मप्र में मिलेगा रेयर अर्थ मिनरल, खोज हुई तेज : आईआईएसईआर ने शुरू किया खनिज परीक्षण

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मप्र में मिलेगा रेयर अर्थ मिनरल, खोज हुई तेज : आईआईएसईआर ने शुरू किया खनिज परीक्षण


भोपाल, 10 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध प्रदेश माना जाता है और अब यह संपदा एक नए अध्याय की ओर बढ़ रही है। रेयर अर्थ मिनरल्स और रणनीतिक रूप से महत्‍वपूर्ण अन्य खनिजों की वैज्ञानिक खोज को गति देने के लिये हाल ही में राज्य सरकार और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के बीच हुए एमओयू ने इस ओर बड़ा मार्ग प्रशस्त किया है।

कटनी में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव के दौरान हुए इस समझौते का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है और प्रथम चरण में कटनी तथा जबलपुर जिलों से प्राप्त खनिज नमूने आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों को सौंपे गए हैं। खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव और डीजीएम फ्रैंक नोबल ए. ने आईआईएसईआर टीम को संभावित रेयर अर्थ मिनरल्स के नमूने प्रदान किए हैं। इन नमूनों की उच्च स्तरीय प्रयोगशालाओं में विस्तृत जांच होगी, जिसमें महाकौशल क्षेत्र में रेयर अर्थ मिनरल्स और स्वर्ण की संभावनाओं का विशेष रूप से अध्ययन किया जाएगा।

उल्‍लेखनीय है कि प्रदेश में खनिज अन्वेषण का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। बीते वर्षों में शासन द्वारा तकनीक आधारित खोज और भूगर्भीय सर्वेक्षणों को बढ़ावा दिया गया, जिसका परिणाम कई अहम खोजों के रूप में मिला। बैतूल और सागर क्षेत्रों में डायमंड तथा बहुमूल्य खनिजों की खोज एवं भूवैज्ञानिक अध्ययनों ने इन क्षेत्रों में हीरा तथा अन्य विशिष्ट खनिजों की संभावनाओं को मजबूत किया, जिसके आधार पर नए अन्वेषण लाइसेंस जारी किए गए। वहीं, छतरपुर के बक्सवाहा क्षेत्र में डायमंड रिजर्व की पहचान की गई है, यहां पाए गए महत्वपूर्ण भंडार ने प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्र में लाया।

मंडला, बालाघाट और सिवनी जिलों में कॉपर व मैंगनीज का वर्षों से खनन और नए सर्वेक्षण जारी है, जिसने प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति दी है। नर्मदा घाटी में यूरेनियम की संभावनाएँ सामने आ चुकी हैं, पूर्व में हुए वैज्ञानिक अध्ययनों ने यहां रणनीतिक खनिजों की संभावनाएँ दर्शाई थीं, जिससे प्रदेश के खनिज मानचित्र में एक नया आयाम जुड़ा। इन सफलताओं ने स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश की जमीन कृषि और जैव विविधता से समृद्ध होने के साथ ही भविष्य की तकनीकी और औद्योगिक क्रांति के लिये आवश्यक खनिजों का भी संभावित भंडार अपने में रखती है।

आईआईएसईआर और प्रदेश शासन का सहयोग : नई संभावनाओं का मार्ग

आईआईएसईआर के साथ हुए इस सहयोग को विशेषज्ञ राज्य की वैज्ञानिक क्षमता में बढ़ोतरी का बड़ा कदम मान रहे हैं। अब तक कई अन्वेषण पारंपरिक तकनीकों या प्रारंभिक भू-आकृतिक अध्ययन पर आधारित थे, लेकिन आईआईएसईआर की आधुनिक लैब, उपकरण और अनुभवी वैज्ञानिक टीम इन नमूनों का सूक्ष्म विश्लेषण करेगी, जिससे भू-वैज्ञानिक आंकड़ों की गुणवत्ता में भारी सुधार होगा। उच्च गुणवत्ता वाले आंकड़े आगामी सर्वेक्षणों की दिशा तय करेंगे और प्रदेश को रणनीतिक खनिजों विशेषकर रेयर अर्थ तत्वों के संभावित भंडारों की पहचान में बड़ी सहायता मिलेगी। वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ मिनरल्स की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि ये इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, सैटेलाइट सिस्टम और आधुनिक उद्योगों में अनिवार्य माने जाते हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश की यह पहल राज्य को खनिज आधारित आर्थिक वृद्धि के एक नए केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है।

दीर्घकालिक संसाधन सुरक्षा की ओर कदम

खनिज साधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह एमओयू तकनीक आधारित खनिज अन्वेषण के नए आयाम खोलेगा और दीर्घकालिक रिसोर्स सिक्योरिटी में बड़ी भूमिका निभाएगा। आने वाले चरणों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी खनिज नमूनों को आईआईएसईआर के परीक्षण के लिए सौंपा जाएगा। इससे प्रदेश का खनिज मानचित्र अधिक सटीक, वैज्ञानिक और भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानुज शर्मा

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