शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष बोले- अनर्गल राजनैतिक बयान देना एक सन्यासी के लिए शोभा नहीं देता

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शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष बोले- अनर्गल राजनैतिक बयान देना एक सन्यासी के लिए शोभा नहीं देता


शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष बोले- अनर्गल राजनैतिक बयान देना एक सन्यासी के लिए शोभा नहीं देता


शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष बोले- अनर्गल राजनैतिक बयान देना एक सन्यासी के लिए शोभा नहीं देता


देहरादून, 17 जुलाई (हि.स.)। केदारनाथ धाम को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के सनसनीखेज बयान पर शांभवी पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि उनका बयान कितना तथ्यपूर्ण है और कितना सत्यता है, यह मैं नहीं कह सकता।

अविमुक्तेश्वरानंद महाराज राखी सावंत की तरह हर सप्ताह कोई न कोई सनसनी फैला देते हैं। पिछली बार आरोप लगाया गया कि सोने की जगह पीतल लगा दिया गया। अब आरोप लगाया जा रहा है कि 228 किलो सोना गायब हो गया। इस प्रकार रोज-रोज अनर्गल राजनैतिक बयान देना एक सन्यासी के लिए शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि अभी शंकराचार्य का विवाद समाप्त नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अभी मामला चल रहा है। उस पद पर स्टे है, फिर भी शंकराचार्य का दुरुपयोग करके इस प्रकार का बयान देना निंदनीय और असहनीय है।

अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पर जांच बैठाए सरकार

उन्होंने उत्तराखंड सरकार से मांग की कि अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पर जांच बैठाई जाए आखिर ये हर रोज प्रकार का बयान क्यों दे रहे हैं, अनर्गल प्रलाप क्यों कर रहे हैं।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग सिर्फ उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में है

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनने की विवाद पर उन्होंने कहा कि काशी में उनके श्रीविद्या मठ के ठीक बगल में केदारनाथ मंदिर है और जब केदारनाथ मंदिर दिल्ली में बन रहा है तो उसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर पूरे देश में बन सकती है, उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग एक ही है, वह है उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में।

पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने कहा कि बदरीनाथ-केदारनाथ समिति एक जिम्मेदार समिति है, जो चारधाम यात्रा का विधिवत संचालन करती है। किसी कारण से किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो उसके लिए अधिकृत संस्थाएं होती हैं, जहां पर शिकायत की जा सकती है। जांच-पड़ताल के लिए संवैधानिक तौर-तरीके हैं। उनके दरवाजा हमेशा खुले रहेंगे। किसी श्रद्धालु या किसी संत को आपत्ति या शक है तो मीडिया में शोर मचाने के बजाय संवैधानिक प्रक्रिया अख्तियार करना चाहिए। इस संबंध में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान भी मैंने सुना है। उन्होंने सारे तथ्य रखे हैं और आरोप लगाने वाले को चुनौती दी है कि यदि उनके पास कोई आधार है या तथ्य है तो वह अदालत में जाएं, जनहित याचिका लगाएं, जांच कराएं। बेवजह बात का बतंगड़ न बनाएं। उत्तराखंड के चारधाम प्रमुख तीर्थस्थल है। 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ऊंचाई पर विराजमान केदार खंड में भगवान शिव केदारनाथ विराजमान हैं। वहां करोड़ों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था है। उनको पूजने वाले दुनिया के कोने-कोने में निवास करते हैं। वहां की एक आवाज, एक शब्द और एक चर्चा सुनकर लोग अपने आप को धन्य करते हैं। ऐसे महान पवित्रतम स्थल के लिए सिर्फ बातें और अफवाह उड़ा करके धर्म स्थल के बारे में इस तरह की बातें फैलाना अनुचित है। इससे श्रद्धालुओं की श्रद्धा को आघात लगता है। जिसने भी वहां सोना दिया है, वो भाव-भक्ति से दिया है। वो लोग भी वहां मौजूद हैं तो जांच होने पर पानी और दूध अलग-अलग हो जाएगा। आध्यात्मिक विस्तार और सनातन धर्म के प्रचार के लिए धर्म गुरुओं और साधु-संतों को ध्यान देना चाहिए। राजनैतिक टिप्पणी करना गैर जिम्मेदाराना कार्य है। ऐसी हरकत करने से खुद को रोकें, जिससे आस्था को ठेस न पहुंचे और सनातन धर्म का विस्तार हो।

श्रद्धालुओं को भटकाने और उत्तराखंड सरकार को बदनाम करने का षड्यंत्र

महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में जिस प्रकार बयान दे रहे हैं, उन्हें कोई बयान देने से पूर्व वो प्रत्यक्ष आकर देखें कि चोरी जैसी कोई घटना हुई अथवा नहीं। केवल एक पार्टी को खुश करने के लिए अविमुक्तेश्वरानंद ऐसा कर रहे हैं। ये उनको शोभा नहीं देती। यह केवल श्रद्धालुओं को भटकाने और उत्तराखंड सरकार को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र है।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / आकाश कुमार राय

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