वार्ष‍िकी : हरित क्रांति की लिख दी इबारत, 2025 में मध्य प्रदेश बना स्वच्छ ऊर्जा का राष्ट्रीय पावरहाउस

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वार्ष‍िकी : हरित क्रांति की लिख दी इबारत, 2025 में मध्य प्रदेश बना स्वच्छ ऊर्जा का राष्ट्रीय पावरहाउस


भोपाल, 24 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 मध्य प्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। यह वर्ष राज्य के स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति का प्रतीक बन गया, जिसने मध्य प्रदेश को देश के अग्रणी हरित ऊर्जा राज्यों की कतार में सबसे आगे ला खड़ा किया है। रिन्यूएबल एनर्जी नीति 2025 के लागू होते ही प्रदेश ने यह सिद्ध कर दिया कि दूरदर्शी नीति, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और तकनीकी नवाचार मिलकर किस तरह विकास के नए आयाम गढ़ सकते हैं।

मार्च 2025 में लागू की गई रिन्यूएबल एनर्जी नीति 2025 ने प्रदेश की ऊर्जा दिशा और दशा दोनों बदल दी। इस महत्वाकांक्षी नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक राज्य की कुल बिजली खपत का 50 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से पूरा करना है। 500 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले सभी नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को नीति के दायरे में लाकर निवेशकों के लिए आकर्षक वातावरण तैयार किया गया। 2027 तक 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश और 10 गीगावाट के रिन्यूएबल एनर्जी पार्क स्थापित करने का लक्ष्य तय कर मध्य प्रदेश को ग्रीन एनर्जी हब के रूप में विकसित करने की ठोस नींव रखी गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा और 2070 तक ‘नेट ज़ीरो’ के संकल्प को साकार करने में मध्य प्रदेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राज्य की मोहन यादव सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इसका परिणाम ये है वर्ष 2025 तक प्रदेश की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता बढ़कर 9,508 मेगावाट तक पहुंच गई और कुल ऊर्जा उत्पादन में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक हो गई।

रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क हर वर्ष रोक रही 15.4 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने देश को दिशा दिखाने का काम किया। रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क, जिसकी क्षमता 750 मेगावाट है, वर्ष 2025 में पूरी क्षमता से संचालित रहा और दिल्ली मेट्रो की लगभग 60 प्रतिशत बिजली जरूरत को पूरा करता रहा। यह परियोजना हर वर्ष 15.4 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोक रही है, जोकि 2.6 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर पर्यावरणीय लाभ है। वहीं, मोरना सोलर पार्क की 440 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयों ने 95 प्रतिशत से अधिक उपलब्धता के साथ देश की सबसे सस्ती फर्म ग्रीन पावर उपलब्ध कराई।

ओंकारेश्वर में 278 मेगावाट क्षमता वाला देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश की एक और ऐतिहासिक उपलब्धि बना। जलाशयों के सतत उपयोग का यह मॉडल देशभर के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। इसके साथ ही नीमच, रीवा, नर्मदापुरम और शाजापुर जैसे जिलों में दर्जनों सोलर प्रोजेक्ट्स के माध्यम से 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ। सरकारी भवनों के सौरीकरण अभियान के तहत 1,500 से अधिक इमारतों पर 70 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए, जिससे बिजली खर्च में बड़ी बचत हुई।

पीएम किसान ऊर्जा अभियान और कुसुम-सी योजना बनी ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था की ताकत

किसानों के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा अभियान और कुसुम-सी योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत दी। 21,129 किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराए गए और 50 हजार से अधिक पंप वितरण की प्रक्रिया में हैं। दिन के समय सुनिश्चित बिजली आपूर्ति ने कृषि लागत घटाई और किसानों की आय बढ़ाई। सांची को प्रदेश का पहला सौर शहर घोषित किया जाना मध्य प्रदेश की हरित सोच का प्रतीक बन गया है, जहां ‘नेट ज़ीरो कार्बन’ सिद्धांत को जमीन पर उतारा जा रहा है।

प्रदेशम में पवन ऊर्जा ने भी पकड़ी गति

पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी वर्ष 2025 नई गति लेकर आया। नीति 2025 के तहत उन्नत टरबाइन और रिपावरिंग के माध्यम से 1,562 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य रखा गया। सोलर-विंड हाइब्रिड पार्कों ने 24x7 ग्रीन पावर की अवधारणा को साकार किया। इससे न केवल ऊर्जा की स्थिरता बढ़ी, बल्कि निजी निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हुआ और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।

हाइब्रिड एनर्जी पार्क, पंप्ड स्टोरेज और बैटरी स्टोरेज परियोजनाओं ने 2025 को तकनीकी रूप से भी ऐतिहासिक बना दिया। मुरैना की सोलर प्लस बैटरी स्टोरेज परियोजना, जहां ₹2.70 प्रति यूनिट की दर से चौबीसों घंटे हरित ऊर्जा उपलब्ध होगी, भारत में राउंड-द-क्लॉक ग्रीन पावर की दिशा में मील का पत्थर है। पंप हाइड्रो परियोजनाओं के लिए 14,850 मेगावाट क्षमता के प्रस्ताव और बायोफ्यूल, सीबीजी तथा बायोमास परियोजनाओं ने ऊर्जा विविधीकरण को मजबूती दी।

‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक’ रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी कर रही निवेशकों को आकर्षित

जीआईएस-भोपाल के दौरान लागू की गई ‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक’ रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी ने देश-विदेश के निवेशकों को आकर्षित किया। अब तक 5.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनसे 1.46 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। अवाडा, टोरेंट पावर, जिंदल, एनएसएल और एनटीपीसी जैसी कंपनियों का निवेश मध्य प्रदेश को हरित औद्योगिक केंद्र बना रहा है।

इस तरह से देखें तो वर्ष 2025 मध्य प्रदेश के लिए स्वच्छ ऊर्जा का स्वर्णिम अध्याय बनकर उभरा है। 15 गुना वृद्धि, हजारों मेगावाट नई क्षमता, लाखों रोजगार और पर्यावरण संरक्षण के ठोस परिणामों ने राज्य को ग्रीन लीडर के रूप में स्थापित कर दिया है। मध्य प्रदेश ने यह साबित कर दिया है कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं है, यदि इच्‍छा शक्‍ति हो तो इन दोनों को एक-दूसरे का पूरक बनाया जा सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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