जमीअत उलमा-ए-हिंद ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा- सुनहरी बाग मस्जिद के विध्वंस पर रोक लगाई जाए
- अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा, देश की साझी विरासत को होगा नुकसान
नई दिल्ली, 26 दिसंबर(हि.स.)। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नई दिल्ली में राजपथ पर स्थित सुनहरी बाग मस्जिद के संभावित विध्वंस पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। मौलाना मदनी ने अपने पत्र में चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री को लिखा है कि नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने मस्जिद सुनहरी बाग को हटाने के संबंध में जनता की राय मांगने वाली अधिसूचना जारी की है। इस तरह की कार्रवाई से देश की साझी विरासत को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
उन्होंने कहा है कि यह मस्जिद देश के प्रमुख स्थान पर दो सौ वर्षों से स्थापित है, जो हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की गवाह है। हमारा देश अनेकता में एकता की मिसाल है और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों से समृद्ध है। अपनी सुंदरता और भव्यता के साथ निर्मित यह मस्जिद न केवल आसपास के लोगों के लिए इबादत की जगह है, बल्कि एक गौरवशाली विरासत का भी महत्व रखती है। अक्टूबर, 2009 में जारी अधिसूचना के अनुसार यह मस्जिद ग्रेड-3 के धरोहर भवनों में शामिल है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि आप स्वयं इस मामले का संज्ञान लेकर मस्जिद सुनहरी बाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। मौलाना मदनी ने विश्वास जताया है कि इस मामले में आपका हस्तक्षेप इस देश की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूती देगा।
प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद का दौरा किया
इस बीच, जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने आज दोपहर जमीअत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में सुनहरी बाग मस्जिद पहुंच कर इमाम मौलाना अब्दुल अजीज से मुलाकात की और मस्जिद के संबंध में पूरी स्थिति की जानकारी ली। इमाम साहब ने कहा कि हमारी मस्जिद सरकार के हर सुरक्षा निर्देश का पालन करती है, यहां तक कि संसद सत्र के दौरान यहां जमाअत के साथ (सामूहिक नमाज) का भी आयोजन नहीं किया जाता है। इसके साथ ही इस मस्जिद के कारण यातायात की कोई समस्या नहीं है। जमीअत उलेमा हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद के इमाम को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने दिल्ली के लोगों से एनडीएमसी की अधिसूचना पर प्रतिक्रिया देने की अपील की है कि उन्हें इस मस्जिद का विध्वंस बिल्कुल पसंद नहीं है।
जामीअत के प्रतिनिधिमंडल में महासचिव मौलाना मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के अलावा गय्यूर अहमद कासमी, मौलाना इरफान कासमी, मौलाना मुफ्ती जाकिर हुसैन कासमी, मौलाना ऐहतशाम कासमी और मौलाना अजीमुल्लाह सिद्दीकी शामिल थे।
हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद शहजाद/सुनीत
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