न्यायाधीशों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होना चाहिए संवेदनशील: जस्टिस खन्ना
-मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ के 10वें वार्षिक सम्मेलन का भोपाल में शुभारंभ
भोपाल, 13 जनवरी (हि.स.)। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति संजीव खन्ना ने कहा कि वे स्वयं एक जिला न्यायाधीश के पुत्र हैं। उन्होंने अपनी संपूर्ण न्यायिक यात्रा साझा करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को न सिर्फ न्यायालयों में अपितु समाज के प्रत्येक हिस्से में सम्मान मिलता है। न्यायाधीशों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने न्यायाधीशों से समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रति न्यायिक कार्य को और अधिक संवेदनशीलता और जिम्मेदार से करने की अपेक्षा की।
न्यायाधीपति संजीव खन्ना शनिवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ के 10वें द्विवर्षीय सम्मेलन का शुभारंभ कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति अनिरूद्ध बोस व जेके माहेश्वरी तथा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ उपस्थित थे। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में संघ के नवीन “लोगों और मोटा” का अनावरण किया। न्यायाधिपति संजीव खन्ना द्वारा “बैकलॉग्स टू ब्रेकथ्रुस” किताब का विमोचन किया गया। इसमें एक “सोवेनियर” का विमोचन भी न्यायामूर्ति अनिरूद्ध बोस, न्यायाधीश संघ के संविधान के द्विभाषी संस्करण का विमोचन न्यायामूति जेके माहेश्वरी द्वारा किया गया।
मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ के अध्यक्ष सुबोध जैन ने स्वागत उद्बोधन में प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायाधीशों के उत्थान हेतु किये गये कार्यों का उल्लेख कर जिला न्यायालय के न्यायाधीशों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों को प्रकट किया। इस अवसर पर उन्होंने न्यायालय की कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग की शुरुआत एवं विगत वर्षों में दिवंगत हुए न्यायाधीशों के संबंध में आयोजित सभा आदि विषयों पर विचार व्यक्त करते हुए आयोजित अधिवेशन को न्यायाधीशों के लिए एक अलग पहल होना बताया।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति अनिरूद्ध बोस ने न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की संख्या और उनके निराकरण में विलंब होने के संबंध में अपनी चिंता प्रकट करते हुए यह अपेक्षा की कि न्यायाधीश अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण कर इसमें वैकल्पिक विवाद समाधान के तरीकों का प्रभावी उपयोग करें।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायामूर्ति जेके माहेश्वरी ने न्यायाधीशों को कार्य को पुनीत कार्य बताते हुए अपने कर्म के प्रति सजग होने की अपील की। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को उनकी नियुक्ति से समय ली जाने वाली शपथ एवं संविधान के अंतर्गत न्यायालयों को नागरिकों के मूलभूत अधिकार की रक्षा के प्रति सजग होना चाहिए। उन्होंने न्यायाधीशों को राग, लोभ, भय द्वेष से विमुक्त होकर कार्य करने की सलाह दी है।
मप्र के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमठ ने 60 वर्ष से लंबित एक प्रकरण के निराकरण का उदाहरण देते हुए बताया कि न्यायाधीश को मेहनत कर प्रकरण के अंतिम निराकरण हेतु सर्वोच्च कार्य करना चाहिये। उनके द्वारा “25 पुराने प्रकरण” निराकरण योजना के अंतर्गत न्यायाधीशों द्वारा तेज गति से कार्य करने पर उन्हें बधाई दी, साथ ही कहा कि प्रकरण विलंबन की अंतहीन प्रक्रिया को समाप्त कर न्यायाधीश अपनी मेहनत से प्रकरण को अंतिम निराकरण तक पहुंचा सकता है।
पहले दिन के द्वितीय सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति विक्रम नाथ ने उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश द्वारा न्यायाधीशों के उपयोग के लिए विभिन्न विषयों पर समय-समय पर जारी होने वाले प्रशासकीय आदेशों, निर्देशों के संकलन, जो एक क्लिक पर न्यायाधीशों के लिए उच्च न्यायालय के वेबसाइट पर एक सर्च इंजन के साथ उपलब्ध है, का विमोचन किया।
अधिवेशन में उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के तीनों खण्डपीठ के सभी न्यायामूर्ति उपस्थित रहे एवं जिला न्यायालय के लगभग 1450 न्यायाधीश उपस्थित रहे। पर्यावरण संरक्षण के लिए उपस्थित ऑनलाइन साफ्टवेयर के माध्यम से रजिस्टर मोबाइल द्वारा ली गई। प्रथम सत्र के पश्चात अधिवेशन में प्रथम दिवस एक शैक्षणिक सत्र विजन 2047 के संबंध में एवं तकनीकी सत्र जमानत याचिका निराकरण विचारण में विलंब और बोर्ड प्रबंधन के संबंध में रहा। जिस पर विभिन्न न्यायाधीशों द्वारा अपने मत रखे गये।
न्यायाधीश संघ के उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल मनोज श्रीवास्तव द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश
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