इस्लाम ने भारत के मौलिक दर्शन को विकृत किया: डॉ कृष्ण गोपाल

इस्लाम ने भारत के मौलिक दर्शन को विकृत किया: डॉ कृष्ण गोपाल
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इस्लाम ने भारत के मौलिक दर्शन को विकृत किया: डॉ कृष्ण गोपाल


इस्लाम ने भारत के मौलिक दर्शन को विकृत किया: डॉ कृष्ण गोपाल


लखनऊ, 25 नवम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने शनिवार को कहा कि इस्लाम ने भारत के मौलिक दर्शन को विकृत करने का काम किया। सह सरकार्यवाह ने कहा कि हजार वर्षों के संघर्षों व पराधीनता के काल में बहुत कुछ बिगड़ गया। इसलिए भाऊराव देवरस को राष्ट्रधर्म पत्रिका शुरू करनी पड़ी। समाज से भ्रम लगातार दूर होते रहें इसके लिए राष्ट्रधर्म 76 वर्षों से काम कर रहा है। वह विशालखण्ड स्थित सीएमएस के सभागार में राष्ट्रधर्म पत्रिका के राष्ट्रोन्मुख विकास विशेषांक के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे।

डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा दुनिया में इस्लाम जहां-जहां गया उस राष्ट्र को नष्ट किया लेकिन भारत के राष्ट्रतत्व ने उनके सारे षड्यंत्रों को विफल किया। भारत पर इस्लाम का आक्रमण बहुत खतरनाक था। भारत को बर्बरता से जीता लेकिन अनेक प्रयासों के बाद भी वह भारत के राष्ट्रत्व को नष्ट नहीं कर पाये क्योंकि हमारे राष्ट्र का राष्ट्रत्व हर एक हिन्दू में था। यह हमारी विशेषता थी।

सह सरकार्यवाह ने कहा कि बार-बार मंदिर बनाने की भावना को इस्लाम तोड़ नहीं सका। अयोध्या का राम मंदिर और मथुरा का कृष्ण मंदिर कई बार तोड़ा गया। हिन्दुओं को गंगा स्नान करने के लिए कर देना पड़ता था फिर भी हिन्दुओं ने गंगा स्नान करना नहीं छोड़ा।

हजारों वर्ष पूर्वी की परम्परा आज हमारे यहां विद्यमान है। भारत आध्यात्मिक भाव से विकसित हुआ है। भारत जैसा राष्ट्रबोध किसी देश को नहीं है। भारत ने न तो किसी देश पर आक्रमण किया और न ही किसी का भूभाग हड़पा है। यह भारत का दर्शन है।

भौतिकवाद की सुनामी चल रही

डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि दुनियाभर में आज भौतिकवाद की सुनामी चल रही है। अधिकाधिक सुख सामग्री जुटाना यह मूर्खतापूर्ण और धूर्ततापूर्ण विचार है। उन्होंने कहा कि हमारा देश भोग की उपेक्षा नहीं करता लेकिन उसके पीछे दौड़ भी नहीं लगाता। संसाधन आवश्यक है लेकिन समन्वय बनाकर चलना चाहिए जितना आवश्यक हो उतना ही लेना चाहिए।

घर-घर में ग्रन्थालय होना चाहिए

सह सरकार्यवाह ने कहा कि देश को संभालकर रखना है तो मातृभाषा को संभालकर रखो। इसलिए घर-घर में मातृभाषा का ग्रन्थालय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिवारों में पहले ग्रन्थालय होते थे। आज न पढ़ने का संस्कार है न रूचि है। युवा औसतन दो से तीन घंटे मोबाइल पर लगाते हैं। डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि घर को संभालकर रखना है तो ग्रन्थालय बनवाइये क्योंकि निज भाषा गयी तो संस्कार नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि बच्चा जब सूरदास व मीरबाई को नहीं पढ़ेगा तो वह हमारे संस्कार व सनातन से दूर चला जायेगा।

राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक मनोजकांत ने कहा कि राज्य मनुष्य निर्मित और राष्ट्र प्रकृति निर्मित इकाई है। राज्य की कल्पना मनुष्य करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के अनुरूप जब तक राज्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता रहता है तब तक व्यवस्थाएं चलती रहती हैं। राष्ट्र के अनुरूप जब व्यवस्थाएं नहीं चलती हैं तो राष्ट्रीय समाज दुखी होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति कर रहा है।

राष्ट्रधर्म पत्रिका के संपादक ओम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि राष्ट्रधर्म पत्रिका विचार के लिए प्रकाशित होती है। इस पत्रिका में देश के विविध क्षेत्रों में जो परिवर्तन हो रहे हैं उससे संबंधित आलेख हैं।

राष्ट्रधर्म के प्रबंधक डॉ पवनपुत्र बादल ने आभार व्यक्त किया।

लोकार्पण के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल, संयुक्त क्षेत्र के कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख ओमपाल सिंह, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश नारायण, सह क्षेत्र सेवा प्रमुख युद्धवीर, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख मनोज, सीमा जागरण मंच के संगठन मंत्री अशोक केड़िया, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, वरिष्ठ प्रचारक रामजी भाई, विभाग प्रचारक अनिल और राष्ट्रधर्म के प्रभारी निदेशक सर्वेशचन्द्र द्विदी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/आकाश

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