स्वच्छ शहरों के बीच चमकी राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली

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स्वच्छ शहरों के बीच चमकी राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली


नई दिल्ली, 15 फ़रवरी (हि.स.)। एक मजबूत निगरानी प्रणाली और अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रियाओं को अधिकतम करने के लिए नवाचारी प्रौद्योगिकियों के रणनीतिक एकीकरण से नई दिल्ली 1 लाख से अधिक आबादी श्रेणी में भारत के सर्वाधिक स्वच्छ शहरों में 7वें स्थान पर है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह दावा किया गया है।

आवास और शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आवासीय क्षेत्रों में 6 सामुदायिक जैविक अपशिष्ट कन्वर्टर्स स्थापित करके एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है। डोर-टू-डोर पहल से जैविक कचरा एकत्रित किया जाता है, जिससे खाद तैयार की जाती है। भागीदारी को और प्रोत्साहित करने के लिए घर की खाद के लिए डिब्बे वितरित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 1,500 से अधिक परिवार घर की खाद बनाने में शामिल हुए। यह एक सर्वेक्षण के दौरान पाया गया।

इसके अतिरिक्त बल्क वेस्ट जेनरेटरों (बीडब्ल्यूजी) को व्यापक दिशानिर्देश प्रदान किए गए हैं। बीडब्ल्यूजी गीले अपशिष्ट का ऑन-साइट अपशिष्ट प्रसंस्करण स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन के रूप में कर रहे हैं, एक हरित और पर्यावरण के प्रति समुदाय को और अधिक जागरूक बना रहे हैं। एनडीएमसी ने कई महत्वपूर्ण उपायों को लागू किया है, जिससे सेवा स्तर समझौते (एसएलए) के मुद्दों को सुलझाने में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि हुई है। 3,270 दर्ज शिकायतों में से 3,022 को एसएलए समय सीमा के भीतर सफलतापूर्वक हल किया गया। दैनिक डोर-टू-डोर संग्रह के कार्यान्वयन ने पारंपरिक डंपिंग साइटों (ढलाव) को समाप्त कर दिया है। डंपिंग साइटों को सफाई कर्मियों के लिए कुशल रोल कॉल सेंटर में बदल दिया गया है। एमएसडब्ल्यू संग्रह के लिए 36 जीपीएस-सक्षम वाहनों की तैनाती एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया सुनिश्चित करती है

एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र निगरानी और पारदर्शिता के मामले में वाहनों की आवाजाही की निगरानी और एनडीएमसी 311 ऐप तथा वेबसाइट के माध्यम से ऑटो टिपर मार्ग और समय प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपशिष्ट प्रसंस्करण एकीकरण के लिए एक समर्पित डैशबोर्ड विकसित किया गया है, जिससे एनडीएमसी वेबसाइट पर ऑटो टिपर्स की लाइव निगरानी की जा सकती है।

प्रभावी अपशिष्ट प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कचरा लैंडफिल साइट पर नहीं जाता है और क्षेत्र में कोई ढलाव नहीं है। शहर ने ओखला में वेस्ट-टू-एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट साझा किया है, जो लैंडफिल का सहारा लिये बिना औसतन 200 टन प्रति दिन सूखे कचरे को संभाल रहा है। इसके अतिरिक्त शून्य अपशिष्ट के लक्ष्य वाली कॉलोनियों में 6 नई विकेन्द्रीकृत सामग्री रिकवरी सुविधाओं (एमआरएफ) के लिए काम चल रहा है। अतिरिक्त पहलों में घरेलू खतरनाक कचरे (डीएचडब्ल्यू) को आगे की प्रक्रिया के लिए रिसाइक्लिंग में एकीकृत करना शामिल है। एनडीएमसी में तरल कचरा प्रबंधन के लिए 35 एसटीपी हैं, जो शत प्रतिशत सीवेज का प्रसंस्करण करते हैं और बागवानी उद्देश्यों और फव्वारों में पानी का पुन: उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त 46 विभिन्न स्थानों पर 120 बागवानी कम्पोस्ट गड्ढों के माध्यम से शत प्रतिशत बागवानी अपशिष्ट को कम्पोस्ट किया जा रहा है। एनडीएमसी अपने सभी सीएंडडी कचरे को शत प्रतिशत प्रसंस्करण के लिए शास्त्री पार्क भेज रहा है, जो विभिन्न ग्रेड के कंक्रीट का उत्पादन कर रहा है और पुनर्नवीनीकरण उत्पादों को वापस खरीद भी रहा है।

