कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा को मिला 'अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान'
- दक्षिण भारत में हिन्दी की सेवा के लिए शिक्षाविद प्रभाशंकर प्रेमी पुरस्कृत
बेंगलुरु, 28 दिसंबर (हि.स.)। दक्षिण भारत की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ की ओर से रविवार को झारखंड की कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा को एक लाख रुपये का प्रतिष्ठित 'अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान' प्रदान किया गया। यह सम्मान बेंगलुरु में आयोजित संस्था के 28वें वार्षिकोत्सव-सह-पुरस्कार अर्पण समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर दक्षिण भारत में हिन्दी की सेवा के लिए 25 हजार रुपये का ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं बेंगलुरु विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त प्रो. टीजी प्रभाशंकर प्रेमी को दिया गया। सम्मान के रूप में नकद राशि के अलावा अंगवस्त्रम, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति फलक एवं श्रीफल भी भेंट किए गए।
‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ ग्रहण करते हुए झारखंड की कवयित्री केरकेट्टा ने कहा कि रचनाकार में और खास तौर पर स्त्री रचनाकार में अपने लोक की समझ और अस्मिता का बोध एवं अभिमान का भाव होना बहुत जरूरी है। शब्द संस्था ने अपना प्रतिष्ठित ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ मुझे प्रदान कर आदिवासी अस्मिता और हाशिये की कविता को सम्मानित किया है।
शिक्षाविद डॉ टीजी प्रभाशंकर प्रेमी ने ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ ग्रहण करते हुए कहा कि संस्कृतियों के टकराव के आज के दौर में प्रेम और पारस्परिकता का विकास करना नया नागरिक धर्म हो गया है। भाषा में संस्कृति बोलती और अभिरक्षित रहती है, इसलिए हर वक्ता समाज अपनी भाषा के प्रति संवेदनशील होता है, लेकिन ध्यान रहे कि भारत की बहुभाषिकता विविधता में एकता को संबल देती है।
समारोह में मुख्य अतिथि प्रख्यात विचारक और यूनेस्को में भारत के पूर्व सांस्कृतिक दूत चिरंजीव सिंह ने कहा कि साहित्य जीवन का प्रकाश है और कविता मानव सभ्यता की उत्कर्ष गाथा। सच्चा साहित्य वही है, जिसमें जीवन स्पंदित होता है। हमारी श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति कविता में संचित मिलती है, इसलिए जिंदा कौमें अपने कवि का कायल होती हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण समीर ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि शब्द के पुरस्कारों का ध्येय साहित्य और साहित्यकार को समाज के विचार-केंद्र में लाना और समादृत करना है। दक्षिण का यह प्रयास उत्तर में नवाचार को सशक्त करने में सफल हुआ तो हम भारत भाव को मजबूत करने का अपना उद्यम सफल मानेंगे।
‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ समाजसेवी और अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता के फाउंडेशन के सौजन्य से तथा ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ बेंगलूरु एवं चेन्नई से प्रकाशित हिन्दी दैनिक ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ के सौजन्य से प्रदान किए जाते हैं। इस अवसर पर शब्द के सदस्य युवा कवि दीपक सोपोरी के कविता संग्रह ‘पीढ़ियों की पीर’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम का संचालन शब्द की सचिव डॉ उषारानी राव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक श्रीकान्त शर्मा ने।
समारोह के दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता गीतकार आनंदमोहन झा ने की और संचालन किया गजलगो विद्याकृष्णा ने। शब्द के कवियों के काव्यपाठ का भी श्रोता ने जमकर आनंद उठाया।
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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह

