मप्रः मुरैना के वीर को मिला शौर्य सम्मान, राष्ट्रपति ने बलिदानी की पत्नी को दिया शौर्य चक्र
भोपाल, 5 जुलाई (हि.स.)। सियाचिन ग्लेशियर में अपने साथियों की जान बचाते हुए 11 जनवरी 2023 को बलिदान हुए मुरैना जिले की अंबाह तहसील निवासी भारतीय सेना के हवलदार विवेक सिंह तोमर को मरणोपरांत शौर्य सम्मान से अलंकृत किया गया है। शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बलिदानी विवेक सिंह की पत्नी रेखा तोमर को शौर्य चक्र प्रदान किया।
मुरैना जिले के अंबाह तसहील अंतर्गत ग्राम रूअर में रहने वाले जवान विवेक सिंह तोमर सियाचीन ग्लेशियर की माइनस 52 डिग्री सेल्सियस के बीच 11 जनवरी 2023 को अपने साथी जवानों को एक धुआं भरी बिल्डिंग से सुरक्षित निकालते समय बलिदान हो गए थे। उनके इस अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में बलिदानी की पत्नी रेखा तोमर को शौर्य चक्र सौंपा।
गौरतलब है कि 11 जनवरी 2023 दोपहर तापमान नियंत्रण बिल्डिंग की मशीनरी में अचानक कोई तकनीकी खराबी आ गई थी, जिससे बिल्डिंग में हर तरफ धुंआ भर गया था। विवेक सिंह तोमर ने सभी साथियों को सुरक्षित बाहर निकाला और खुद भी बाहर आ गए, लेकिन बाद में उस खराबी को ठीक करने के लिए दोबारा बिल्डिंग में घुस गए, क्योंकि उस समय ग्लेशियर का तापमान -52 डिग्री सेल्सियस था, जिससे सभी जवानों को खतरा पैदा हो गया। विवेक सिंह धुंआ भरी बिल्डिंग में घुसकर मशीनरी को ठीक करने लगे। लेकिन सांस के जरिए अदिक धुआं लंग्स में जाने से उनका दम घुट गया और उनकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद उनके साथी उन्हें पैदल ही अस्पताल के लिए लेकर निकल पड़े। लेकिन, रास्ते में ही जवान विवेक सिंह ने बलिदान दे दिया। अपने साथी जवानों को सुरक्षित बाहर लाने और अपनी जान पर खेलकर समस्या का निदान करने जैसे अदम्य साहस को देखते हुए 15 अगस्त 2023 को उन्हें शौर्य चक्र के लिए नामित किया गया था।
शौर्य सम्मान मिलने पर शुक्रवार को बलिदानी विवेक सिंह तोमर के अंबाह की एमएलडी कॉलोनी में शहीद सैनिक संघ अंबाह के सदस्य, आस-पास की महिलाएं और नगर के युवा शहीद के घर पहुंचे, जहां उन्होंने बलिदानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
हवलदार विवेक सिंह तोमर की याद में उनकी माता मुन्नी देवी नम आंखों से उस दिन को याद करती हैं, जिस दिन उनका बेटा पहली बार सेना में ड्यूटी के लिए जा रहा था। उन्होंने बताया कि जब बेटा बीएससी की पढ़ाई कर रहा था, तो वह सेना की भर्ती के लिए गया, जिसमें उसका चयन हो गया। तब मां ने इच्छा जताई थी कि बेटा बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सेना में चले जाए। लेकिन बेटे विवेक ने मन में ठान लिया था कि उसे अभी सेना में जाना है। उन्होंने बताया कि जब विवेक पहली बार सेना में ड्यूटी के लिए जा रहे थे, तो बेटे ने उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान मां मुन्नी देवी ने बेटे विवेक से वचन लिया था कि अगर मां भारती के लिए अपनी जान की बाजी लगानी पड़े तो देना मेरे दूध की लाज बचाना।
शहीद हवलदार विवेक सिंह तोमर के पिता हरी सिंह तोमर ने बताया कि बेटे विवेक का बचपन से ही सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें। उसे लोगों की मदद करना इतना अच्छा लगता था कि जब भी किसी रिश्तेदार या पड़ोसी को पैसों की या फिर किसी अन्य प्रकार की कोई जरूरत होती तो वह हमेशा से उनकी मदद करता था।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात
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