राष्ट्रीय नाट्य समारोह के अंतिम दिन 'नट सम्राट' ने सुनाई रंगमंच के अभिनेताओं की कहानी
बेगूसराय (बिहार), 07 दिसम्बर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के तत्वावधान में बेगूसराय के दिनकर कला भवन में आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह का समापन हो गया। समारोह के अंतिम दिन मध्य प्रदेश के भोपाल से आई नाट्य संस्था 'एक रंग' के कलाकारों ने 'नट सम्राट' नाटक का अद्भुत मंचन किया, जिसके निर्देशक थे जयंत देशमुख।
'नट सम्राट' रंगमंच के एक ऐसे अभिनेता की कहानी है, जो अपने उम्र के अंतिम पड़ाव पर है लेकिन उसकी व्यथा और कहानी ऐसी है, जिससे रंगमंच के सभी अभिनेता सहित आमजन भी सीधे रूप से जुड़ जाते हैं। वर्तमान समय में रंगमंच की पहुंच सुदूर गांवों तक नहीं है। शहरों में भी इसका अस्तित्व केवल इतना भर है कि आप उनके बनाएं सभ्य नियमों के तहत अपना काम करें। परिवार में भी इसकी सम्पूर्ण स्वीकृति नहीं है।इसलिए रंगमंचीय अभिनेताओं को वह स्नेह और सम्मान अपने परिवार और समाज से कम ही मिल पाता है, जिसके लिए वह जीवन पर्यंत संघर्ष करता है।
'नट सम्राट' बड़े ही संवेदनशील तरीके से इन सभी बातों का सचित्र वर्णन करता है। 'एक रंग' के कलाकारों ने अपनी शानदार ऊर्जा, सहज कथन और जीवंत अभिनय से दर्शकों तक पहुंचाया। नट सम्राट बने आलोक चटर्जी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक हैं और एमपीएसडी के निदेशक रहे हैं। कई राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त अभिनेता मंच पर जब बच्चों सी मासूमियत और फूल सी खूबसूरती लिए अभिनय करता है, तो दर्शकों के लिए वो कभी ना भूलने वाला क्षण होता है। लाडो रानी बनी छोटी बच्ची तपस्या ने दर्शकों को अचंभित किया। नाटक के अन्य कलाकारों की उपस्थिति काफी मजबूत रही, जिसने नाटक और दर्शक के बीच के तारतम्य को अंत तक बांधे रखा।
अभिनेताओं में मुख्य रूप से आलोक चटर्जी, रश्मि मजूमदार, प्रेम सावलानी, हरीश वर्मा, आशी मालवीय, संदीप पाटिल, पूजा मालवीय, तपस्या फरतोड़े, साहिल मिश्रा, आशीष ओझा, प्रतीक शर्मा एवं उमेश राय आदि थे। मंच व्यवस्था और मंच सज्जा हरीश, संदीप एवं प्रमोद गायकवाड तथा कापार्श्व ध्वनि साहिल मिश्रा का था। प्रकाश परिकल्पना घनश्याम गुजर का था। नट सम्राट के निर्देशन जयंत देशमुख ने किया था।
मंचन से पूर्व डीएम रोशन कुशवाहा ने एनसीजेडसीसी के कार्यक्रम अधिकारी अजय गुप्ता एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन सहित अन्य अतिथियों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डीएम ने राष्ट्रीय नाट्य समारोह की सराहना करते हुए कहा कि नाटक हमें मनुष्य होने का बोध कराता है। एक सुंदर और संवेदनशील समाज के निर्माण में रंगमंच का अद्भुत योगदान है।
नाटक के बाद कार्यक्रम अधिकारी अजय गुप्ता ने नाटक के निर्देशक जयंत देशमुख और नट सम्राट बने आलोक चटर्जी को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन, फैक्ट रंगमंडल के सभी सदस्यों तथा बेगूसराय के नाट्य प्रेमी दर्शक सहित सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया।
हिन्दुस्थान समाचार /सुरेन्द्र/गोविन्द/चंद्र प्रकाश
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