मेवात दंगा पीड़ितों की मदद में जमीअत ने कायम की सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल

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मेवात दंगा पीड़ितों की मदद में जमीअत ने कायम की सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल


नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को हरियाणा के मेवात का दौरा किया और जमीअत द्वारा फिरोजपुर झिरका में निर्माणाधीन मदनी नगर कॉलोनी का निरीक्षण किया। इस अवसर पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पुरानी ईदगाह फिरोजपुर झिरका के पास मुबीन भाई के नए घर की आधारशिला रखी, जिसका निर्माण जमीअत करा रही है। इसके साथ ही गैरमुस्लिम धर्मपाल के घर की नींव भी रखी गई। इस अवसर पर धर्मपाल ने जमीअत उलमा-ए-हिंद को धन्यवाद दिया।

मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने एक बयान में कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद बिना भेदभाव के मानवता की सेवा करती है। सरकारी बुलडोजर के शिकार जहां मुसलमान हुए, वहीं कुछ गैरमुस्लिम लोगों के घरों को भी ध्वस्त कर दिया गया। ऐसे बेघर और बेसहारा लोगों के लिए जमीअत उलमा-ए-हिंद मैदान में आई और उनके लिए तीन कॉलोनियों का निर्माण कर रही है। उनमें से एक मदनी नगर कॉलोनी भी है। इस कॉलोनी के पास ही धर्मपाल की अपनी जमीन है, जहां जब जमीअत उलमा का प्रतिनिधिमंडल गया तो वहां उपस्थित धर्मपाल और उनके दोस्तों ने जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।

खुशी से भरे धर्मपाल ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने दुख की घड़ी में हमारी मदद की है, इस वक्त मेरा दिल बहुत खुश है। मैंने मौलाना महमूद मदनी साहब का नाम बहुत सुना है लेकिन आज वह मेरी मदद करने मेरे घर आएंगे, यह कभी सोचा नहीं था।

जब जमीअत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधिमंडल मदनी नगर पहुंचा तो वहां मौलाना रहीमुद्दीन कासमी भी मौजूद थे, जो बुलडोजर की प्रताड़ना का शिकार हुए थे। उनके घर का भी निर्माण जमीअत उलमा करवा रही है। मौलाना रहीमुद्दीन ने कहा कि मौलाना महमूद मदनी साहब और मौलाना हकीमुद्दीन कासमी साहब ने मुसीबत की इस घड़ी में हमारा साथ दिया और हमारे घरों के निर्माण में हिस्सा लिया, हम इसे कभी नहीं भूल सकते।

इस अवसर पर मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि मेवात में पुनर्वास का काम अभी महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गया है, कुछ घरों का निर्माण अभी छत तक पूरा हुआ है, जबकि कुछ घरों की अभी हम नींव रख रहे हैं। जब तक कि एक-एक जरूरतमंज तक हम न पहुंच जाएं, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।

उन्होंने कहा कि जमीअत उलमा मेवात, विशेषकर जमीअत उलमा संयुक्त पंजाब के महासचिव मौलाना मोहम्मद याह्या करीमी, जमीअत उलमा संयुक्त पंजाब के उपाध्यक्ष मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी, मौलाना मोहम्मद सलीम साकरस, मौलाना अब्दुल रहीम बडीडवी, मास्टर मोहम्मद अफ़ज़ल, हाफ़िज़ कासिम महों, मोहम्मद आलम गमाट और जमीअत के बहुत से कार्यकर्ताओं की मेहनत शामिल रही है।

ज्ञात हो कि जमीअत उलमा-ए-हिंद दंगों के पहले दिन से ही यहां काम कर रही है। जमीअत उलमा-ए-हिंद जहां लगभग 70 घर बना रही है, वहीं इसने 600 लोगों को जमानत दिलाने में सफलता प्राप्त की है।

आज जमीअत के प्रतिनिधिमंडल में महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, वरिष्ठ संयोजक मौलाना गय्यूर कासमी, मौलाना मुफ्ती सलीम साकरस, मौलाना अजीमुल्लाह कासमी, मदरसा अफज-उल-उलूम महों के नाजिम आला मौलाना अज़हर कासिम जफर, मौलाना साद ज़मज़म रेस्टोरेंट नसीर बाग फिरोजपुर झिरका, मौलाना कमरुद्दीन आदि शामिल थे।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद शहजाद/पवन

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