विज्ञान के सभी विषयों में भी मूक-बधिर और दृष्टिबाधित छात्र कर सकेंगे निशुल्क अध्ययनः राजेश अग्रवाल

विज्ञान के सभी विषयों में भी मूक-बधिर और दृष्टिबाधित छात्र कर सकेंगे निशुल्क अध्ययनः राजेश अग्रवाल
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विज्ञान के सभी विषयों में भी मूक-बधिर और दृष्टिबाधित छात्र कर सकेंगे निशुल्क अध्ययनः राजेश अग्रवाल


नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स.)। गोवा में चल रहे छह दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पर्पल फेस्ट में दिव्यांगजनों की मुश्किलों के समाधान और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने वाली समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में न केवल गहन चर्चा की गई बल्कि कई फैसले भी लिए गए। गुरुवार को पर्पल फेस्ट में राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम की12वीं आम सभा की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत अब विज्ञान के सभी विषयों में मूक बधिर और दृष्टिबाधित छात्र अपनी पढ़ाई निशुल्क कर सकेंगे। इसके लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग इनके पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाएगा। इसके साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। 8 से 13 जनवरी तक आयोजित हो रहे पर्पल फेस्ट के इस अनूठे प्रयास और महोत्सव में हुए मंथन से निकल कर आए महत्वपूर्ण फैसलों पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल से हिन्दुस्थान समाचार ने खास बातचीत की।

पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश -

प्रश्न- दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और गोवा सरकार द्वारा आयोजित पहले अंतरराष्ट्रीय पर्पल फेस्ट में कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन चर्चाओं से क्या नतीजे निकल कर आएं।

उत्तर- इन आयोजनों में की जाने वाली चर्चाओं में बहुत महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकल कर आए हैं। पिछली बार भी इस आयोजन में कई चीजें निकल कर आयी थीं जिसमें कई राज्य सरकार द्वारा लागू किए जा रहे बेस्ट प्रैक्टिस को साझा किया गया और कई राज्यों ने उनका अनुकरण भी किया। इस मंच से राज्य सरकारें एक दूसरे से सीख रहे हैं। अगले पंद्रह दिनों में विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर तैयार स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को जारी करेगा। इस पूरी प्रक्रिया में कई स्टेकहोल्डर के साथ गहन चर्चा की गई।

प्रश्न- दिव्यांगजनों की चुनौतियां कम नहीं है लेकिन यूडीआईडी बनाने में मुश्किलें कैसे कम होंगी।

उत्तर- अंतरराष्ट्रीय पर्पल फेस्ट का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यही रहा कि दिव्यांगजनों को आ रही दिक्कतों के समाधान पर सकारात्मक चर्चा हुई और कई समाधान सामने आए। जैसे यूडीआईडी यानी 'यूनिक आईडी फॉर परसन्स विद डिसेबलिटीज' कार्ड बनाने में कुछ जिलों में आ रही मुश्किलों पर चर्चा हुई। इस योजना से सरकार उन्हें बिना देरी के यूडीआईडी कार्ड जारी कर सकें। इसके साथ देश में 21 तरह की दिव्यांगता का एक डेटाबेस तैयार किया गया है। उसका अध्ययन किया जा रहा है। इस डेटाबेस यह निकल कर आया कि कई जिलों में 6-7 साल के बच्चों के यूडीआईडी कार्ड बने ही नहीं हैं। तो जानकारी सामने आने के बाद इसका हल निकाला जा रहा है और योजनाओं को जमीन पर उतारने में भी मदद मिलती है।

प्रश्न- यूडीआईडी कार्ड बनाने में दिक्कतें न हो और पादर्शिता आए उसके लिए विभाग किया कदम उठा रहा है।

उत्तर- दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग इसके लिए एक स्पष्ट नई एसेसमेंट गाइडलाइन लेकर आ रहा है। ताकि डॉक्टरों के पास सभी दिशा- निर्देश स्पष्ट हों, इसके लागू करने में सरलता लाने के साथ किसी को कोई शंका न हो। इसके साथ इसकी गहन निगरानी भी की जा रही है। इसके बाद सीएमओ और बाकी डॉक्टर की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। यूडीआईडी बोर्ड की प्रक्रिया को थोड़ा आसान करने जा रहे हैं। अब बोर्ड का अध्यक्ष सरकारी होगा और बाकी विशेषज्ञ निजी क्षेत्र से हो सकेंगे।

प्रश्न- अंतरराष्ट्रीय पर्पल फेस्ट के सफल आयोजन के बाद क्या यह महोत्सव हर साल गोवा में आयोजित होगा या फिर किसी और राज्य भी इसे कर सकेंगे।

उत्तर- अंतरराष्ट्रीय पर्पल फेस्ट के प्रति राज्यों से अच्छा रिस्पोंस मिल रहा है। दिव्यांगजनों के लिए कई राज्य पर्पल फेस्ट करना चाहते हैं। पिछले साल ही गोवा में राष्ट्रीय पर्पल फेस्ट की शुरुआत हुई। उसके बाद जम्मू और दिल्ली में भी पर्पल फेस्ट का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश ने इस साल सितंबर- अक्टूबर में यह फेस्ट करने की योजना बनाई है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग इस फेस्ट को हर साल करना चाहता है। उम्मीद है कि यह अब हर साल आयोजित होने वाला महोत्सव बन जाएगा।

प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग किस तरह से बदलाव देख रहा है।

उत्तर- दिव्यांग लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले इसके लिए वोकेशनल कोर्स पर जोर है। प्रोफेशनल स्किल बेहद जरूरी है। इसको देखते हुए राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम की12वीं आम सभा की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत अब विज्ञान के सभी विषयों में मूक बधिर और दृष्टिबाधित छात्र अपनी पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग इनके पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाएगा। निजी स्कूलों से संपर्क किया जाएगा ताकि विज्ञान विषय पढ़ने वाले इच्छुक दृष्टिबाधित और मूक-बधिर छात्र बेझिझक अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें और देश के विकास में भागीदार बन सकें। बोर्ड में लिया गया फैसला अगले दो- तीन दिन में लोगों के सामने आ जाएगी।

प्रश्न- दिव्यांगजन की चुनौतियों को कम करने और समाज में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में अन्य मंत्रालयों के साथ क्या क्या पहल किए जा रहे हैं।

उत्तर- कल ही इस अहम मुद्दे पर कैबिनेट सचिव ने 20 से अधिक मंत्रालयों के सचिव के साथ बैठक की। परिवहन से लेकर सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने पर विस्तार से चर्चा की गई। सात आठ महीने पहले तक सिर्फ तीन मंत्रालयों का एक्सेसबिलिटी गाइडलाइंस निकला था, आज 12 मंत्रालय का दिशा-निर्देश निकाला जा चुका है। मार्च तक 20 में से 18 मंत्रालय भी इस मानक को पूरा कर लेंगे। इसके साथ रेलवे स्टेशन पर मूकबधिर के लिए साइन लैंग्वेज में जानकारी डिस्पले करना , एमबीबीएस की पढ़ाई में दिव्यांगजनों को देखते हुए विषयों पर अध्ययन शामिल किया जाने से लेकर देश में भवन निर्माण में आर्किटेक्ट की पढ़ाई में भी इनकी दिक्कतों को शामिल करना बेहद जरूरी है।

हिन्दुस्थान समाचार/विजयलक्ष्मी/प्रभात

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