आईएसएल शब्दकोश के लिए 2500 नए सांकेतिक शब्दों का लोकार्पण, 10 विभिन्न भाषाओं में होगा उपलब्ध

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आईएसएल शब्दकोश के लिए 2500 नए सांकेतिक शब्दों का लोकार्पण, 10 विभिन्न भाषाओं में होगा उपलब्ध


नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सहयोग से भारतीय सांकेतिक भाषा एवं अनुसंधान केंद्र (आईएसएलआरटीसी) ने सोमवार को भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) शब्दकोश के लिए 2500 नए सांकेतिक शब्दों का लोकार्पण किया। यह शब्दकोश 10 विभिन्न भाषाओं में ऑनलाइन उपलब्ध होगा। इसके साथ आईएसएल की संख्या 12,500 हो गई है। सोमवार को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में इस वर्ष के सांकेतिक भाषा दिवस का थीम सांकेतिक भाषा अधिकारों के लिए समर्थन करें रखा गया है।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल भी मौजूद थे। इस मौके पर कक्षा 6 के लिए विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों पर आईएसएल में 100 आधारभूत संकल्पना वीडियो का शुभारंभ भी किया गया। इसके साथ भारतीय साइनिंग हैंड्स द्वारा विकसित बधिर रोल मॉडल वीडियो का अनावरण, सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए आईएसएल में सुगम्य शैक्षिक कहानियों का लोकार्पण किया गया।

केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार दिव्यांग समुदाय के प्रति हमेशा संवेदनशील रही है। सांकेतिक भाषा सिर्फ बधिर समुदाय की भाषा नहीं है बल्कि इसे जन-जन की भाषा बनाकर समाज को और समावेशी बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बधिर समुदाय की समृद्धि के लिए सांकेतिक भाषा के व्यापक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे दिव्यांग भाई-बहनों के अंदर प्रतिभा की कमी नहीं है, उन्हें मंच प्रदान किया जाए तो अपनी प्रतिभा से वह संपूर्ण विश्व को अचंभित कर देंगे। पेरिस 2024 में आयोजित पैरालंपिक में हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने इस बात को साबित भी किया है। इस पैरालंपिक में इतिहास रचते हुए हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने 29 पदक प्राप्त किए। दिव्यांग समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने से हमारा देश भी आगे बढ़ेगा और प्रधानमंत्री मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करेगा।

इस अवसर पर सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि बधिर बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए यह जरूरी है कि उनके माता-पिता और समाज के लोग सांकेतिक भाषा सीखें और उसका प्रयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक और अंग्रेजी शिक्षा बधिर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि साल 2035 तक भारत पैरालंपिक में 15वें स्थान से 5वें स्थान पर होगा।

कार्यक्रम के दौरान, एआईएफडीडब्लू की प्रमुख, उमा कपूर और आईडीबीए उषा पंजाबी, एनएडी प्रमुख ए.एस नारायणन ने भी अपने विचार साझा किए। इस आयोजन में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के संयुक्त सचिव राजीव शर्मा, आईएसएलआरटीसी के उप-निदेशक संजय कुमार सहित कई गण्यमान्य व्यक्ति और बधिर समुदाय के छात्र, शिक्षक, और अभिभावक उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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