मध्यप्रदेश के माच कलाकार पंडित ओमप्रकाश शर्मा को पद्मश्री सम्मान
भोपाल, 25 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश के पंडित ओमप्रकाश शर्मा को साल 2024 के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। पंडित शर्मा को भारत में माच लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्होंने मालवी भाषा में माच के लिए कई नाटक लिखे। उन्होंने थिएटर प्रस्तुतियों के लिए संगीत भी तैयार किया। इस लोक कला में युवा कलाकारों को प्रशिक्षण भी दिया।
दरअसल, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया है। यह पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान देने वाले शख्सियतों को दिया जाता है। इस बार 33 विभूतियों को पद्मश्री देने का फैसला किया गया है। इन्हीं महान हस्तियों में से एक हैं पंडित ओमप्रकाश शर्मा। उनकी गिनती उन शख्सियतों में होती है, जिन्होंने अपनी जिंदगी का लंबा वक्त मालवा क्षेत्र की लोक नाट्य परंपरा 'माच' को बचाए रखने में गुजारा। लोक नाट्य परंपरा 'माच' करीब 200 साल पुराना है।
85 वर्षीय ओमप्रकाश शर्मा पहचान एक 'माच' थियेटर आर्टिस्ट के तौर पर है। उन्होंने माच गायन शैली के अलावा उसे रंगमंच की विधा से भी जोड़ा और 18 नाटक लिखे। उन्होंने सात दशक तक इस लोक नाट्य परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। मालवी माच गीत और नाटकों के साथ उन्होंने देशभर में कई शहरों में प्रस्तुतियां दीं। ओमप्रकाश शर्मा माच विधा से लोक कला में रुचि रखने वाले युवा कलाकारों को भी जोड़ने का काम कर रहे हैं।
क्या है माच शैली
माच हिंदी शब्द मंच का अनुवाद है। माच का प्रदर्शन पहले होली के त्योहारों के आसपास किया जाता है। करीब 150 साल पहले मालवा क्षेत्र के अखाड़ों में माच का प्रदर्शन मनोरंजन के लिए होता था। बाद में ओमप्रकाश शर्मा के दादा दौलतगंज अखाड़े के उस्ताद कालूराम ने माच के लिए नाटक लिखे। उन्हें जयसिंह पुर अखाड़े के उस्ताद बालमुकुंद का साथ मिला। ओमप्रकाश ने भी अपने दादा से ही माच गायन शैली सीखी और बाद में उन्होंने भी नाटक लिखना शुरू किए। धीरे-धीरे इस कला ने जोर पकड लिया और त्योहारों पर मालवा बेल्ट में कलाकार इसे प्रदर्शित करने लगे। माच गीतों में बड़े ढोलक, सारंगी व अन्य वाद्ययंत्रों को उपयोग होता है। अब हारमोनियम का उपयोग भी कलाकार करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात
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