इतिहास के पन्नों में 23 मईः आखिर क्यों जरूरत पड़ी कछुआ दिवस मनाने की?
देश-दुनिया के इतिहास में 23 मई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख अंतरराष्ट्रीय कछुआ दिवस के लिए भी जानी जाती है। हम सभी ने बचपन में कछुए और खरगोश की कहानी जरूर सुनी होगी। कछुआ अपनी बेहद धीमी चाल के लिए जाना जाता है। साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है। कई लोग इसे शुभ मानते हैं। यही वजह है कि लोग इन्हें पालते भी हैं। कुछ समय से दुनिया में इनकी संख्या कम हो रही है। ऐसे में इसे लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के मकसद से 23 मई को अंतरराष्ट्रीय कछुआ दिवस मनाया जाता है।
कछुआ दिवस मनाने की शुरुआत साल 1990 से हुई। दरअसल, कछुओं की अलग-अलग प्रजातियों को बचाने के मकसद से एक गैर-लाभकारी संगठन अमेरिकन टॉर्टवायज रेस्क्यू की स्थापना की गई। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य विश्वभर के कछुओं का संरक्षण करना है। इसी संगठन ने इस दिवस की शुरुआत की। कछुए दुनिया में रैप्टाइल ग्रुप के सबसे पुराने जानवरों में से एक हैं। यह सांपों, और मगरमच्छों की तुलना में भी बहुत पुराने हैं। ये जीव डायनासोर से पहले के हैं। माना जाता है कि यह 250 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुए। दुनिया में 300 प्रकार के कछुए हैं। इनमें से 129 लुप्तप्राय (संकट में) हैं। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को याद दिलाया जाता है कि कछुओं को उनके प्राकृतिक आवास में रहने और बढ़ने में मदद करना कितना महत्वपूर्ण है।
कछुआ धरती पर सबसे ज्यादा जीवित रहने वाले जीवों में से एक है। रेंगने वाले यानी रैप्टाइल्स ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले कछुए की उम्र धरती पर 150 साल से भी ज्यादा मानी जाती है। दुनिया में सबसे ज्यादा साल तक जीवित रहने वाले कछुए का नाम हनाको था। वह लगभग 226 साल तक जीवित रहा और लंबा जीवन जीने के बाद 17 जुलाई, 1977 में उसकी मौत हो गई। सेशल्स आइलैंड में पाया गया कछुआ अलडाबरा टोरटॉयज तो 256 साल तक जिया। कछुआ को अंग्रेजी में दो नामों से जाना जाता है- टर्टल और टोरटॉयज। दोनों कछुए ही होते हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर भी होते हैं। टोरटॉयज के शेल या कवच ज्यादा उभरे हुए और गोल होते हैं, जबकि टर्टल के शेल पतले और पानी में तैरने के अनुकूल होते हैं। दोनों में एक और बड़ा अंतर यह है कि टर्टल पानी में अपना जीवन गुजारते हैं, जबकि टोरटॉयज अपना ज्यादा वक्त जमीन पर गुजारते हैं। कछुओं की खास बात ये है कि ये पानी में और जमीन दोनों जगह जिंदा रह सकते हैं।
कछुए के मुंह में दांत नहीं होते हैं। खाना चबाने में इनकी सहायता करने के लिए उनके मुंह में एक तीखी प्लेट की तरह हड्डी का पट्ट होता है, जिसकी मदद से कछुए खाना खाते हैं। जानकर हैरानी हो सकती है कि कछुए के दिमाग को उनके शरीर से अलग कर दिया जाए तो भी वे करीब 6 महीने तक जिंदा रह सकते हैं। अंतरिक्ष में जाना आपका शौक हो सकता है, लेकिन यह जीव अंतरिक्ष की यात्रा भी कर चुका है। वर्ष 1968 में सोवियत संघ ने दो कछुओं और कुछ अन्य जानवरों के साथ अंतरिक्ष की यात्रा शुरू की थी। एक हफ्ते बिताने के बाद यान वापस लौटा तो दोनों कछुओं का वजन 10 फीसदी कम हो चुका था।
