आईसीजी के लिए खरीदी जाएंगी 14 तेज गश्ती नौकाएं, 1070.47 करोड़ का करार
- एमडीएल 63 महीनों में नौकाएं बनाकर आईसीजी को सौंपेगा
- सहायता तथा निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी नौकाएं
नई दिल्ली, 24 जनवरी (हि.स.)। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के लिए 14 तेज गश्ती नौकाओं (एफपीवी) के लिए बुधवार को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके लिए 1070.47 करोड़ रुपये मूल्य का अनुबंध किया गया है। इन बहुउद्देशीय तेज गश्ती नौकाओं को एमडीएल में स्वदेशी रूप से तैयार, विकसित एवं निर्मित करके 63 महीनों में आईसीजी को सौंप दिया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ उच्च तकनीकी उन्नत सुविधाओं एवं उपकरणों के साथ ये बहुउद्देशीय द्रुतगामी गश्ती जहाज कई भूमिकाओं में सक्षम ड्रोन, वायरलेस से नियंत्रित रिमोट वॉटर रेस्क्यू क्राफ्ट लाइफबॉय और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमता आदि से लैस होंगे। इससे भारतीय तट रक्षक बल को आधुनिक युग की बहुआयामी चुनौतियों का सामना करने के साथ ही बेहतर संचालन क्षमता मिल सकेगी। ये आधुनिक तेज गश्ती नौकाएं मत्स्य पालन सुरक्षा एवं निगरानी, नियंत्रण एवं निगरानी, तस्करी विरोधी अभियान, तलाश और बचाव अभियान, संकट में फंसे जहाजों, नौकाओं को सहायता, टोइंग क्षमताओं में वृद्धि, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया संचालन, समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के दौरान सहायता तथा निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
मंत्रालय के मुताबिक़ इन द्रुतगामी गश्ती जहाजों के अधिग्रहण का उद्देश्य भारतीय तट रक्षक बल की क्षमताओं को बढ़ावा देना और समुद्री सुरक्षा की ओर सरकार के बढ़ते प्रयास को विस्तार देना है। यह अनुबंध आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप देश की स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमता को विस्तार देगा। समुद्री आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और इससे सहायक उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के विकास को गति देगा। यह परियोजना प्रभावी ढंग से देश में रोजगार के अवसर और विशेषज्ञता के साथ विकास को सृजित करेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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