संशोधित वक्फ विधेयक मुस्लिम समुदाय को स्वीकार्य नहीं : जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द

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संशोधित वक्फ विधेयक मुस्लिम समुदाय को स्वीकार्य नहीं : जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द


नई

दिल्ली, 08 अगस्त (हि.स.)। जमाअत-ए-इस्लामी

हिंद के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने गुरुवार को संसद में पेश किये गए संशोधित

वक्फ विधेयक की आलोचना करते हुए कहा है कि यह मुस्लिम समुदाय को स्वीकार्य नहीं

है। उन्होंने कहा कि यह कानून वक्फ के स्थापित कानूनी ढांचे को

खत्म करने के लिए बनाया गया है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को संवैधानिक रूप से गारंटीकृत अधिकार को लक्षित

करता है। इसके विपरीत संविधान उन्हें अपने समुदाय की विरासत और धार्मिक प्रथाओं का संचालन

और संरक्षण करने की अनुमति देता है।

मीडिया को

जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक एक प्रकार का 'कलेक्टर

राज' है, जो कलेक्टरों को वक्फ संपत्तियों पर अभूतपूर्व अधिकार प्रदान करता

है। यह बदलाव न केवल वक्फ धर्मशास्त्र की अंतिमता और निर्णायकता को कमजोर करता है, बल्कि वक्फ की

अवधारणा को भी खत्म कर देता है। वर्तमान कानून के तहत वक्फ संपत्ति से संबंधित

किसी भी विवाद का निपटारा एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिएलेकिन संशोधन से यह अवधि बढ़ जाएगी, जिससे भ्रम और कानूनी विवाद पैदा

होंगे। यह चिंताजनक है कि इस विधेयक को इसके व्यापक प्रावधानों के साथप्रमुख हितधारकों के साथ सार्थक

परामर्श के बिना ही तैयार किया गया था।

उन्होंने कहा कि विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण

में सुधार की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है लेकिन ऐसे व्यापक परिवर्तनों को उचित

ठहराने में विफल रहा है। यदि वक्फ के विशेषज्ञों के साथ कोई वास्तविक

परामर्श किया गया होता तो यह

स्पष्ट हो जाता कि वक्फ को पुनर्परिभाषित करना विधायी क्षेत्राधिकार से परे है और

मुस्लिम पर्सनल लॉ में गहराई से निहित है। बिल में संशोधन पुराने औपनिवेशिक कानूनों से प्रेरित है, जिससे

मुसलमानों के अपने धार्मिक दान का प्रबंधन करने के अधिकारों का हनन होता है। इस परिवर्तन से वक्फ संपत्तियों पर और अधिक विवाद उत्पन्न होने का खतरा

है।

हिन्दुस्तान

समाचार/मोहम्मद ओवैस

हिन्दुस्थान समाचार / मोहम्मद शहजाद / सुनीत निगम

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