जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने हाथरस हादसे के पीड़ितों से की मुलाकात

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जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने हाथरस हादसे के पीड़ितों से की मुलाकात


जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने हाथरस हादसे के पीड़ितों से की मुलाकात


- मृतकों के परिजनों को दस हज़ार और घायलों को पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी

- मौलाना अरशद मदनी ने कहा, सांप्रदायिक लोग दिलों में दूरियां पैदा करते हैं, जमीअत का काम दिलों को जोड़ना

नई दिल्ली, 06 जुलाई (हि.स.)। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीअत का एक प्रतिनिधिमंडल हाथरस के सोखना गांव पहुंचा, जहां सत्संग भगदड़ में एक ही घर के तीन लोगों सहित चार लोगों की मृत्यु हो गई है। प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों के परिजनों से मिलकर आर्थिक सहायता के साथ-साथ मौलाना मदनी का यह संदेश भी सुनाया जिसमें उन्होंने कहा है कि इस दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं। हमसे जो बन सका वह कर रहे हैं। अल्लाह आपको इस दुख को सहने का धैर्य और सब्र दे। इससे पहले प्रतिनिधिमंडल ने हाथरस में उन अस्पतालों का दौरा किया जहां घायलों का उपचार चल रहा है। प्रतिनिधिमंडल की ओर से मृतकों के परिजनों को प्रति मृतक दस हज़ार और घायलों को पांच हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई।

उल्लेखनीय है कि सरकार के अतिरिक्त अब तक किसी अन्य संगठन या संस्था ने यहां का दौरा नहीं किया। जमीअत उलमा-ए-हिंद ऐसा पहला संगठन है जो न केवल वहां पहुंचा बल्कि पीड़ितों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की। चूंकि पीड़ितों का सम्बंध किसी एक क्षेत्र या ज़िले से नहीं है बल्कि आस-पास के कई ज़िलों और क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग सत्संग में गए थे, इसलिए जमीअत की ज़िला और क्षेत्र की इकाइयों को यह निर्देश दिया गया है कि वह अपने अपने ज़िले और क्षेत्र में पीड़ितों के घर जाएं, उनके दुख में शरीक हों और आर्थिक सहायता पहुंचाएं।

उत्तर प्रदेश जमीअत उलमा के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अशहद रशीदी इस सिलसिले में ज़िला इकाइयों से लगातार संपर्क में हैं। हाथरस जमीअत उलमा के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद रमज़ान क़ासमी और महासचिव मौलाना फुरकान नदवी अपने साथियों के साथ पीड़ितों से लगातार मिल रहे हैं और घायलों का अस्पतालों में जाकर हालचाल पूछ रहे हैं।

मौलाना अरशद मदनी ने अपने एक बयान में कहा है कि जमीअत पिछली एक शताब्दी से देश में मुहब्बत बांटने का काम कर रही है, वह अपने राहत और कल्याण कार्य धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है। क्योंकि कोई मुसीबत या त्रासदी यह पूछ कर नहीं आती कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान, बल्कि जब भी कोई मुसीबत आती है तो सबको अपने लपेटे में ले लेती है। मुसीबत के समय जमीअत उलमा-ए-हिंद का सिद्धांत हमेशा मानव सेवा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ मोहम्मद ओवैस/प्रभात

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