सांची में दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव प्रारम्भ, केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू मुख्य अतिथि के रूप में रहे उपस्थित
- जापानी लोकगीतों में विश्व शांति का संदेश, महानाट्य में बुद्ध का जीवन दर्शन और गीतों में गूंजा बुद्धम शरणम गच्छामि...
भोपाल, 30 नवंबर (हि.स.)।भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन और बुद्धम शरणम गच्छामि के वैश्विक संदेश के साथ महाबोधि महोत्सव शुरू हुआ। बौद्ध स्मारकों के लिए प्रसिद्ध और पवित्र स्थल सांची में केंद्रीय मंत्री अल्पसंख्यक, संसदीय कार्य विभाग किरेन रिजिजू ने दीप प्रज्ज्वलन कर पारंपरिक शुभारंभ किया। संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन-रायसेन के सहयोग से आयोजित महाबोधि महोत्सव का आयोजन किया गया है। सांस्कृतिक मंच, रामलीला मैदान, स्तूप रोड, सांची में प्रारम्भ हुए महोत्सव के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं कला रसिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने की। इस अवसर पर भिक्षु इंचार्ज, श्रीलंका महाबोधि सोसायटी पूज्य बानगल विमलतिस्स थेरो, डॉ. सुपाचाई वेरापुचोंग, थाईलैंड एवं विधायक, सांची डॉ. प्रभुराम चौधरी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में जापान की प्रख्यात गायिका सुश्री म्यू द्वारा जापानी संस्कृति और आपसी मित्रता आधारित गीतों की आकर्षक प्रस्तुति दी गई। उनके साथ आठ सदस्यीय नृत्य दल था, जिसमें सिंगो ओमुरा मुख्य कलाकार थे। सुश्री म्यू द्वारा सर्वप्रथम अपने अंदाज में बुद्धं शरणम गच्छामि... की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद जापानी संस्कृति का राष्ट्रगान प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति में आगे जापान का पारम्परिक गीत जापानी भाषा में प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य था विश्व में शांति का संदेश देना। गीत के माध्यम से यह संदेश दिया कि युद्ध नहीं, शांति चाहिए। जीवन का चक्र चलता रहता है, हमें शांति के मार्ग पर चलना चाहिए।
दूसरी प्रस्तुति महानाट्य ''धम्मचक्र'' की रही। शितल विश्वंभर दोडके द्वारा निर्देशित इस नाटक में कृति थियेटर एवं स्पोर्ट अकादमी, नागपुर के कलाकारों ने प्रस्तुति दी। इस 1:25 मिनट के नाट्य में भगवान गौतम बुद्ध की जीवन कथा को दर्शाया गया। इसमें उनका जन्म, शिशु अवस्था, 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह, उनकी पत्नी यशोधरा से संवाद, गृह त्याग, पहला धम्म परिवर्तन जिसमें पांच अनुयायियों को उन्होंने शिक्षा दी, बुद्ध की शरण में जनता इत्यादि प्रसंगों का प्रदर्शन आकर्षक और प्रभावूपर्ण ढंग से किया गया।
इसके बाद अंतिम प्रस्तुति भक्ति संगीत की रही, जिसमें भोपाल की सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री आकृति मेहरा एवं साथियों ने उपस्थित श्रोताओं को सुरों से निकले दिव्य आनन्द में तल्लीन कर दिया।
उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत बुद्धम शरणम गच्छामि... से की। इसके बाद बुद्ध अमृतवाणी..., बुद्ध ही बुद्ध है..., बंधुभाव हर एक ह्दय में..., सुनो रे हाथ जोड़ के करो वंदन... गीतों से सभी का मन मोह लिया। प्रस्तुति में आगे बुद्ध के दर पर जायेंगे..., ओ पालनहारे... और अंत में ऐ मालिक... प्रस्तुत कर प्रस्तुति को विराम दिया।
महाबोधि महोत्सव का दूसरा दिन
दूसरे एवं अंतिम दिन सायं 6:30 बजे से श्रीलंका से पधारे कलाकारों द्वारा श्रीलंका के लोकगीतों की होगी। इसके बाद पंचशील क्लासिकल डांस ग्रुप, भोपाल के कलाकारों द्वारा नृत्य एवं गायन की प्रस्तुति दी जावेगी। अगली प्रस्तुति भक्ति/बौद्ध गायन की होगी, जिसे ध्वनि ब्रदर्स, भोपाल द्वारा प्रस्तुत किया जावेगा। अंतिम प्रस्तुति बुद्ध समूह वंदना की होगी, जिसे ध्रुपद गायन शैली सुश्री सुरेखा कामले एवं साथी, भोपाल द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी
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