उप राष्ट्रपति ने जताई चिंता, बोले- देश विरोधी नेरेटिव्स फैला लोकतंत्र को चुनौती दे रहा विपक्ष
-निजी हित के लिए देश की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिष्ठा को कर रहे नजरअंदाज
-देश की उन्नति को परिभाषित करता है अनुसंधान और विकास
देहरादून, 31 अगस्त (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की भावना को चुनौती देने वाले लोग वे हैं जो कभी सत्ता में थे या महत्वपूर्ण पदों पर थे। संकीर्ण पार्टीगत हितों की पूर्ति के लिए वे देश विरोधी नेरेटिव्स फैला रहे हैं और लोकतंत्र की तुलना पड़ोसी देशों की प्रणालियों से कर रहे हैं।
युवाओं को चेतावनी देते हुए धनखड़ ने कहा कि ये लोग हमें भटकाने की पूरी कोशिश करते हैं। अपने वास्तविक इरादों को छिपाते हुए वे देश की अभूतपूर्व वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। देश की आर्थिक उन्नति और वैश्विक मंच पर इसकी शानदार वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं।
उन्होंने भारत के स्थिर लोकतंत्र और पड़ोसी देशों की प्रणालियों की तुलना किए जाने की आलोचना की और पूछा- क्या हम कभी तुलना कर सकते हैं? उप राष्ट्रपति ने युवाओं से अपील की कि वे इन नेरेटिव्स का विरोध करें। उन्हें बेअसर करें और इन हानिकारक तुलनाओं को उजागर करें।
धनखड़ ने कहा कि भारत सबसे बड़ा और सबसे जीवंत लोकतंत्र है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो लगातार तीसरी बार कार्यरत हैं, को ऐसी अवमाननाओं का सामना नहीं करना चाहिए। ऐसा विचार किसी भी व्यक्ति के मन में कैसे उत्पन्न हो सकता है जो इस राष्ट्र, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र में विश्वास करता है? उन्होंने ऐसे नेरेटिव्स को दुष्ट और शब्दों से परे करार दिया।
देहरादून में शनिवार को सीएसआईआर-आईआईप में छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति धनखड़ ने जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती पर जोर दिया।
जलवायु न्याय की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है, इसलिए जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।
माता पृथ्वी के बच्चों के रूप में अपनी जिम्मेदारी को मानते हुए धनखड़ ने भारत द्वारा वैश्विक प्रतिबद्धताओं में स्थिरता को शामिल करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन भावना और सभ्यता की आत्मा को प्रतिबिंबित करते हुए भारत ने केवल घरेलू शासन में स्थिरता को शामिल नहीं किया है बल्कि वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भी मार्गदर्शन किया है, क्योंकि हम स्वयं को दुनिया से अलग नहीं मानते। हम कहते हैं कि दुनिया एक परिवार है- वसुधैव कुटुम्बकम।
धनखड़ ने भारत द्वारा वैश्विक बायोफ्यूल गठबंधन की स्थापना के ऐतिहासिक और व्यापक रूप से सराहे गए विकास को रेखांकित किया। उन्होंने इसे एक स्थायी ऊर्जा भविष्य की दिशा में भारत के महत्वपूर्ण कदम के रूप में वर्णित किया, जो स्थायी विकास में योगदान दे रहा है। उन्होंने 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी उल्लेखित किया, जिसमें परिवहन क्षेत्र में बायोफ्यूल के उपयोग का महत्वपूर्ण विस्तार शामिल है।
धनखड़ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने की ओर भी इशारा किया जो पहले एक दूर का सपना था, लेकिन अब वास्तविकता बन गया है। इन प्रगतियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ये उपाय सर्कुलर इकोनॉमी के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान कर रहे हैं। धनखड़ ने युवाओं से डी-साइलो करने और आज उपलब्ध विभिन्न अवसरों का पूरी तरह से उपयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों पर अत्यधिक ध्यान हमारे युवाओं पर भारी पड़ रहा है। यह चिंताजनक है। युवाओं को अद्भुत अवसरों से अनभिज्ञ रहना पड़ रहा है। आईएमएफ की सराहना याद रखें कि भारत निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है। यह निश्चित रूप से सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं था।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण
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