प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक 2023 का मसौदा प्रस्ताव जारी, एक महीने तक लोग दे सकेंगे सुझाव
नई दिल्ली, 10 नवंबर (हि.स.)। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक 2023 का मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। इस प्रस्तावित मसौदे पर लोगों से 30 दिन के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियां देने के लिए कहा गया है। यह प्रस्तावित मसौदा विधेयक देश में प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक समेकित ढांचे का प्रावधान करता है। इसके तहत मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन को प्रस्थापित करने का प्रयास करता है। इसके अलावा मौजूदा समय में देश में प्रसारण क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले अन्य नीति निर्देश भी इसमें शामिल हैं।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक के मसौदे को पेश करने की घोषणा सोशल मीडिया पर की। अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यवसाय करने में आसानी और जीवन गुजारने में झंझटों मुक्त जीवन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, हमें प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक का मसौदा पेश करने पर गर्व है। इस महत्वपूर्ण कानून से हमारे प्रसारण क्षेत्र का नियामक ढांचा आधुनिक बनेगा। यह पुराने कानूनों और नियमों के साथ उनके दिशा-निर्देशों को एकीकृत, भविष्य-केंद्रित दृष्टिकोण से प्रतिस्थापित करेगा। इससे तकनीकी उन्नति और सेवाओं का विकास होगा, ओटीटी, डिजिटल मीडिया, डीटीएच, आईपीटीवी और अन्य की गतिशील दुनिया की पहुंच आसान होगी। उन्होंने कहा कि विधेयक विशेष रूप से व्यापक पहुंच दिशा-निर्देशों के साथ दिव्यांगजन लोगों की आवश्यकताओं पर भी खरा उतरेगा। इसलिए सभी हितधारकों को अपनी अंतर्दृष्टि से इस ऐतिहासिक बिल को आकार देने में मदद करने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह एक कुशल, समावेशी और दूरदर्शी प्रसारण पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
इस प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है कि प्रसारण क्षेत्र के डिजिटलीकरण के कारण केबल टीवी के नियमों और मूलभूत संचालन प्रारूप में बदलाव की आवश्यकता है ताकि व्यापार में आसानी के साथ पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सके। प्रसारकों और वितरण प्लेटफार्मों पर ऑपरेटरों द्वारा प्रोग्राम और विज्ञापन कोड का पालन बढ़ाना आवश्यक है। इसमें तालमेल को बढ़ाते हुए मौजूदा अस्पष्ट नियामक ढांचे को एक नए व्यापक कानून से बदलने की जरूरत है। इस विधेयक में छह अध्याय और 48 खंड रखे गए हैं। इसमें जुर्माना और प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर आत्मानुशासन पर जोर दिया गया है। किंतु गंभीर उल्लंघन की दशा में कड़े दंड और जुर्माने का भी प्रावधान है। मौद्रिक दंड और जुर्माना इकाई की वित्तीय क्षमता से जुड़ा होगा। यह उनके निवेश और अर्जित आय को ध्यान में रखते हुए तय किया जाएगा।
विधेयक एक विधायी ढांचे के साथ विभिन्न प्रसारण सेवाओं के लिए नियामक प्रावधानों को समेकित और अद्यतन करने, नियामक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और कुशलता के साथ मौजूदा समय की जरूरतों के मुताबिक बनाने की आवश्यकता की पूर्ति करता है। यह मौजूदा आईटी अधिनियम-2000 और उसके तहत बनाए गए नियमों द्वारा विनियमित ओवर द टॉप ओटीटी सामग्री और डिजिटल समाचार और समसामयिक जानकारियों के प्रसारण के लिए अपने नियामक दायरे का विस्तार करता है, इसमें साफ तौर पर परिभाषित किया गया है कि क्या दिखाने के दायरे में होगा और क्या एहतियात आवश्यक हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/प्रभात
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