भूगोल बांटता है, संस्कृति जोड़ती है: सच्चिदानंद जोशी

- जेएनयू में भारत और यूरोपीय संघ के संबंधों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
नई दिल्ली, 19 सितंबर (हि.स.)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने मंगलवार को कहा कि भूगोल बांटता है और संस्कृति जोड़ती है। संस्कृति सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है, जो हमें एक साथ ला सकती है। संस्कृति एक ऐसी चीज़ है, जो हमें वर्षों तक आगे ले जा सकती है। इसलिए हमें एक-दूसरे की संस्कृति, एक-दूसरे के महत्व को समझने और एक-दूसरे के अस्तित्व का सम्मान करने की जरूरत है। तभी हमारा रिश्ता फलेगा-फूलेगा।
डॉ. जोशी नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'भारत और यूरोपीय संघ : संगम, संपर्क और सहयोग' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों के संदर्भ में संस्कृति की शक्ति को रेखांकित कर रहे थे। डॉ. जोशी ने कहा कि आज हमें एहसास हो रहा है कि दुनिया एक वैश्विक गांव में तब्दील हो गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीन हजार साल पहले भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम का विचार प्रकट किया था, जिसका अर्थ है कि पूरा विश्व एक परिवार है। अब हमें एक परिवार की तरह रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब अगर कोई वैश्विक नागरिक शास्त्र पर काम करने की बात कहता है, तो यह समझना चाहिए कि भारत तो बहुत पहले ही यह बात कर चुका है।
उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन का मूल आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुंबकम घोषित किया गया यानी एक विश्व, एक परिवार और एक भविष्य का दर्शन। यह समय की मांग है कि हमें एक साथ आना चाहिए। डॉ. जोशी ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच भावनात्मक लोकाचार आम है और हमें तेज गति से आगे बढ़ने के लिए जुड़ने की जरूरत है।
इससे पहले प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के संयोजक और जीन मोनेट प्रोजेक्ट की प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रीति डी. दास ने कहा कि नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के तहत भारत-मध्य पूर्व-आर्थिक गलियारे की बात हुई, यह एक और मील का पत्थर है। ऐसे में भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को समझना अधिक प्रासंगिक हो गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल प्रमुख और चार्जडी अफेयर्स डॉ. सेप्पोनूरमी ने कहा कि यूरोपीय संघ और भारत मूल्यों के आधार पर सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में हित साझा करते हैं। यूरोपीय संघ एक समावेशी बहुपक्षीय प्रणाली को बढ़ावा देने और अधिक संवेदनशील वैश्विक व्यवस्था में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत में लिथुआनिया की राजदूत डायनामिस्केविसिने ने अपनी विशेष टिप्पणी में जेएनयू और भारत के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत विविधता से एकजुट है और यूरोप भी विविधता से एकजुट है।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में संगम, बढ़ती कनेक्टिविटी और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की विशेषता वाले भारत और यूरोपीय संघ के संबंधों पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम में भारत में लिथुआनिया के दूतावास के मिशन के उपप्रमुख ज़िमांता समोजुरैटिस ने लिथुआनिया के राष्ट्रीय वाद्ययंत्र कांकल्स पर मनमोहक और मनमोहक प्रस्तुति दी। स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन प्रो. श्रीकांत कोंडापल्ली ने सत्र की अध्यक्षता की और डॉ. मनुराधा चौधरी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/पवन
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