भारत 2025 तक 5 वैश्विक जैव-विनिर्माण हब में शामिल होने के लिए तैयार -डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली, 04 नवंबर (हि.स.)। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जैव प्रौद्योगिकी में वैश्विक व्यापार और भारत की संपूर्ण अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाली जैव-अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण साधन बनने की क्षमता है। भारत 2025 तक विश्व की 5 शीर्ष जैव-विनिर्माण हब में शामिल होने के लिए तैयार है। डॉ. जितेन्द्र सिंह शनिवार को प्रगति मैदान में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ग्लोबल बायो-इंडिया- 2023 की वेबसाइट लॉन्च करते हुए सभा को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन 4 से 6 दिसंबर, 2023 तक प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा।
इस मौके पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी बायो इकोनॉमी ने पिछले 9 वर्षों में वर्ष-दर-वर्ष दहाई अंक की विकास दर देखी है। उन्होंने कहा कि भारत को अब दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी के केन्द्रों में गिना जाता है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2014 में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था लगभग 10 बिलियन डॉलर थी, आज यह 80 बिलियन डॉलर है। केवल नौ वर्षों में यह 8 गुना बढ़ गया है और हम वर्ष 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर होने की उम्मीद कर रहे हैं।’’ डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में बायो इकोनॉमी आजीविका का एक वृहद लाभकारी स्रोत बनने जा रही है। बायोटेक स्टार्टअप भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बायोटेक स्टार्टअप पिछले 8 वर्षों में 100 गुना बढ़ गए हैं, जो 2014 में 52 स्टार्टअप से बढ़कर वर्तमान में 6,300 से अधिक हो गए हैं। व्यावहारिक तकनीकी समाधान प्रदान करने की आकांक्षाओं के साथ भारत में प्रति दिन 3 बायोटेक स्टार्ट-अप शामिल हो रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी
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