(अपडेट) एनएमडीसी से 1620 करोड़ रायल्टी वसूली के लिए दंतेवाड़ा कलेक्टर ने दिया नोटिस
रायपुर, 30 अगस्त (हि.स.)। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकारों को खनिज की रायल्टी लिए जाने के अधिकार के बाद दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएमडीसी) किरंदुल काम्प्लेक्स को शुक्रवार को नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्वीकृत खनिज पट्टों में अनियमितताओं का आरोप लगाते एनएमडीसी को 16 अरब 20 करोड़ 49 लाख 52 हजार 482 रुपये की पेनाल्टी जमा करने को कहा गया है।
कलेक्टर की ओर से एनएमडीसी के अधिशासी निदेशक (ईडी) को जारी पत्र में ग्राम किरन्दुल, तहसील बड़े बचेली, जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में डिपाजिट नं 14 एमएल रकबा 322.368 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 14 एनएमजेड रकबा 506.742 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 11 रकबा 874.924 हेक्टेयर क्षेत्र में स्वीकृत लौह अयस्क के खनिज पट्टा का जिक्र करते हुए इस संबंध में जारी नोटिस का जवाब संतोषप्रद नहीं होने की बात कही गई है।
एनएमडीसी प्रबंधन को दिए नोटिस में कहा गया है कि प्रबंधन को ग्राम किरन्दुल, तहसील बडे बचेली, जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में डिपाजिट नं 14 एमएल रकबा 322.368 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 14 एनएमजेड रकबा 506.742 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 11 रकबा 874.924 हेक्टेयर क्षेत्र में मुख्य खनिज लौह अयस्क का खनिपट्टा स्वीकृत है।
प्रबंधन को पत्र कमांक 413/खनिज/एम.एल./2024-25 दंतेवाड़ा, दिनांक 12 अगस्त 2024 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। कारण बताओ नोटिस का स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया जो संतोषप्रद नहीं है। अतएव छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन तथा भण्डारण) नियम, 2009 के नियम (4) (1) (चार) का उल्लंघन करने तथा उक्त उल्लंघन के लिये छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन तथा भण्डारण) नियम, 2009 के नियम (5) के अनुसार खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 21 (5) के तहत खनिज के बाजार मूल्य एवं रायल्टी कुल अर्थदण्ड की राशि सोलह अरब बीस करोड़ उनचास लाख बावन हजार चार सौ बयासी रुपये आरोपित की जाती है। इस राशि को 15 दिन के भीतर जमा करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि बीते 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने गुरुवार को 8 बनाम 1 के बहुमत से मिनरल्स की रॉयल्टी को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि राज्यों के पास मिनरल्स पर टैक्स लगाने का अधिकार है और केंद्र का माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1957 कानून राज्यों के इस अधिकार को सीमित नहीं करता है। पीठ ने यह भी कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद और बाकी के 7 जजों की तरफ से यह फैसला लिखा। वहीं, जस्टिस बी नागरत्ना ने इससे अलग फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 1989 के अपने उस फैसले को पलटते हुए कहा था कि वह फैसला ही गलत था।
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हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा
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