राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी संत डॉ. रामविलास वेदांती का निधन

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राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी संत डॉ. रामविलास वेदांती का निधन


रीवा, 15 दिसंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी संतों में शुमार, पूर्व सांसद और प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. रामविलास दास वेदांती महाराज का निधन हो गया। उन्होंने 67 वर्ष की आयु में मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सोमवार को उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। उनके उत्तराधिकारी महंत राघवेश दास वेदांती ने इसकी पुष्टि की है।

महंत राघवेश दास ने बताया कि महाराजजी का पार्थिव शरीर आज अयोध्या लाया जा रहा है। उनकी अंतिम यात्रा का जुलूस हिंदू धाम से मंगलवार सुबह निकलेगा और राम मंदिर तक जाएगा। सरयू तट पर सुबह 8 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि महाराज जी 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे। यहां भटवा गांव में उनकी रामकथा चल रही थी। यह कथा आगामी 17 दिसंबर तक चलनी थी, लेकिन इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गई और पिछले दो दिनों से उनका इलाज रीवा में ही चल रहा था।

महंत राघवेश दास ने बताया कि सोमवार सुबह उनकी हालत अचानक ज्यादा गंभीर हो गई। उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली ले जाने की तैयारी थी। इसके लिए दिल्ली से एयर एम्बुलेंस भी रीवा पहुंच गई थी, लेकिन घने कोहरे के कारण वह लैंड नहीं कर सकी। दोपहर 12:20 बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर फैलते ही रीवा जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। अस्पताल परिसर में उनके भक्तों का तांता उमड़ पड़ा है।

डॉ. रामविलास दास वेदांती का उपचार कर रहे डॉक्टरों के अनुसार, महाराज को सेप्टिसीमिया नामक गंभीर संक्रमण हो गया था, जिसकी वजह से उनका ब्लड प्रेशर (बीपी) काफी कम था और सेप्टिसिमिक शॉक की स्थिति बनी थी। डॉक्टर के अनुसार आज सुबह उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिसके बाद डॉक्टर्स ने बड़ी मेहनत से उन्हें पुनर्जीवित किया (रिवाइव किया)। संक्रमण के कारण यूरिन आउटपुट नहीं आ रहा था और बीपी कम था, जिसके चलते डॉक्टर्स सीआरआरटी और डायलिसिस की योजना बना रहे थे। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए, जिसका उन्हें अफसोस है।

रीवा के गुढ़वा गांव में हुआ था डॉ. वेदांती का जन्मडॉ. वेदांती का जन्म रीवा के गुढ़वा गांव में 7 अक्टूबर 1958 को हुआ था। जब वे दो साल के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया था। पिता का नाम राम सुमन त्रिपाठी पुरोहित थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के गुरु थे। वेदांती 12 साल की उम्र में अयोध्या आए थे। डॉ. वेदांती 12वीं लोकसभा में यूपी के प्रतापगढ़ से भाजपा के सांसद चुने गए थे। इससे पहले, 1996 में जौनपुर की मछलीशहर सीट से भी सांसद रहे। श्रीराम मंदिर आंदोलन को धार देने के कारण उन्हें राम मंदिर जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। डॉ. रामविलास वेदांती बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी थे। साल 2020 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था।

डॉ. वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी लोगों में गिने जाते हैं। उन्हें राम जन्मभूमि न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था। जब यह विषय केवल संतों और कुछ संगठनों तक सीमित माना जाता था, तब उन्होंने इसे जन-जन का मुद्दा बनाया। उन्होंने बार-बार यह रेखांकित किया कि राम मंदिर का प्रश्न किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय, सांस्कृतिक अस्मिता और सभ्यतागत निरंतरता का प्रश्न है। राम जन्मभूमि को लेकर उन्होंने देशभर में प्रवचन, सभाएं और संवाद किया। उनकी भाषा आमजन की थी सीधी, सरल और आत्मविश्वासी। राम को राजनीतिक प्रतीक नहीं, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया। जब आंदोलन पर हिंसा, विभाजन और साम्प्रदायिकता का आरोप लगाया गया, तब वेदांती जी ने संयम नहीं छोड़ा। उन्होंने न्यायपालिका, संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर विश्वास बनाए रखा, यही वजह है कि आंदोलन आखिरकार कानूनी और संवैधानिक विजय में बदला।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा कि पूज्य संत डॉ. वेदांती का निधन सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जाना एक युग का अंत है। धर्म, समाज और राष्ट्र को समर्पित उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है। वहीं, मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि उन्होंने न केवल जनजागरण के माध्यम से रामभक्तों को एकजुट किया, बल्कि न्यायालय में सत्य और आस्था के पक्ष में निर्भीक होकर गवाही भी दी।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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