मप्रः मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट में किया अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी व्यवस्थाओं का शुभारम्भ

मप्रः मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट में किया अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी व्यवस्थाओं का शुभारम्भ
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मप्रः मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट में किया अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी व्यवस्थाओं का शुभारम्भ


-मप्र एकीकृत वीडियो निगरानी प्रणाली, कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य

भोपाल, 21 दिसंबर (हि.स.)। मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमथ ने गुरुवार को मप्र उच्च न्यायालय में आम नागरिकों की सहूलियत के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी व्यवस्थाओं का शुभारंभ किया। इसके साथ उच्च न्यायालय जबलपुर में वीडियो निगरानी प्रणाली और कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम-क्लास परियोजनाएं प्रारंभ हो गई है। इस मौके पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालय, जबलपुर के अधिकारी उपस्थित थे। यह देश में पहली बार है, जब किसी राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में सभी जिला और तहसील अदालतों के लिए कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की गई है।

सुरक्षित अदालत परिसरों की ओर बढ़ते हुए, हाईकोर्ट ने एकीकृत वीडियो निगरानी प्रणाली (आईवीएसएस) और कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम (क्लास) शुरू की है।

210 अदालत परिसरों के कोर्ट रूम की लाइव स्ट्रीमिंग होगी

इस अवसर पर बताया गया कि यह अपने आप में देश की एक अग्रणी परियोजना है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को अपनाती है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिम्मेदार नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए अन्य अदालतों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के इतिहास में एक अग्रणी तकनीकी परियोजना है जो हाई कोर्ट द्वारा प्रशासित अदालत परिसर को सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगी। नई प्रौद्योगिकी को अपनाने और उनका एकीकरण मध्य प्रदेश न्यायपालिका को डिजिटल युग के लिए तैयार करेगा। यह न्यायमूर्ति रवि मलिमथ की प्रगतिशील दृष्टि और सक्षम नेतृत्व के चलते संभव हुआ है।

अदालत परिसर में न्याय की यात्रा सभी संबंधित पक्षों- न्यायाधीशों, वकीलों और अधिवक्ताओं, अदालत के कर्मचारियों, पुलिस जैसी सुरक्षा एजेंसियों और बड़े पैमाने पर जनता के लिए सुरक्षित होनी चाहिए। अदालत परिसरों में व्यवधान की कई घटनाएं हुई हैं। अदालत परिसरों को सुरक्षित बनाने के लिए सिस्टम तैनात करना और तंत्र स्थापित करना महत्वपूर्ण कदम है।

इस व्यवस्था में शामिल है-

1. एकीकृत वीडियो प्रबंधन प्रणाली।

2. कोर्ट रूम ऑडियो-विज़ुअल रिकॉर्डिंग सिस्टम।

3. संग्रह और लाइव के साथ-साथ ऑन-डिमांड स्ट्रीमिंग सेट-अप।

4. जबलपुर में डेटा सेंटर एवं कमांड एवं कंट्रोल सेंटर की स्थापना।

5. इंदौर में डिजास्टर रिकवरी सेट-अप।

6. सुविधा प्रबंधन सेवाएँ और संचालन एवं रखरखाव।

5. वर्ष की अवधि के लिए प्रणाली परियोजना की कुल लागत रुपये 189.25 करोड़ होगी।

मुख्य बिन्दु-

अदालत कक्ष की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए वीडियो निगरानी कैमरों का उपयोग प्रत्येक अदालत परिसर और प्रत्येक अदालत कक्ष के भीतर वीडियो निगरानी प्रणाली- द्वारों, आंगन (पार्किंग स्थानों), भवन प्रवेश बिंदुओं, अदालत कक्ष प्रवेश द्वार, अदालत कक्ष, मार्ग और अन्य सार्वजनिक सभा की 24x7 निगरानी उन्नत मेगापिक्सेल आईपी कैमरों के उपयोग उच्च न्यायालय में वर्तमान में उपयोग में आने वाले आईवीएसएस, क्लास और केस ट्रैकिंग और प्रबंधन प्रणाली का एकीकरण किया गया है।

अलार्म मॉनिटरिंग, ऑन-डिमांड वीडियो मॉनिटरिंग और ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग अभिलेख के साथ-साथ आपदा रिकवरी सेट-अप के लिए जबलपुर में एक अत्याधुनिक कमांड और कंट्रोल सेंटर और डेटा सेंटर के साथ-साथ इंदौर में स्थानीय और जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए गए हैं। स्थानीय/दूरस्थ सुरक्षा कैमरों की निगरानी की जायेगी।

न्यायाधीशों के कक्षों और डेटा केंद्रों के लिए बायोमेट्रिक (चेहरे) पहुंच नियंत्रण, आगंतुकों की स्क्रीनिंग के लिए डोर फ्रेम और हैंड-हेल्ड मेटल डिटेक्टरों का उपयोग प्रमुख हैं। अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग से पूरी पारदर्शिता आएगी।

वर्तमान स्थिति में, वर्चुअल कोर्ट रूम एक वास्तविक आवश्यकता है और यह परियोजना उस दिशा में एक कदम है। लाइव स्ट्रीमिंग के साथ-साथ मामलों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग कानून की शिक्षा में एक शक्तिशाली उपकरण होगी और आने वाले दशकों में लाखों कानून के छात्रों को लाभ पहुंच सकती है - किसी भी अदालत कक्ष को इंटरनेट पर लाइव देखा जा सकता है।

ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को मामलों में टैग किया जाएगा और भविष्य में संदर्भ और सीखने के लिए संग्रहित किया जाएगा। यह पेपर रहित अदालतों की दिशा में भी एक कदम है। उच्च-रिजोल्यूशन वाले कैमरों का उपयोग न्याय के मंदिरों के भीतर गैर-कानूनी इरादों की गतिविधियों को रोकने में किया जायेगा। घटना के बाद की जांच के दौरान एक प्रभावी उपकरण के रूप में भी काम करेगी।

पायलट चरण के तहत, जबलपुर में एक केंद्रीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र (सीसीसी) और इंदौर में आपदा रिकवरी साइट स्थापित की गई है। जबलपुर के जिला न्यायालय और पाटन और सिहोरा के तहसील न्यायालयों में एकीकृत वीडियो निगरानी प्रणाली (आईवीएसएस) चालू की गई है। इसी प्रकार, जबलपुर जिला न्यायालय के एक न्यायालय कक्ष और पाटन और सिहोरा के प्रत्येक तहसील न्यायालय के एक न्यायालय कक्ष में कोर्ट रूम लाइव ऑडियो विजुअल स्ट्रीमिंग सिस्टम (क्लास) का कार्यान्वयन पूरा हो गया है। परियोजना के राज्यव्यापी क्रियान्वयन के बाद के चरण दिसंबर 2024 तक पूरे होने की उम्मीद है। आईवीएसएस एवं क्लास परियोजना के क्रियान्वयन से न्यायालयों की सुरक्षा मजबूत होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश

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