सूरत में सिर्फ 100 घंटे के नवजात के अंगदान की देश में पहली घटना
- जन्म के बाद ब्रेनडेड घोषित नवजात के परिजनों ने लिया बड़ा निर्णय
- नवजात के अंगदान से पांच बालकों को मिलेगा जीवनदान
सूरत, 28 अक्टूबर (हि.स.)। जन्म के बाद आंख भी ठीक से नहीं खुली और धरती पर मात्र 100 घंटे रहकर एक नवजात ने पांच बालकों के जीवन में आशा की किरण भर दी। सूरत के अमरोली क्षेत्र में रहने वाले और हीरा कारखाना में काम करने वाले अनूप ठाकोर की पत्नी वंदना ने बालक को जन्म दिया था। जन्म के बाद नवजात रोता नहीं था और ना, ही कोई हलचल ही कर रहा था। उसे दीप चिल्ड्रन हॉस्पिटल कतारगाम में दाखिल कराया गया। नवजात को ठीक करने की जब सारी कोशिश व्यर्थ गई तो जीवनदीप ऑर्गनडोनेशन फाउंडेशन के प्रयत्नों से ब्रेनडेड घोषित नवजात को लेकर परिजनों ने बड़ा फैसला किया। नवजात के अंगदान के लिए वे राजी हो गए, जिससे पांच बालकों के जीवन में रोशनी भरेगी।
जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के अनुसार अमरोली में रहने वाले अनुपसिंह ठाकोर और उनका परिवार पांडुरंग दादा स्वाध्याय परिवार का अनुयायी है। मूल आणंद जिले की बोरसद तहसील के देदेडा के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी वंदना को प्रसूति के दौरान अंदरुनि रक्तस्राव बढ़ने के कारण सिजेरियन किया गया। नवजात जन्म के साथ ही रोया नहीं और किसी प्रकार की हलचल नहीं कर रहा था। नवजात की श्वास बंद होती देख उसे तत्काल कतारगाम के दीप चिल्ड्रन अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉ दर्शन धोलकिया ने नवजात के श्वास को शुरू करने के लिए इंजेक्शन देकर कुछ ही क्षणों में उसे सामान्य कर दिया। इसके बाद इलाज शुरू कर दिया गया। लेकिन, 48 घंटे के बाद बालक में किसी न्यूरोलॉजिकल इम्प्रूवमेंट नहीं होने पर बालकों के मस्तिष्क के विशेषज्ञ डॉ मयंक देत्रोजा से जांच कराई गई। डॉक्टर ने जांच की तो नवजात के ब्रेनडेड होने की जानकारी मिली। इसके बाद कई अन्य रिपोर्ट कराए गए लेकिन मस्तिष्क में किसी प्रकार की गतिविधि नहीं पाई गई। इसके बाद डॉ दर्शन धोलकिया, डॉ मयंक देत्रोजा, डॉ संजय कुंभाणी, डॉ गौतम खाखरिया की टीम ने नवजात को ब्रेनडेड घोषित कर दिया। अनुपसिंह ठाकोर के परिवार में बालक आने की खुशी के समय आघात लगा। ऐसे समय में ब्रेनडेड बालक का भी अंगदान हो सकता है, इस विषय में जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के डॉ निलेश काछडिया और विपुल तलाविया ने जानकारी दी। कुछ दिन पूर्व ही सूरत में 5 दिन के नवजात का सफलतापूर्वक अंगदान कराया गया था, इस सूचना से भी परिवार को अवगत कराया गया। अनूप ठाकोर ने बताया कि इसके बाद उनके परिवार ने संतान के अंगों के दान का निर्णय किया। परिवार में भगवद् गीता के संस्कारों की दृढ़ता होने से इस पर विश्वास रखते हुए जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन को अंगदान के लिए सहमति प्रदान की। जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के ट्रस्टी पी एम गोंडलिया, विपुल तलाविया और समाज के अग्रणियों ने अंगदान के लिए स्टेट ऑर्गन एंड टीस्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) से सम्पर्क किया। नवजात के कई जांच के उपरांत अंगदान के लिए उसे मदर केयर हॉस्पिटल में ले जाया गया। आईकेडीआरसी की मदद से बालक की दो कीडनी, तिल्ली और आंख लोकदृष्टि चक्षुबैंक की मदद से दान में ली गई। नवजात के अंगों को छोटे बालकों में ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद/प्रभात
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।