंग्रेज इसके लिए दोषी थे। अंग्रेजों ने विभाजन का बीज बोया। हिन्दू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा करके उन्होंने यह काम किया। विभाजन के लिए दूसरा पात्र मुस्लिम लीग जिम्मेदार था। मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव पास किया था कि हमें भारत में नहीं रहना है, अलग देश चाहिए। गांधी जी के राष्ट्रभक्ति पर प्रश्नचिह्न नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा था कि देश का विभाजन मेरी लाश पर होगा, लेकिन विभाजन हो गया और वह जीवित रहे। इस विभाजन का तीसरा पात्र है कांग्रेस। उस वक्त कांग्रेस का लचर और सत्ता प्रेमी नेतृत्व इसका कारण रहा और चौथा पात्र रहा वामपंथ। कांग्रेस और अंग्रेजों की इस लड़ाई को बुर्जुआ लड़ाई कहकर वामपंथी अंग्रेजों के साथ खड़े हो गए थे। शिव प्रकाश भाजपा के तत्वावधान में बुधवार को यहां विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर मेडिकल कालेज सभागार में आयोजित एक महती संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
भाजपा राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि विभाजन की विभीषिका के रूप में विभाजन की त्रासदी को याद करने और नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त 2021 से इस दिवस के आयोजन की परंपरा को शुरू किया। हमारे देश का एक महाविनाशकारी विभाजन हुआ। शिव प्रकाश ने कहा कि जो समाज, देश पीछे की ओर अपनी भूलों का स्मरण कर वर्तमान को सुधारते हुए भविष्य का एक सुनहरा चित्र प्रस्तुत करता है। भविष्य के सपने बुनने का काम करता है, वह समाज आदर प्राप्त करता है। जब हम इतिहास से सीख नहीं लेते, तब गलतियों की पुनरावृत्ति होती है और इसलिए बार-बार ऐसे संकट जो हमारे देश के समक्ष आए, हमारे सामने प्रस्तुत हुए, उससे सीख लेकर पिछली गलतियों को सुधारते हुए और आगे के लिए सही नीति का का क्रियान्वयन हो। यह हमारे लिए, हमारे समाज और देश के लिए आवश्यक है। आज का यह दिन हमको इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है और इसलिए संपूर्ण देश के अंदर भारत विभाजन दु:खांतिका का स्मरण कराने का काम हम कर रहे हैं।
शिव प्रकाश ने कहा कि जब देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता के जश्न में डूबा था, उसी समय देश के अंदर लाखों लोगों के घर लूटे गए, उनकी अपनी खुद की भूमि से उनको अलग होना पड़ा, हमारे ही समान उन्होंने भी स्वतंत्रता के लिए आंदोलन किया था, वह भी जेल गए। कांग्रेस के अधिवेशन लाहौर कराची के अधिवेशन में भी गए थे। आंकड़ों में बोलना हो तो अलग-अलग प्रकार के लोगों ने अलग-अलग प्रकार के आंकड़े दिए हैं। 2 लाख से लेकर 20 लाख तक की संख्या की आबादी विभाजन के कारण हत्या की शिकार हुई। डेढ़ करोड़ लोगों की आबादी के अपनी भूमि से निर्वासित होना पड़ा और 78 हजार वर्ग मील भूमि हमारे हाथ से चली गई। भारत माता खंडित हो गई। हमारी सनातनी परंपरा के अंतर्गत खंडित प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती है। इस भारत माता की भी हमारे क्रांतिकारियों ने साक्षात् देवी के रूप में वंदना की थी। बंकिमचंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम में भारत माँ को लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा कहा, वह मां जिसकी स्वतंत्रता के लिए असंख्य क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व त्याग किया था वह प्रतिमा खंडित हो गई।
भाजपा राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि विभाजन के बाद जब हम अमृतसर के लिए लाहौर और कराची से चलते थे, वहां से हजारों लोग चले थे पर भारत आते-आते यह संख्या महज 10, 20, 25 बचती थी। जो बांग्लादेश में अभी हो रहा है, अभी उसकी कल्पना करके देखें तो उस समय की विभीषिका कितनी भयानक रही होगी? आज का जो कोलकाता है, वहां जब मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन किया तब 10 हजार लोगों का कत्ल हुआ था। एयरपोर्ट पर पैर रखने के लिए जगह नहीं थी और लोग लाशों के ऊपर चल रहे थे। शिवप्रकाश ने दुर्गादास और रा. स्व. संघ के सर कार्यवाह रहे एच.