मप्रः महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में किया जाएगा उन्नयन

मप्रः महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में किया जाएगा उन्नयन
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मप्रः महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में किया जाएगा उन्नयन


मप्रः महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में किया जाएगा उन्नयन


- कार्यभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई पहली कैबिनेट बैठक

- प्रदेश के हित में लिए कई अहम निर्णय

भोपाल, 13 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को कार्यभार संभालने के बाद देर शाम मंत्रालय में मंत्रिपरिषद की बैठक ली। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की पहली बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के हित में कई अहम निर्णय लिए गए। मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर संचालित अग्रणी/चिन्हित महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में उन्नयन किए जाने के संबंध में निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 570 शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं। प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर संचालित अग्रणी/चिन्हित महाविद्यालयों में सभी संकायों में सुविधाओं में वृद्धि करते हुए अग्रणी/चिन्हित महाविद्यालयों को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस के रूप में उन्नयन किया जाएगा। इस पर अनावर्ती व्यय 312 करोड़ 56 लाख रुपये एवं आवर्ती व्यय 147 करोड़ 84 लाख रुपये यानी कुल व्यय 460 करोड़ 40 लाख रुपये अनुमानित है।

विश्वविद्यालयों में छात्रों की डिग्री/अंकसूची को डिजीलॉकर में अपलोड किया जाएगा

मंत्रिपरिषद द्वारा उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत संचालित शासकीय/निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों की डिग्री/अंकसूची को डिजीलॉकर में अपलोड किये जाने का निर्णय लिया गया। उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत 16 शासकीय एवं 53 निजी विश्वविद्यालय संचालित है। अभी तक कुल 09 शासकीय विश्वविद्यालयों एवं 5 निजी विश्वविद्यालयों के वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक के छात्रों की अधिकांश डिग्री/अंकसूची डिजीलॉकर में दर्ज की जा चुकी है।

साइबर तहसील परियोजना पूरे प्रदेश में लागू होगी

बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा एक जनवरी, 2024 से साइबर तहसील की व्यवस्था मध्यप्रदेश के सभी 55 जिलों में लागू करने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में बिना आवेदन, नामांतरण और अभिलेख दुरुस्तीकरण की फेसलेश व्यवस्था जून, 2022 से लागू की गई है। इसे साइबर तहसील नाम दिया गया है। इसमें रजिस्ट्री उपरांत, क्रेता के पक्ष में अविवादित नामांतरण, एक फ़ेसलेस, पेपरलेस तरीके से ऑनलाइन प्रक्रिया के द्वारा 14 दिन में बिना आवेदन के और बिना तहसील के चक्कर लगाए स्वतः ऑटोमेटिक तरीके से हो जाता है और खसरे तथा नक़्शे में भी क्रेता का नाम चढ़ जाता है। वर्तमान में यह व्यवस्था प्रदेश के 12 जिलों की 442 तहसीलों में लागू है। इसके माध्यम से अब तक 16 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।

ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक व निर्धारित मापदंड से अधिक बजाने पर प्रतिबंध

मंत्रिपरिषद द्वारा धार्मिक स्थल एवं अन्य स्थानों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों को अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदंड से अधिक बजाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में निर्णय लिया गया। प्रदेश में धार्मिक स्थलों एवं अन्य स्थानों पर अवैधानिक रूप से और निर्धारित मापदंड का उल्लंघन करते हुए बजाए जाने वाले लाउडस्पीकरों अथवा डीजे आदि की जांच के लिए उड़न दस्तों का गठन, निरीक्षण एवं नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा अभियोजन की कार्रवाई का निर्णय लिया गया।

अपराधियों पर अंकुश का निर्णय

मंत्रि-परिषद द्वारा गंभीर अपराधों एवं आदतन अपराधियों की पूर्व अपराधों में प्राप्त जमानत सीआरपीसी की धारा 437,438, 439 के प्रावधान अनुसार माननीय न्यायालय से निरस्त करवाये जाने के संबंध में निर्णय लिया गया।

अवैध मांस-मछली क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध का चलेगा अभियान

मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में बिना लाइसेंस के खुले में अवैध रूप से मांस-मछली आदि का क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध का निर्णय लिया गया। इस संबंध में सघन अभियान चलाया जायेगा। यह अभियान जिलों में अतिक्रमण निरोधी दस्ते, स्वास्थ्य अमले, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के समन्वय से चलाया जाएगा। इस अभियान की मॉनीटरिंग मुख्य सचिव के स्तर से की जाएगी।

तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक में वृद्धि, संग्राहकों को 162 करोड़ का अतिरिक्त पारिश्रमिक

मंत्रिपरिषद द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण दर तीन हजार रुपये प्रति बोरा से बढ़ाकर चार हजार रुपये प्रति बोरा करने का निर्णय लिया गया। इससे 35 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को 162 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पारिश्रमिक प्राप्त होगा। उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता संग्रहण दर वर्ष 2017 में 1250 रुपये प्रति बोरा थी। वर्ष 2023 में इसे बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रति बोरा कर दिया था।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/वीरेन्द्र

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