मध्यप्रदेश दो-दो नदी जोड़ो अभियान को पूरा करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा : मोहन यादव
-जलसंचय-जनभागीदारी-जन आंदोलन, कर्म भूमि से जन्म भूमि अभियान की सूरत में शुरुआत
-केन्द्रीय मंत्री सी आर पाटिल समेत 3 राज्य के मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री की रही सहभागिता
सूरत, 13 अक्टूबर (हि.स.)। सूरत में केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय आयोजित कैच दी रेन, जल संचय, जन भागीदारी जन आंदोलन कार्यक्रम में पहुंचे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश और राजस्थान का 20 साल पुराना विवाद खत्म हो गया है। पिछले 20 वर्षो से मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चंबल नदी पानी को लेकर झगड़ा चल रहा था। लेकिन, पीएम मोदी की मध्यस्थता से जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने दोनों सीएम के साथ बैठक कर निर्णय करवाया है। सूरत में रविवार को इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम को कर्मभूमि से जन्मभूमि का नाम दिया गया है। जिसमें सूरत में बसे बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के व्यवसायिक, उद्यमियों ने अपने-अपने राज्य में जल संचय के लिए बोर बनवाने का संकल्प किया।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश नदियों का मायका है और वहां से निकलने वाली ताप्ती और नर्मदा गुजरात में आनंद लाती है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ केन बेतवा नदी जोड़ो अभियान पूरा होने वाला है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल के आशीर्वाद से ही पूरा होगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच 20 साल से जल विवाद चल रहा था। मध्यप्रदेश की चंबल, पार्वती, कालीसिंद (पीकेसी) योजना का कोई निराकरण नहीं कर पा रहा था। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ हम बैठे और केन्द्रीय मंत्री सी आर पाटिल ने वह निर्णय कराया। इस तरह नदी जोड़ों अभियान में मध्य प्रदेश ने देश में लीड ली है। देश का पहला राज्य मध्य प्रदेश बना है, जो दो-दो नदी जोड़ों अभियान को पूरा कर रहा है। जल संचय अभियान की चर्चा कर उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के 3500 गांवों में 13500 लोग जल संचय के लिए संकल्पबद्ध हुए हैं।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि पहली बार एनडीए की सरकार बनी थी, तब नेपाल से 2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने पर बिहार डूब जाता था। लेकिन, इस बार पहले से तीन गुणा अधिक 6.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया तो इसे भी केन्द्र और राज्य सरकार ने व्यवस्थित निष्पादित करने में सफलता पाई। उत्तरी बिहार में पानी की कमी नहीं है, लेकिन झारखंड और छत्तीसगढ़ के सटे 17 जिले ऊंचाई पर स्थिति है जिससे यहां पानी की कमी है। मध्य बिहार का गया गंगा की तराई से 52 मीटर अधिक ऊंचा है। उन्होंने केन्द्र सरकार को अभार प्रकट करते हुए कहा कि राज्य में चार-चार डेम बनाए जाएंगे, जिससे उत्तर बिहार में बाढ़ आने की समस्या दूर होगी।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने कहा कि 'जलसंचय जनभागीदारी अभियान' वैश्विक जल समस्या के समाधान के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि गुजरात के विकास मॉडल को देश में स्वीकार किया गया है, उसी तरह जल भंडारण में जनभागीदारी का मॉडल पूरे भारत में मिसाल बनेगा। केंद्रीय मंत्री ने सूरत में रहने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के व्यवसायियों-उद्योगपतियों, सामाजिक अग्रणियों लोगों द्वारा इसकी पहल करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान राज्य के सूरत में रहने वाले व्यवसायियों और उद्योगपतियों ने वर्षा जल को भूमिगत करने की जिम्मेदारी ली है। राजस्थान के सभी गांवों में प्रति गांव चार बोर ड्रिल करने का संकल्प लोगों ने व्यक्त किया है। वहीं सूरत में रहने वाले मध्य प्रदेश, बिहार के कारोबारी-व्यवसायी मध्य प्रदेश के 3500 गांवों में 14 हजार बोरिंग और बिहार के पांच जिलों के गांवों में वाटर रिचार्जिंग का काम करेंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान जल समस्या से ग्रस्त राज्य है। जो काम गुजरात से शुरू होता है वह पूरे देश में फैलता है। इस मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी याद करते हुए कहा कि राजस्थान के जालौर और बाड़मेर जिलों में पानी की समस्या से अवगत गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें नर्मदा का पानी उपलब्ध करवाने का भगीरथ कार्य किया था। वर्ष 2003 तक गुजरात ने राजस्थान को नर्मदा का पानी देकर पड़ोसी धर्म निभाया। शर्मा ने कहा कि जल संचय का यह महाअभियान आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। सूरत को कर्मभूमि बनाने वाले राजस्थान के लोगों ने इस जल संचय जन भागीदारी का महाअभियान की शुरुआत की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय
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