सभी संसद सदस्य, सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए कार्य करें : लोक सभा अध्यक्ष
नई दिल्ली, 9 अगस्त (हि.स.)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संसद भवन परिसर में 18वीं लोकसभा के नव निर्वाचित सांसदों के लिए, संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बिरला ने कहा कि अध्यक्ष विचारधारा अथवा दल के आधार पर कार्य नहीं करते। वास्तव में अध्यक्ष सभी सदस्यों के अधिकारों के संरक्षक होते हैं। उन्होंने नए सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपनी सुविधाओं और सदन के कामकाज के बारे में अपने सुझाव दें जिससे उनके लिए अधिक प्रभावी व्यवस्थायें उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि 18वीं लोक सभा में कुल 280 सदस्य पहली बार निर्वाचित होकर संसद सदस्य बने हैं,जो कि पिछली लोक सभा की तुलना में अधिक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नए सदस्यों के नए विचार पुन: निर्वाचित सदस्यों के बृहद अनुभवों के साथ लोक सभा के कार्य में अधिक गुणवत्ता लाएंगे।
बिरला ने बताया कि अध्यक्ष पद के उनके कार्यकाल में नवनिर्वाचित सांसदों को प्रोत्साहित करने हेतु कई कदम उठाए गए हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने बताया कि नए सदस्यों लिए यह अति आवश्यक है कि वे सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए कार्य करें। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सदन के अंदर और सदन के बाहर सांसदों का आचरण सदैव उच्च कोटि का हो और अध्यक्ष पीठ के निदेशों के अनुकूल हो। उन्होंने नवनिर्वाचित सदस्यों को सुझाव दिया कि सदन के अंदर वे अपनी बात, नियमों और प्रक्रियाओं के तहत शालीनता से रखें और अपने साथी सदस्यों का उचित सम्मान करें। उन्होंने सदस्यों से प्रोसीज़रल डिवाइस - प्रश्न काल , शून्य काल , कालिंग अटेंशन इत्यादि - का कुशलतापूर्ण उपयोग करने का सुझाव दिया।
सदन के अंदर-बाहर सदस्यों के आचरण को उच्च कोटि का रखने पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने कहा कि सदन के भीतर ओर बाहर जनता अपने जनप्रतिनिधियों के व्यवहार, कथन और आचरण का ध्यान रखती है। उन्होंने सुझाव दिया कि सदस्य सदन में चर्चा के दौरान विषय का गंभीर अध्ययन करें और अपनी बात को संक्षेप में रखें। वे ज्यादा से ज्यादा सदन में बैठें और अपने वरिष्ठ साथियों से सीखने का प्रयास करें।
सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे अनुभव का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि संसद सदस्य जनता की आकांक्षाओं के वाहक होते हैं। इसलिए जनता की जनप्रतिनिधियों से आशा रहती है कि वे उनकी समस्याओं, कठिनाईयों, और चिंताओं की संसद में अभिव्यक्ति करेंगे, एवं उचित समाधान निकालेंगे। इस सन्दर्भ में उन्होंने विचार व्यक्त किया कि संसद सदस्य, सदन में जनता की आशाओं-आकांक्षाओं को तभी पूरा कर सकते हैं जब उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी हो। उन्होंने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम का उद्देश्य है कि सभी नव-निर्वाचित सदस्यों को संसदीय कार्यकरण से सम्बंधित संसाधनों, सुविधाओं और प्रणाली की जानकारी प्राप्त हो।
बिरला ने संसद सदस्यों को बताया कि प्रबोधन कार्यक्रम के अंतर्गत संसदीय प्रणाली के कार्यकरण से जुड़े सभी पहलुओं, रीतियों और पद्धतियों की जानकारी देने के साथ-साथ सांसदों को कार्य संचालन के नियमों आदि से भी अवगत कराया जाएगा, जिससे उनको अपने दायित्वों के निर्वहन में सुविधा होगी।
बिरला ने बताया कि सांसदों के उपयोग हेतु संसद की एक अत्यंत समृद्ध लाइब्रेरी है जहां उन्हें संविधान सभा की डिबेट समेत, स्वतंत्रता से अभी तक संसद में पारित कानूनों की डिबेट और समितियों की रिपोर्ट मिलेगी। उन्होंने सभी सांसदों को पुस्तकालय के उचित उपयोग का सुझाव दिया और समसामयिक घटनाओं और विषयों पर गहन अध्ययन करने पर बल दिया। उन्होंने सदस्यों को सुझाव दिया कि वे रिसर्च नोट और सन्दर्भ सेवा के साथ डिजिटल संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग करें।
इस अवसर पर लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा / प्रभात मिश्रा