विशाखापट्टनम में नौसेनाओं का अभ्यास 'मिलन' चीन के खिलाफ नहीं : सोबती
- अभ्यास में 50 से अधिक मित्र देशों के 35 युद्धपोत, पनडुब्बियां और 50 विमान हिस्सा लेंगे
- समुद्री गतिविधि में दुनिया भर के मित्र देशों को एक मंच पर लाने का प्रयास है यह अभ्यास
नई दिल्ली, 14 फरवरी (हि.स.)। नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘मिलन’ को लेकर स्पष्ट किया कि हमारा संदेश चीन के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें हिस्सा लेने वाले 50 से अधिक देश अगर एकजुट होकर काम करेंगे तो हम समुद्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। यही कारण है कि हम विभिन्न देशों को एक साथ आने और अभ्यास में भाग लेने के लिए एक मंच देना चाहते हैं।
वाइस एडमिरल तरुण सोबती बुधवार को विशाखापट्टनम में 19 से 27 फरवरी तक होने वाले बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘मिलन’ के 12वें संस्करण के बारे में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। वह समुद्री तकनीकी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे। बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास में 50 से अधिक देश भाग लेंगे। मित्र देशों के 35 युद्धपोत, पनडुब्बियां और 50 विमान हिस्सा लेंगे।
उन्होंने कहा कि समुद्री अभ्यास में हिस्सा लेने वाले सभी देशों के चीन के साथ अपने-अपने संबंध हैं, इसलिए मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हमारा संदेश चीन के खिलाफ नहीं है। भारत का मानना है कि अगर हम एकजुट होकर काम करें तो समुद्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। यही कारण है कि हम विभिन्न देशों को एक साथ आने और इसमें भाग लेने के लिए एक मंच देना चाहते हैं। नौसेना उप प्रमुख ने बताया कि विशेष फोकस क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय समुद्री सेमिनार रहेगा, जिसमें हम विभिन्न लोगों को विभिन्न विषयों के तहत अपने विचारों के साथ योगदान करने के लिए आमंत्रित करेंगे।
वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने कहा कि भारतीय नौसेना मिलन अभ्यास के जरिये समुद्री गतिविधि में दुनिया भर के मित्रवत देशों को साझेदारी करने के लिए प्रयास कर रही है। इस वर्ष विशाखापत्तनम में हो रहे अभ्यास मिलन में अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्रदर्शनी, एक समुद्री तकनीकी प्रदर्शनी, एक शहर परेड की योजना बनाई गई है। मिलन अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते रणनीतिक महत्व ने मिलन अभ्यास को महत्वपूर्ण बना दिया है, जो जिम्मेदार समुद्री शक्ति होने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि यह अभ्यास बंदरगाह और समुद्री चरण में होगा। अभ्यास में भाग लेने वाले देशों के बीच सांस्कृतिक साझाकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बंदरगाह चरण में अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी, अंतरराष्ट्रीय सिटी परेड समुद्री तकनीक प्रदर्शनी और विभिन्न खेल कार्यक्रम होंगे। समुद्री चरण के दौरान भारतीय नौसेना के विमानों और अन्य इकाइयों के साथ मित्र विदेशी देशों के विमानों के साथ जहाज भी भाग लेंगे। इसमें बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास, उन्नत वायु रक्षा अभियान, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतह रोधी ऑपरेशन शामिल होंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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