वी. शेषाद्रि की पुस्तक 'और देश बंट गया' का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे देश के ऊपर शासन करने वाले साम्राज्यवादी शक्तियों के प्रतीक अंग्रेजों को जब ऐसा लगा कि देश का देश को छोड़कर जाना ही पड़ेगा तो जाते-जाते वह इसका विभाजन कर गए। अंग्रेज सोचते थे कि यहां भारत पाक संघर्ष होता रहेगा,हम पंच के रूप में यहां पर नेता बने रहेंगे, भारत कमजोर रहेगा। इसलिए उन्होंने विभाजन के बीज बोने का काम किया। 1857 स्वाधीनता का जो प्रथम समर है, उसमें कहीं हिंदू और मुस्लिम का भेद नहीं दिखता है। बहादुरशाह जफर के नेतृत्व में भारत अपनी स्वतंत्रता के लिए निकला। अंग्रेज जानते थे कि अगर यह स्वतंत्रता की लड़ाई मिलकर लड़ते रहेंगे तो हम लंबे समय तक शासन नहीं कर पाएंगे, इसलिए मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में ढाका में हुई और फूट डालो-राज करो की नीति पर काम किया। टू-नेशन थ्योरी के तहत दो ही राष्ट्र मुस्लिम देश अलग, हिंदू राष्ट्र अलग। इसके लिए मुस्लिम लीग ने 1940 में कहा हम भारत में नहीं रह सकते हैं। यदि राष्ट्र का आधार धर्म है तो पाकिस्तान ,पूर्वी पाकिस्तान, आज का पाकिस्तान और बांग्लादेश का विभाजन क्यों हुआ? अफगानिस्तान और पाकिस्तान क्यों संघर्ष हुआ? दोनों ही मुस्लिम देश हैं। इस तरह एक गलत सिद्धांत को रचने का काम किया गया।
भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि तत्कालीन नेतृत्व ने काश धैर्य का परिचय दिया होता तो यह विभाजन नहीं होता। विभाजन तय होने के बाद जिन्ना जब कराची पहुँचे तो अपने एड़ीसी से उन्होंने कहा कि मुझे कल्पना नहीं थी इतनी जल्दी पाकिस्तान मिल जाएगा और कांग्रेस मान जाएगी। पाकिस्तान बनने के 11 महीने के बाद जिन्ना का इंतकाल हो गया। इसी प्रकार आजाद हिंद फौज के बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारतीय नेताओं ने धैर्य का परिचय नहीं दिया। अंग्रेजों को लगता था कि आजाद हिंद फौज के सैनिकों की फौज उनके साथ खड़ी रही तो हम विभाजन नहीं कर सकते, इसलिए विभाजन की जो तारीख तय हुई थी, अंग्रेज उससे जल्दी भारत छोड़कर चले गए। शिवप्रकाश ने कहा कि 1905 में अंग्रेज बंग भंग लेकर आई थी। 1916 के लखनऊ अधिवेशन के बाद इस देश में एक परंपरा, जिसके दंश भारत आज भी भुगत रहा है, तुष्टीकरण शुरू हुई। हिंदी के नाम पर हिंदुस्तानी भाषा का नामकरण किया गया। तुष्टिकरण कल्चर से भारत झुकता चला गया।
शिव प्रकाश ने कहा कि आज जो भारतीय जनता पार्टी की स्थिति है, उसको हराने के लिए कांग्रेस प्रयास कर रही है। आज इतना आगे आने के बाद हमको विचार करना पड़ रहा है कि विभाजन से क्या मिला? हम तो किसी प्रकार से सम्हल रहे हैं लेकिन पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति क्या है? भीख का कटोरा लेकर संपूर्ण दुनिया के अंदर घूम रहा है और चीन और अमेरिका का पिछलग्गू बनकर मोहरा बनकर काम कर रहा है। अगर भारत एक होता तो दुनिया का सबसे समृद्ध और शक्तिशाली देश होता। इस देश के अंदर संविधान का गौरव बढ़ाने का काम पिछले 10 वर्षों में श्री मोदी ने किया। यह कांग्रेस ने नहीं किया था लेकिन कहा गया कि वह संविधान बदल देगा। जिन्होंने बाबा साहब को चुनाव नहीं जीतने दिया, वे लोग कह रहे हैं कि संविधान बदल देंगे। शिवप्रकाश ने आग्रह किया कि पहले समाज के लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि सत्य क्या है? और हम स्वयं ही सत्य बोलें। इसकी जानकारी भी इकट्ठा करें, इसका अध्ययन भी करें और अपने आने वाली पीढ़ी को इस बारे में बताइए। इन राष्ट्र विरोधी ताकतों की असलियत को समझते हुए उनके फेक नैरेटिव से बचाना है।
राजधानी के मेडिकल कॉलेज सभागार में संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विचारक एवं फिल्म कलाकार मुकेश खन्ना तथा वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे।इस अवसर पर मनमोहन सिंह सैलानी, भीमनदास बजाज, मनुमल पृथ्वानी सहित विभाजन के दंश झेल चुके वरिष्ठ नागरिकों का शाल व स्मृति चिह्न देकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनुराग सिंहदेव ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा / चन्द्र नारायण शुक्ल / आकाश कुमार राय
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