नई दिल्ली ने एकल-उपयोग प्लास्टिक की समस्या सुलझाने के लिए प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों और विकल्पों को लागू किया है। प्लास्टिक कचरे को 3 एमआरएफ और 17 स्थायी आरआरआर केंद्रों के माध्यम से रिसाइक्लर से संसाधित किया जा रहा है। एनडीएमसी के अंतर्गत आने वाले जेजे क्लस्टर और आध्यात्मिक स्थलों में 30 बर्तन भंडार बनाए गए हैं जबकि शेष को ओखला में अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र में संसाधित किया जाता है। इसमें विकल्प स्टोर्स के माध्यम से कपड़े के थैलों के उपयोग को बढ़ावा देने और दान बॉक्स के रूप में काम करने वाले 13 'वॉल ऑफ काइंडनेस' या 'नेकी दीवार' की स्थापना जैसी पहल शामिल हैं, जहां व्यक्ति कपड़े और हैंडबैग जैसी वस्तुओं का योगदान कर सकते हैं।

सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों और सामुदायिक सुविधाओं के एफएसीईएस (कार्यात्मक, सुलभ, स्वच्छ, पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित) में सुधार करना एनडीएमसी के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। पर्याप्त वातावरण, सुरक्षित बोल्टिंग, कार्यात्मक मशीनरी को बनाए रखने के लिए समर्पित प्रयास बढ़ाए गए हैं। शौचालयों में प्राकृतिक वेंटिलेशन, दिव्यांगजनो और थर्ड जेंडर के लिए अलग-अलग इकाइयां हैं और विशेष रूप से महिलाओं के लिए डिज़ाइन किए गए गुलाबी शौचालय भी हैं। चाणक्यपुरी में कौटिल्य मार्ग पर वेस्ट टू वंडर पार्क की स्थापना 2023 में एक महत्वपूर्ण पहल है।

एनडीएमसी ने ललित कला अकादमी के सहयोग से जी-20 सदस्य देशों के देशीय जानवरों और पक्षियों की स्क्रैप धातु से बनाई विभिन्न मूर्तियां स्थापित कीं, जो शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी को मान्यता देते हैं। जीवंत दीवार कला, सुरुचिपूर्ण फव्वारे, जटिल मूर्तियां और मनोरम भित्ति चित्रों की स्थापना के माध्यम से एनडीएमसी ने सार्वजनिक स्थानों को आकर्षक बना दिया है।

एनडीएमसी बागवानी उद्देश्यों के लिए अपने सीवेज पानी का फिर से उपयोग करके अपशिष्ट प्रबंधन को सर्कुलर इकॉनोमी के साथ एकीकृत करने में आगे बढ़ रहा है। गीले अपशिष्ट की खाद बनाई जाती है और आगे एनडीएमसी के बड़े ग्रीन कवर में स्व-उपयोग किया जाता है। नई दिल्ली नगर पालिका द्वारा कूड़ा बीनने वालों को एमआरएफ केन्द्रों से भी जोड़ा जा रहा है, जहां रिसाइकल करने योग्य सूखे अपशिष्ट को आगे अधिक़ृत पुनर्चक्रणकर्ताओं को बेचा जाता है। इसके अतिरिक्त एनडीएमसी सीएंडडी अपशिष्ट उत्पादों जैसे रेत, ईंटों और समुच्चय का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण कर रहा है।

एनडीएमसी ने आने वाले समय में की जाने वाली पहलों के संदर्भ में एक स्पष्ट रोडमैप तैयार कर रखा है। एनडीएमसी की प्राथमिकताओं में रेड स्पॉट की पहचान और हटाना, आरआरआर, शुद्ध अपशिष्ट और ई-कचरा प्रबंधन व्यवस्था को मजबूत करना, हरित अपशिष्ट प्रबंधन के लिए ब्रिकेटिंग प्लांट की स्थापना, अधिक माइक्रो एमआरएफ केंद्रों की स्थापना, प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन तथा सफाई मित्रों की सुरक्षा उच्च होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल

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