नौसेना के तीन जहाज माहे, मालवन और मंगरोल एक साथ कोच्चि में लांच

नौसेना के तीन जहाज माहे, मालवन और मंगरोल एक साथ कोच्चि में लांच
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नौसेना के तीन जहाज माहे, मालवन और मंगरोल एक साथ कोच्चि में लांच

- नौसेना अधिकारियों की पत्नियों ने अथर्ववेद के मंगलाचरण के साथ लांच किये जहाज

- तीनों जहाजों के नाम रणनीतिक महत्व के भारतीय तट से सटे बंदरगाहों पर रखे गए

नई दिल्ली, 30 नवंबर (हि.स.)। भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे 8 एक्स एएसडब्ल्यू शैलो वॉटर क्राफ्ट (सीएसएल) परियोजना के प्रथम तीन जहाजों माहे, मालवन और मंगरोल गुरुवार को एक साथ कोच्चि में लांच किये गए। समुद्री परंपरा को ध्यान में रखते हुए तीनों जहाजों को नौसेना के अधिकारियों की पत्नियों ने अथर्ववेद के मंगलाचरण के साथ लांच किया। इन शैलो वॉटर क्राफ्ट्स के नाम भारत के तट से सटे रणनीतिक महत्व के बंदरगाहों के नाम पर रखे गए हैं और ये अपने हमनाम पूर्ववर्ती युद्धपोतों की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में शैलो वॉटर क्राफ्ट माहे को आईएनए के कमांडेंट वाइस एडमिरल पुनीत बहल की पत्नी अंजलि बहल ने, मालवन को सी-इन-सी वाइस एडमिरल सूरज बेरी की पत्नी कंगना बेरी ने और मंगरोल को नौसेना उप-प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह की पत्नी ज़रीन लॉर्ड सिंह ने लांच किया। जहाजों को अथर्ववेद के मंगलाचरण के साथ लांच किया गया। रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर 30 अप्रैल, 19 को हस्ताक्षर किए गए थे। माहे श्रेणी के जहाजों को स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक अंडरवॉटर सेंसर से लैस किया जाएगा।

इन जहाज़ों की परिकल्पना तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) और खदान बिछाने परिचालनों के लिए गई है। एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाज 78 मीटर लंबे हैं और 25 समुद्री मील अधिकतम गति सहित इनका विस्थापन लगभग 900 टन है। एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयों में किया जाएगा, जिससे देश के भीतर रोजगार और सामर्थ्य में वृद्धि होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल

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