वायुसेना में एलसीए तेजस की सेवा के सात साल पूरे, भारत को दिलाई नई पहचान

वायुसेना में एलसीए तेजस की सेवा के सात साल पूरे, भारत को दिलाई नई पहचान


- एलसीए तेजस आने वाले वर्षों में वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनेगा

- नया संस्करण कई हथियारों से लम्बी दूरी तक फायर करने में सक्षम होगा

नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस शनिवार को भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा के सात साल पूरे कर लेगा। बहु-भूमिका वाले इस विमान को वायु रक्षा, समुद्री टोही और स्ट्राइक भूमिका निभाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आने वाले वर्षों में एलसीए और इसके अन्य वेरिएंट भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार बनेंगे। सात वर्षों के भीतर एलसीए तेजस ने कई अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में हिस्सा लेकर भारत को अलग पहचान दिलाई है।

एचएएल तेजस एकल इंजन, डेल्टा विंग, हल्का मल्टीरोल फाइटर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर (एआरडीसी) के सहयोग से एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने वायु सेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया है। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) कार्यक्रम 1980 के दशक में भारत के पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए शुरू हुआ था, लेकिन बाद में सामान्य बेड़े आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा बन गया। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय 2003 में एलसीए को आधिकारिक तौर पर 'तेजस' नाम दिया गया था।

भारतीय वायु सेना की सेवा में रहते 01 जुलाई को एलसीए तेजस सात साल पूरे कर लेगा। भारतीय वायुसेना ने 01 जुलाई, 2016 को पहली तेजस यूनिट का निर्माण करके विमान को सेवा में शामिल किया किया, जिसका नाम 'फ्लाइंग ड्रैगर्स' है। वायु सेना ने इसके बाद मई, 2020 को दूसरी तेजस स्क्वाड्रन 'फ्लाई बुलेट' का निर्माण किया। यह दोनों स्क्वाड्रन सुलूर में स्थापित हैं। विमान की क्षमता को इसके मल्टी-मोड एयरबोर्न रडार, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट और लेजर डेजिग्नेशन पॉड के साथ और बढ़ाया गया है। वर्तमान में तेजस के तीन उत्पादन मॉडल मार्क 1, मार्क 1ए और एक ट्रेनर संस्करण हैं।

भारतीय वायुसेना ने एचएएल को 83 एलसीए एमके-1ए का ऑर्डर देकर इस हल्के लड़ाकू विमान पर भरोसा जताया है, जिसमें अपडेटेड एवियोनिक्स के साथ-साथ एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयरड रडार, अपडेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और एक बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल क्षमता होगी। नया संस्करण बढ़ी हुई स्टैंड-ऑफ रेंज से ढेर सारे हथियारों को फायर करने में सक्षम होगा। इनमें से कई हथियार स्वदेशी मूल के होंगे। एलसीए तेजस के एमके-1ए संस्करण में 50 फीसदी स्वदेशी सामग्री है, जिसे 60% तक बढ़ाया जाएगा। विमान की डिलीवरी फरवरी, 2024 में शुरू होने की उम्मीद है। आने वाले वर्षों में एलसीए और इसके भविष्य के वेरिएंट भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार बनेंगे।

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस ने मलेशिया, दुबई एयर शो, श्रीलंका, सिंगापुर सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। विमान ने पहले ही घरेलू स्तर पर विदेशी वायु सेनाओं के साथ अभ्यास में भाग लिया है। मार्च, 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में एक्स-डेजर्ट फ्लैग विदेशी धरती पर तेजस का पहला अभ्यास था। एलसीए तेजस आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनेगा। एलसीए तेजस में बड़ी संख्या में नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जिनमें से कई का प्रयास भारत में कभी नहीं हुआ। यह प्रोजेक्ट भारतीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को एक जीवंत आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/सुनीत/पवन

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