कछुओं का कवच इतना मजबूत होता है कि बंदूक की गोली का भी सामना कर सकता है। माना जाता है कि इनके कवच को तोड़ने के लिए 200 गुना ज्यादा वजन के सामान की जरूरत पड़ती है। हालांकि शिकारी पक्षी बाज कछुए को पंजों में दबाकर बहुत ऊंचे उड़ जाते हैं और वहां से पहाड़ियों पर गिरा देते हैं। इससे कछुए का कवच टूट जाता है। प्राचीन रोमन मिलिट्री के सैनिक कछुओं से बेहद प्रभावित थे। कहा जाता है कि सैनिकों ने कछुए से ही लाइनें बनाना सीखा और साथ ही कछुए की कवच देख सैनिकों ने अपनी ढाल को सिर के ऊपर रखना सीखा। इससे युद्ध के दौरान दुश्मन के वार से खुद को बचा पाते थे। प्रजनन की बात करें तो मादा कछुआ एक बार में एक से 30 अंडे देती हैं। इन अंडों से कछुए के बच्चे निकलने में तीन से पांच महीने यानी 90 से 150 दिन का समय लग जाता है। एक और खास बात ये है कि कछुए के कवच का रंग उनके इलाके का तापमान बता सकते हैं। गर्म इलाकों में रहने वाले कछुओं का कवच हल्के रंग का, जबकि ठंडी जगह पर रहने वाले कछुए के कवच गहरे रंग के होते हैं। कछुओं की 129 प्रजातियों के संकट के लिए परिवेश और जलवायु में बदलाव के साथ-साथ हम इंसान भी जिम्मेदार हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कछुओं का शिकार और तस्करी की जाती है।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1420ः आस्ट्रिया और सीरिया से यहूदियों को निकाला गया।
1805ः गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली ने एक आदेश के अंतर्गत दिल्ली के मुगल बादशाह के लिए स्थायी प्रावधान की व्यवस्था की।
1915ः प्रथम विश्व युद्ध के परिप्रेक्ष्य में इटली और लंदन संधि के अपने हिस्से को पूरा करने के लिए मित्र राष्ट्रों में शामिल हुए।
1934ः ऑटो-लाइट स्ट्राइक टोलेडो की लड़ाई समाप्त।
1948ः इजराइल के यरुशलम में यूएस कंसुल जनरल के थॉमस सी वासन की हत्या।
1949ः जर्मनी के संघीय गणराज्य के लिए मूल कानून घोषित किया गया।
1995ः जावा प्रोग्रामिंग भाषा का पहला संस्करण जारी।
1998ः उत्तरी आयरलैंड में एक जनमत संग्रह में गुड फ्राइडे समझौता स्वीकार किया गया।
2004ः बंगलादेश में तूफान के कारण मेघना नदी में नाव डूबने से 250 लोगों की मौत।
2006ः अलास्का स्ट्रेटोवोल्केनो माउंट क्लीवलैंड में विस्फोट।
2010ः भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बिना शादी किए हुए महिला एवं पुरुष का एक साथ रहने को अपराध नहीं माना।
2013ः स्कागिट नदी पर इंटरस्टेट-पांच पुल वाशिंगटन के मांउंट वर्नोन में गिरा।
2014ः कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के परिसर के पास एक हत्याकांड में अपराधी समेत सात लोग मारे गए और 14 लोग घायल ।
2015ः टेक्सास और ओकलाहोमा में बवंडर और अचानक आई बाढ़ से कम से कम 46 लोगों की मौत।
2017ः मिंडानाओ में मार्शल लॉ घोषित।
जन्म
1919ः जयपुर राजघराने की राजमाता महारानी गायत्री देवी।
1923ः राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार अन्नाराम सुदामा।
निधन
1930ः प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार तथा पुरातत्ववेत्ता राखालदास बंधोपाध्याय।
2010ः तेलुगू चलचित्र गीतकार वेतुरी सुंदरम्मा मूर्ति।
2010ः नक्सली आंदोलन के जनक कानू सान्याल।
महत्वपूर्ण दिवस
-अंतरराष्ट्रीय तिब्बत मुक्ति दिवस।
-विश्व कछुआ दिवस।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद
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