संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर व ममलेश्वर के दर्शन किए
- संत-महात्माओं व श्रद्धालुओं से चर्चा की
खंडवा/ओंकारेश्वर, 5 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत इन दिनों मध्य प्रदेश के प्रवास पर हैं। उन्होंने शुक्रवार सुबह खंडवा जिला स्थित प्रसिद्ध तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में ज्योर्तिलिंग भगवान ओंकारेश्वर-ममलेश्वर के दर्शन किए। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां करीब 10 मिनट उन्होंने पूजा-अर्चना की। उन्होंने ओंकारेश्वर में मां नर्मदा का भी पूजन-अभिषेक किया।
मंदिर ट्रस्ट के व्यवस्थापक पंडित आशीष दीक्षित ने बताया कि दर्शन के बाद श्रीजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा उन्हें भगवान ओंकारेश्वर की तस्वीर भेंट कर स्वागत किया गया। इसके बाद निरंजनी अखाड़ा पहुंच कर उन्होंने हवन में आहुति दी। उन्होंने श्रीश्री रविशंकर के आश्रम में मां नर्मदा की स्वच्छता, पवित्रता को लेकर विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी और स्वयंसेवकों से चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत गुरुवार शाम दो दिवसीय निजी प्रवास पर ओंकारेश्वर पहुंचे। ओंकारेश्वर पहुंचने पर आचार्य महामंडलेश्वर विवेकानंद पुरी महाराज और स्वामी भूमानंद सरस्वती ने सरसंघचालक डॉ. भागवत की अगवानी की। इस मौके पर संघ के भैया जोशी, गोपाल कृष्ण, माखन सिंह सहित संघ के कई पदाधिकारी मौजूद थे।
इसके बाद डॉ. भागवत ने ओंकार पर्वत स्थित एकात्मधाम पहुंच कर आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के दर्शन किए। प्रतिमा लोकार्पण के बाद काम में शिथिलता को देखते हुए उन्होंने सिंहस्थ 2028 तक प्रोजेक्ट को पूरा होने की मंशा भी जताई। पूरे प्रोजेक्ट की जानकारी लेने के साथ उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की 11 फीट ऊंची प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने रात्रि विश्राम बिलोरा खुर्द स्थित श्रीश्री रविशंकर के आश्रम में किया।
दरअसल, सरसंघचालक डॉ. भागवत एक सप्ताह से मप्र के प्रवास पर हैं। उन्होंने बीते शनिवार को अमरकंटक से अपने प्रवास की शुरुआत की थी। इसके बाद वे नर्मदापुरम, नेमावर होते हुए गुरुवार की देर शाम ओंकारेश्वर पहुंचे थे। यहां उन्होंने शुक्रवार सुबह मां नर्मदा और ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर-ममलेश्वर के दर्शन-पूजन करने के बाद संत-महात्माओं से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने संघ पदाधिकारियों की बैठक भी ली।
सरसंघचालक के ओंकारेश्वर दौरे को लेकर महामंडलेश्वर विवेकानंद पुरी महाराज ने कहा कि इस एकात्मधाम का सौभाग्य है कि जिनके कंधों पर बहुत बड़ा भार है, इस एकात्मधाम को जिस चीज की जरूरत थी, वह अपना स्नेहिल आशीर्वाद दे गए हैं। संदेश और संकेत भी दे गए हैं तो सब चीज हो गई। उनके आने से हमें यह विश्वास हो गया कि अब यह कार्य विशाल रूप और गति से होगा। उन्होंने कहा कि हमलोगों की पहले दिन से ही एकात्मता, सामाजिक समरसता, सामाजिक सद्भाव और एकात्मकता की भावना थी। जीव जगत, जगत आत्मा और परमात्मा सब एक ही है। यह सूत्र यहां से पूरे विश्व का कल्याण करेगा, इसी मंगल कामना का सरसंघचालक हमें आशीर्वाद देकर गए हैं। हम लोग उनके वचनों से अभिभूत हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/संजीव
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