बच्चों के प्रति समाज कितना है संवेदनशील? शराब फैक्टरी में कर रहे काम, हाथ गल गए, चमड़ी उधड़ गई लेकिन नहीं आया किसी को तरस

बच्चों के प्रति समाज कितना है संवेदनशील? शराब फैक्टरी में कर रहे काम, हाथ गल गए, चमड़ी उधड़ गई लेकिन नहीं आया किसी को तरस
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बच्चों के प्रति समाज कितना है संवेदनशील? शराब फैक्टरी में कर रहे काम, हाथ गल गए, चमड़ी उधड़ गई लेकिन नहीं आया किसी को तरस


बच्चों के प्रति समाज कितना है संवेदनशील? शराब फैक्टरी में कर रहे काम, हाथ गल गए, चमड़ी उधड़ गई लेकिन नहीं आया किसी को तरस


- एनसीपीसीआर का छापा, 59 बच्चों को किया रेस्क्यू, इनमें 20 लड़कियां भी

- बाल संरक्षण आयोग की टीम ने सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरी पर की कार्रवाई

भोपाल, 15 जून (हि.स.)। समाज की संवेदनशीलता कहां चली गई है, यदि भविष्य के हाथों में किताबों की जगह शराब की बोतलें और केमिकल पकड़ा दिया जाएगा तो फिर कैसा होगा भविष्य? इसका अंदाजा लगाने भर से मन विचलित हो उठता है जबकि यहां तो 59 बच्चे जिसमें 20 बच्चियां भी शामिल हैं, काम करती हुई पाई गईं। यह तो अच्छा है कि लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था में आयोगों की भी स्थापना कर दी गई है जो कहीं भी हो रहे अन्याय के खिलाफ एक्शन लेते हुए शासन-प्रशासन को सचेत कर देते हैं अन्यथा पता नहीं यह जुल्म कभी सामने आ पाता भी या नहीं!

कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है, वह पूरी तरह से उधड़ गई है

दरअसल, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में सोम डिस्टलरी शराब फैक्टरी में शनिवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम छापा मारने पहुंची तो वहां 59 बच्चे काम करते पाए गए जिसमें 20 लड़कियां भी शामिल हैं। काम करते-करते और शराब बनाने में उपयोग होने वाले रसायनों के संपर्क में रहने से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है। वह पूरी तरह से उधड़ गई है लेकिन जिम्मेदारों को जरा भी तरस नहीं आया।

इसके साथ ही यह भी सामने आया कि इन्हें स्कूल बस से फैक्टरी में लाया जाता था ताकि किसी को शक न हो सके कि यह सभी बच्चे आखिर जा कहां रहे हैं। लोगों को यही लगते रहना चाहिए कि स्कूल पढ़ने या स्कूल की बस से विशेष कक्षा लेने के लिए जा रहे हैं। ऐसे में जब राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम अचानक से यहां पहुंची तो नजारा देखकर हतप्रभ रह गई। मशीन चल रही है, शराब की बोतलें लाइन में बहुत ही तेजी के साथ आगे जा रही हैं और पानी में खड़े बच्चे उन्हें उठा-उठाकर अलग कर रहे हैं ।

कंपनी का रुपया बचाने के लिए नाबालिगों से कराया जा रहा था काम

कारखाने में शराब बनाते हुए पाए गए सभी बच्चे 18 वर्ष से कम आयु के हैं। जब सख्ती से इन बच्चों के बाल श्रम को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कंपनी के अधिकारियों से बात की तो सामने आया कि यह पैसा बचाने के लिए किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों ने रुपया बचाने के फेर में नाबालिगों को काम पर रखा है और उनकी जिन्दगी भी दाव पर लगा दी है। जब और सख्ती से पूछा गया तो यह भी सामने आया कि कंपनी ने अपना काम किसी अन्य ठेकेदार को दे रखा है, वहीं इन बच्चों को इस शारब फैक्टरी में काम के लिए लाता है ताकि कंपनी की मोटी रकम बच सके और उसे कम रुपये देने पर अधिक श्रम बच्चों के जरिए उपलब्ध हो जाए, फिर जब कोई अनहोनी हो भी तो ठेकेदारी व्यवस्था है, कहकर जिम्मेदारों को बचाया जा सके।

इसमें भी यहां आश्चर्य एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को यह देखकर अधिक हुआ कि ये शराब फैक्टरी आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित हो रही है और आबकारी अधिकारी का कार्यालय भी इसी परिसर में मौजूद है लेकिन बच्चों से कंपनी द्वारा लिए जा रहे काम पर आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता बल्कि चुपचाप बाल श्रम होते हुए देखता रहता है। अब केंद्रीय बाल आयोग की टीम ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर इस मामले में आबकारी अधिकारी पर कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है।

आबकारी अधिकारी की है मिलीभगतः कानूनगो

दरअसल, इस मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया है कि ये आबकारी अधिकारी की मिलीभगत और उनकी आंखों के सामने होता हुआ अपराध है, वह आंखें बंद कर कैसे बैठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आबकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए हम शासन को पत्र लिख रहे हैं ।

कानूनगो ने बताया, ‘‘बाल श्रम निरोधक माह के अंतर्गत एनसीपीसीआर को बचपन बचाओ आंदोलन से प्राप्त शिकायत के आधार पर आज रायसेन ज़िले में सोम डिस्टलरी नामक शराब बनाने वाली फ़ैक्टरी में निरीक्षण किया गया, जहां 50 से अधिक बच्चे शराब बनाने का काम करते हुए पाए गए हैं, इनमें 20 लड़कियाँ भी हैं। यह संस्थान सरकार के आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित है रसायनों के सम्पर्क में रहने से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है,बच्चों को रेस्क्यू करने एवं एफआइआर दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है। आबकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया जा रहा है।’’

फैक्टरी में बच्चे करते थे 15-16 घंटे शराब बनवाने का काम

इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि इन बच्चों से सोम डिस्टलरी शराब फैक्टरी में 15-16 घंटे बच्चों से शराब बनवाने का काम कराया जाता था। इसके कारण से इनके हाथों की इतनी बुरी हालत हो गई है। इस संबंध में एसडीओपी प्रतिभा शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पत्र के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। बच्चों का सीडब्ल्यूसी के सामने वेरीफिकेशन किया गया है। अभी जांच में समय लगेगा। उस आधार पर सोम फैक्टरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग की टीम रायसेन जिले के मंडीदीप छापा मारने पहुंची थी। बिस्किट बनाने वाली फैक्टरी एलएम बेकर्स के यहां भी बाल आयोग ने 21 बाल श्रमिकों को कार्य करते हुए पाया जोकि वहां पर मजदूरी करते हुए पारले जी बिस्किट बना रहे थे। कुल तीन संस्थानों से 36 बच्चों का रेस्क्यू किया जा चुका है जिसमें छिंदवाड़ा के साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों के अलावा देश के कई राज्यों के जनजाति समाज के बच्चों के होने की जानकारी फिलहाल सामने आ रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक चतुर्वेदी/प्रभात

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