लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का लोक कल्याणकारी राज्य का दर्शन आज भी प्रासंगिक : सुरेश सोनी
-लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी समारोह सम्पन्न
प्रयागराज, 15 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का लोक कल्याणकारी राज्य का दर्शन आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। हम उनसे प्रेरणा ले सकते हैं। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सनातन संस्कृति की रक्षा और समाज कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। अपने शासनकाल में अहिल्याबाई होलकर ने उन जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना की, जो विदेशी आक्रमणों के दौरान कमजोर हो गए थे। उनकी जीवन यात्रा ‘राजश्री से राजर्षि’ तक की थी।
सुरेश सोनी ने यह विचार रविवार को मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तेलियरगंज के एमपी सभागार में आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लोकमाता के आदर्श आज भी संघ कार्यों के प्रेरणाश्राेत हैं। यह सुखद संयोग है कि वर्ष 1725 में लोकमाता का जन्म हुआ और ठीक 200 वर्ष बाद, 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति का सतत् प्रवाह, हमारे महापुरुषों द्वारा समय-समय पर उसके पुनरोद्धार के कारण है। भारतीय समाज में पुरुष और महिला एक-दूसरे के पूरक हैं और हमारे सारे प्रतीक इस बात को दर्शाते हैं।
समारोह में विशिष्ट अतिथि कैप्टन मीरा सिद्धार्थ दवे ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई, गार्गी और मैत्रेयी जैसी महान महिलाओं की तरह सम्पूर्ण नेता थीं। उन्होंने धर्म और राज्य दोनों का विवेकपूर्ण प्रबंधन किया। अपने शासनकाल में उन्होंने महिलाओं को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञान दिया।
विशिष्ट अतिथि होलकर वंश के प्रतिनिधि उदय राजे होलकर ने कहा कि आरएसएस द्वारा लोकमाता के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प स्वागत योग्य है। उन्होंने बदरिकाश्रम से लेकर काशी और द्वारिका तक कई मंदिरों का पुनरोद्धार कराया और अपने शासनकाल में दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी राजधानी में सूर्य घड़ी और होलकर राज्य का पंचांग भी बनवाया।
समारोह की संयोजिका डॉ कीर्तिका अग्रवाल ने कहा कि लोकमाता ने अपनी साधना और समाज सेवा से हमारे जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना की, जो हमें आज भी गौरव का अनुभव कराता है। कार्यक्रम का संचालन शालू केसरवानी ने किया और नारायण आश्रम की बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत लावणी नृत्य और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से लोकमाता के जीवन संघर्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र
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