वार्षिकी 2025 : मप्र बना भारत की रक्षा शक्ति का मजबूत स्तंभ, जबलपुर से ग्वालियर तक लिखी रक्षा निर्माण की नई गाथा

WhatsApp Channel Join Now
वार्षिकी 2025 : मप्र बना भारत की रक्षा शक्ति का मजबूत स्तंभ, जबलपुर से ग्वालियर तक लिखी रक्षा निर्माण की नई गाथा


डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भोपाल, 25 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के लिए वर्ष 2025 रक्षा क्षेत्र में वह कालखंड सिद्ध हुआ है, जिसमें राज्य ने स्वयं को भारत की आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति के प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित कर दिया। जिस समय देश ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अपनी विशेष ऊँचाई हासिल की, उसी समय मध्य प्रदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह वर्तमान के साथ भविष्य की रणनीतिक जरूरतों के लिए भी पूरी तरह तैयार है।

दरअसल, देश ने जब रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में ₹1.50 लाख करोड़ से अधिक का अब तक का सर्वोच्च रिकॉर्ड बनाया, उसी समय मध्य प्रदेश ने स्वयं को भारत के सबसे महत्वपूर्ण रक्षा उत्पादन राज्यों में शामिल कर लिया। यह उपलब्धि जबलपुर, ग्वालियर, कटनी और इटारसी जैसे केंद्रों की सामूहिक भूमिका, राज्य सरकार की नीतिगत सक्रियता और निजी क्षेत्र के बढ़ते विश्वास का परिणाम कही जा सकती है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मध्य प्रदेश प्रवास के दौरान यह कहा भी कि देश की रक्षा आत्मनिर्भरता की यात्रा में इस प्रदेश की भूमिका लगातार निर्णायक होती जा रही है। उनके शब्दों में यह राज्य आने वाले समय में भारत के रक्षा निर्माण मानचित्र का प्रमुख केंद्र बनेगा।

उल्‍लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का नाम दशकों से जबलपुर स्थित आयुध निर्माणियों के कारण रक्षा उत्पादन से जुड़ा रहा है, लेकिन 2025 में इस पहचान ने नया विस्तार और नई दिशा हासिल की। जबलपुर में स्थित गन कैरिज फैक्टरी, व्हीकल फैक्टरी जबलपुर और ऑर्डनेंस फैक्टरी खमरिया ने सेना के लिए समयबद्ध और गुणवत्ता-पूर्ण आपूर्ति जारी रखने के साथ ही तकनीकी उन्नयन और उत्पादन दक्षता के मामले में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया।

इसके साथ ही नवंबर 2025 में आयोजित इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉन्क्लेव ने जबलपुर को नई पहचान दी। यह मध्य भारत में आयोजित पहला ऐसा राष्ट्रीय सम्मेलन था, जिसमें रक्षा मंत्रालय, सरकारी रक्षा उपक्रम, निजी कंपनियाँ, एमएसएमई और स्टार्ट-अप एक साथ मंच पर आए। आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशीकरण, रक्षा निर्यात और सप्लाई-चेन सुदृढ़ीकरण जैसे विषयों पर हुई चर्चाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि मध्य प्रदेश अब रक्षा उत्पादन के साथ नीति और निवेश संवाद का भी महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।

इस आयोजन ने स्थानीय उद्योगों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवसरों के द्वार खोले। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसे आयोजनों को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जब उद्योग, सरकार और युवा प्रतिभाएँ एक साथ काम करती हैं, तभी राष्ट्र की रक्षा शक्ति मजबूत होती है। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने यह भी कहा था कि निजी निवेश और रक्षा उत्पादन का संगम भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा और रोजगार और तकनीकी विकास के नए अवसर भी सृजित करेगा।

इसी वर्ष भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में भी मध्य प्रदेश की रक्षा इकाइयों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। व्हीकल फैक्टरी जबलपुर द्वारा उन्नत सैन्य वाहनों और माइन-प्रोटेक्टेड व्हीकल्स का प्रदर्शन किया गया, जिसने निवेशकों को यह भरोसा दिलाया कि राज्य में रक्षा उत्पादन भविष्य की अपार संभावनाएं लिए हुए है।

इन आंकड़ों को देखें तो यदि जबलपुर ने वर्ष 2025 में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को आधुनिक पहचान दी, तो ग्वालियर ने निजी क्षेत्र के नेतृत्व में रक्षा उत्पादन का नया अध्याय लिखा। यहाँ स्थापित अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस की इकाई वर्ष 2025 में छोटे हथियारों के उत्पादन के क्षेत्र में देश की अग्रणी इकाइयों में शामिल हो गई। ग्वालियर स्थित यह संयंत्र धीरे-धीरे विश्व के बड़े स्मॉल आर्म्‍स मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब्‍स के रूप में पहचाना जाने लगा। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष मानी जा सकती है क्योंकि यह किसी राज्‍य में निजी क्षेत्र द्वारा स्थापित अब तक का सबसे प्रभावशाली रक्षा उत्पादन उदाहरण बना। सेना और अर्धसैनिक बलों की जरूरतों के साथ-साथ भविष्य में निर्यात की संभावनाएँ भी इस इकाई से जुड़ने लगीं, जिससे मध्य प्रदेश का नाम वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में चर्चा का विषय बनाया।

इसी तरह से इस साल कटनी ने अपेक्षाकृत शांत लेकिन रणनीतिक भूमिका निभाई। यहाँ स्थित आयुध और सहायक उत्पादन इकाइयाँ जबलपुर और अन्य केंद्रों के लिए सप्लाई-चेन का मजबूत आधार बनी रहीं। यद्यपि कटनी में कोई बड़ा राष्ट्रीय आयोजन नहीं हुआ, पर देखने में आया कि राज्य सरकार की डिफेंस इक्विपमेंट प्रोडक्शन पॉलिसी के तहत इसे भविष्य के निवेश क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया। यह संकेत था कि आने वाले वर्षों में कटनी रक्षा एमएसएमई क्लस्टर के रूप में विकसित होगा।

इसी प्रकार इटारसी में स्थित आयुध निर्माणी ने उत्पादन निरंतरता और सुरक्षा दृष्टि से अपनी अहमियत बनाए रखी। इन सभी गतिविधियों के पीछे मध्य प्रदेश सरकार की सक्रिय भूमिका स्पष्ट रूप से दिखाई दी है। 2025 में लागू और प्रभावी की गई रक्षा उत्पादन नीतियों के तहत भूमि बैंक, निवेश प्रोत्साहन, एमएसएमई सहभागिता और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार ने यह संतुलन साधने की कोशिश की कि जहाँ सरकारी रक्षा इकाइयाँ अपनी पारंपरिक मजबूती बनाए रखें, वहीं निजी कंपनियों को भी खुला और अनुकूल वातावरण मिले।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो वर्ष 2025 में जब भारत ने रक्षा उत्पादन और निर्यात में ऐतिहासिक ऊँचाइयाँ छुईं, तब मध्य प्रदेश ने स्वयं को एक पूर्ण रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में स्थापित किया है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश के जबलपुर ने स्‍वयं को उत्पादन और अनुभव का केंद्र बनाया, ग्वालियर नवाचार और निजी निवेश का प्रतीक बना, जबकि कटनी और इटारसी ने स्थिरता और रणनीतिक समर्थन प्रदान किया। यदि सार रूप में कहा जाए तो वर्ष 2025 में ही यह सामने आ सका कि मध्य प्रदेश अब भारत की आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Share this story